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    बंटवारे के बीच भारत लाई गई थी अखंड ज्योति, कानपुर के झूलेलाल मंदिर में 75 वर्षों से प्रज्ज्वलित

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sun, 22 Aug 2021 07:59 AM (IST)

    कानपुर में भगवान झूलेलाल मंदिर सिंधी समुदाय के आस्था का केंद्र है यहां प्रज्ज्वलित अखंड ज्योति को पाकिस्तान के सिंध स्थित भागवान झूलेलाल के मंदिर से बंटवारे के समय वर्ष 1947 में उद्धव दास फानूस में रखकर बड़ी सावधानी से लाया गया था।

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    कानपुर के झूलेलाल मंदिर में चल रहा चालिहा महोत्सव।

    कानपुर, [मोहम्मद दाऊद खान]। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान के सिंध स्थित भागवान झूलेलाल के मंदिर में प्रज्ज्वलित अखंड ज्योति 1947 में ग्वालियर फिर वहां से 1948 में कानपुर आई। सिंधी समाज के उद्धव दास फानूस में रखकर ज्योति को लेकर यहां आए थे। पहले उन्होंने पी रोड स्थित वनखंडेश्वर मंदिर के पास कमरे में इस ज्योति को रखा और पीरोड रामबाग स्थित श्री भगवान झूलेलाल मंदिर बना तो उसमें ज्योति स्थापित की गई। तभी से यह ज्योति मंदिर में जल रही है और दूर- दूर से श्रद्धालु इसके दर्शन पूजन को यहां आते हैं। 25 अगस्त को मंदिर के पट खुलेंगे और भक्तों को इस ज्योति के दर्शन होंगे।

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    सिंधी समुदाय का चालिहा महोत्सव चल रहा है। चालीस दिन बीतने के बाद पीरोड स्थित भगवान झूलेलाल मंदिर में अखंड ज्योति के पट खुलेंगे और श्रद्धालु दर्शन करेंगे। मंदिर में स्थापित अखंड ज्योति वर्ष 1948 से निरंतर प्रज्ज्वलित है। ज्योति कि सेवा श्री झूलेलाल अखंड ज्योति ट्रस्ट के पदाधिकारी करते हैं। अखंड ज्योति की वजह से पीरोड स्थित भगवान झूलेलाल मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र भी है।

    ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी लक्ष्मण कुमार आडवानी बताते हैें कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त सिंधी समुदाय के लोग भारत आ रहे थे। इस दौरान उद्धव दास जी अपने साथ अखंड ज्योति लेकर ग्वालियर पहुंचे। वहां दानापुर मोहल्ले में इस ज्योति से दूसरी ज्योति प्रज्ज्वलित कर उसे स्थापित किया। इसके बाद वे अखंड ज्योति के साथ 1948 में कानपुर आ गए। श्री झूलेलाल अखंड ज्योति ट्रस्ट के सदस्य तथा उद्धव दास जी के पौत्र अशोक किशनचंद का कहना है कि उनके बाबा नहीं चाहते थे कि बंटवारे के वक्त सिंध के ठठ्ठा स्थित मंदिर में प्रज्ज्वलित अखंड ज्योति को कोई नुकसान पहुंचे। इसीलिए वे ज्योति को फानूस में रखकर भारत ले आए।

    झूलेलाल मंदिर में है पांच अनमोल धरोहरें : भगवान झूलेलाल मंदिर में अखंड ज्योति के अतिरिक्त चार और अनमोल धरोहरें भी है। इनमें लाल साईं की चादर, डात (कमंडल) , देग व मटका शामिल हैं। इसके दर्शन भी कराए जाते है। अखंड ज्योति के साथ ये धरोहरें भी पाकिस्तान के सिंध से यहां लाई गईं थीं।

    पीरोड रामबाग स्थित भगवान झूलेलाल का मंदिर पूरे देश के सिंधी समाज की आस्था का केंद्र है। अखंड ज्योति की वजह से इसका महत्व बहुत अधिक है। चालिहा महोत्सव पर 23 से 25 तक मंदिर में कार्यक्रम होंगे। 25 को अखंड ज्योति के पट खुलेंगे। -अशोक माखीजा, अध्यक्ष श्री झूलेलाल अखंड ज्योति ट्रस्ट

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