Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ayodhya Ram Mandir: जानें-राम मंदिर आंदोलन में कानपुर से जुड़े कुछ अनछुए वाक्ये और यादें

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Thu, 06 Aug 2020 03:49 PM (IST)

    गृह मंत्री अमित शाह की बहन ने शहर में चलाया था आंदोलन तो राम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी रोजा इफ्तार में शिरकत करने कानपुर आए थे।

    Ayodhya Ram Mandir: जानें-राम मंदिर आंदोलन में कानपुर से जुड़े कुछ अनछुए वाक्ये और यादें

    कानपुर, जेएनएन। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत संत समाज की मौजूदगी में भूमि पूजन संपन्न होने के बाद हर उस मन में उत्साह का संचार हुआ है, जिसने राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लेकर राम मंदिर निर्माण की हुंकार भरी थी। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नेताओं के लिए कानपुर भी एक बड़ा केंद्र था और उस समय कुछ ऐसे वाक्ये भी हुए जो अनसुने ही रहे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अमित शाह की चचेरी बहन ने चलाया था आंदोलन

    गृह मंत्री अमित शाह की चचेरी बहन कांति बेन पटेल की शादी कानपुर में हुई थी। राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने युवाओं की टीम को जोड़कर अपने स्तर से कार्य शुरू कर दिए थे। वंदेमातरम समिति के आलोक मेहरोत्रा के मुताबिक वह आर्ट की शिक्षिका थीं। पहले वह टीम के साथ कपड़ों के झबले बनाकर उन पर विरोधी नेताओं के नाम लिखतीं और उन्हें कुत्तों को पहनाकर गलियों में छोड़ देती थीं। पुलिस वाले इन झबलों को उतार कर फाड़ देते थे। इसके बाद कुछ अलग करने की योजना बनाई गई।

    इसमें कुछ सफाई कर्मियों को तैयार किया गया। एक पशु चिकित्सक से कुत्तों को बेहोश करने का स्प्रे लिया गया। सफाई कर्मी कुत्तों को बेहोश कर ले आते थे। इसके बाद कलर से उन पर नाम लिख दिए जाते थे। सभी कुत्तों को एक रिक्शा ट्राली में बंद कर किसी मोहल्ले में छोड़ दिया जाता था। जैसे ही कुत्ते वहां भागते थे, पुलिस वाले उन्हें पकडऩे में लग जाते थे और वे लोग भाग आते थे। हालांकि इसके बाद पुलिस ने छापे मारकर बहुत से लोगों को पकड़ा। इसमें कांति बेन पटेल की बेटी मीनल भी थीं, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। बाद में वह बेटे के साथ गुजरात वापस चली गईं। उनका बेटा अब वहीं कारोबार करता है।

    रोजा इफ्तार में कानपुर आए थे रामजन्म भूमि के प्रधान पुजारी

    वर्ष 1998 में हनुमान गढ़ी में महंत ज्ञानदास ने रोजा इफ्तार व ईद मिलन समारोह रखा था। इसमें कानपुर से शरफुद्दीन एडवोकेट, डा.मुस्तफा तारिक, इरफान अंसारी, नफीस नूरी आदि लोग गए थे। इसके बाद जब वर्ष 2010 में मुस्लिम एसोसिएशन ने हलीम कालेज में रोजा इफ्तार का आयोजन किया तो इसमें राममंदिर के प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास भी आए।

    2016 में मुस्लिम एसोसिएशन के महामंत्री अब्दुल हसीब की अध्यक्षता में हलीम इंग्लिश स्कूल में हुए सद्भाव सम्मेलन में भी सत्येंद्रदास जी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी। इससे पहले वर्ष 1998 में अयोध्या से अजमेर तक सद्भाव यात्रा का आयोजन किया गया था। यात्रा का पड़ाव दो दिन तक कानपुर में रहा। यात्रा में महंत धर्मदास, प्रधान पुजारी सत्येंद्र दास, स्वामी हरिदयाल के साथ कानपुर से एमए हलीम, शरफुद्दीन अहमद आदि भी शामिल हुए थे।

    क्षेत्र संघ चालक के घर आते थे मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रमुख नेता

    कानपुर में तिलक नगर राम मंदिर आंदोलन की रणनीति तैयार करने का कानपुर में बड़ा केंद्र था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्र संघ चालक रहे ईश्वर चंद्र गुप्ता के घर संघ व विहिप से जुड़े पदाधिकारियों का अक्सर प्रवास होता था। शहर के प्रमुख उद्यमियों में से एक ईश्वर चंद्र गुप्ता राम मंदिर आंदोलन से बहुत करीब से जुड़े थे। वह संघ में क्षेत्र संघ चालक के पद पर रहे। राम मंदिर आंदोलन को देखते हुए मंगलवार का दिन उनके लिए खास था। चार अगस्त को उनका जन्मदिन होता है और वह जिस आंदोलन से जुड़े थे, बुधवार को भूमि पूजन।

    आंदोलन में आगे बढ़कर नेतृत्व करने की उनकी क्षमता की वजह से ही राम मंदिर आंदोलन में जब गिरफ्तारी देने की रूपरेखा तैयार की गई तो सबसे पहले उनके नेतृत्व में तमाम पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने घंटाघर चौराहे पर गिरफ्तारी दी। पुलिस को आदेश थे कि जहां से रामभक्त चलें, उन्हें वहीं गिरफ्तार कर लिया जाए, लेकिन गिरफ्तारी देने वालों से कहा गया था कि वे किसी भी हाल में घंटाघर तक पहुंचें। चौक बाजार के अंदर धोबी मोहाल से उनके नेतृत्व में कार्यकर्ता निकले। पुलिस गिरफ्तार न कर सके, इसलिए कमला टावर, जनरलगंज, नयागंज की गलियों के अंदर से होते हुए वे घंटाघर पहुंचे। यहां पुलिस से उनकी झड़प भी हुई। हालांकि इसके बाद गिरफ्तारी दी गई।

    उनके पुत्र विनीत चंद्रा के मुताबिक घर में नियमित रूप से रज्जू भइया, स्वामी परमानंद, साध्वी ऋतंभरा आदि का आना जाना रहता था। 1992 में जब वह सांसद बन चुके थे, दिल्ली में राम मंदिर आंदोलन चल रहा था। उस दौरान पुलिस ने उन सभी को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। आंसू गैस का गोला उनके पैर से सीधे टकराया और उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया। इसके बाद वह दिल्ली से प्लास्टर बंधवा कर आए थे।

    राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होते थे नरेंद्र मोहन जी के लेख

    राष्ट्रीय आदर्श, राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा और राम मंदिर को एक साथ दैनिक जागरण के संपादक नरेंद्र मोहन जी के लेखों से समझा जा सकता है। उनके राम मंदिर आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत लेखों की उस दौरान हर ओर चर्चा होती थी। वे उन बिंदुओं को भी बड़ी सहजता से उठाते थे, जिनके बारे में लोग उस समय बोलने में भी झिझकते थे। विहिप द्वारा की गई शिलापूजन के मुद्दे पर उन्होंने लिखा था कि इस शिलापूजन के बाद आम जनमानस में जिस तरह की वैचारिक उथल पुथल हुई है, वह जनता द्वारा किया जाने वाला आत्मचिंतन व आत्म मंथन है।

    आत्मचिंतन हमेशा नई निर्माणकारी ऊर्जा को जन्म देता है। ऐसा आत्मचिंतन वर्षों से इस देश में नहीं हुआ। उन्होंने अपने एक लेख में यह भी लिखा था कि रामजन्म स्थल की समस्या राष्ट्रीय स्वाभिमान, राष्ट्रीय आदर्शों व राष्ट्रीय संस्कृति से जुड़ी है। मंदिर आंदोलन को दिशा देने वाले अशोक सिंघल भी उनके राष्ट्रवाद को प्रेरित करने वाले लेखों से प्रभावित थे। नरेंद्र मोहन जी के देहावसान के बाद लिखी गई पुस्तक में उन्होंने इसका उल्लेख भी किया। उनके विचारों से प्रभावित होकर विहिप के पदाधिकारियों ने खुद ही इच्छा जाहिर की थी कि वह विहिप में केंद्रीय उपाध्यक्ष के रूप में शामिल हों।

    comedy show banner
    comedy show banner