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    यूपी में 14 स्टेट टैक्स अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई, पांच अपर आयुक्तों से भी मांगा गया स्पष्टीकरण

    Updated: Sun, 29 Dec 2024 07:37 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने कर वसूली में लापरवाही बरतने वाले 14 राज्य कर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। पांच अपर आयुक्तों से स्पष्टीकरण मांगा गया है जबकि चार संयुक्त आयुक्त और पांच उपायुक्तों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में कर राजस्व लक्ष्य से कम वसूली की है।

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    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विभिन्न कारणों से कर वसूली में फिसड्डी रहने पर राज्य कर के 14 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पांच अपर आयुक्तों से जहां स्पष्टीकरण तलब किया गया है वहीं चार संयुक्त आयुक्त और पांच उपायुक्तों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही करने के आदेश दिए गए हैं।

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    प्रमुख सचिव राज्य कर एम देवराज ने पिछले दिनों नवंबर माह में कर राजस्व वसूली की समीक्षा की थी। समीक्षा में जिन पांच जोन में कर राजस्व लक्ष्य से सबसे कम कर की वसूली रही उनके संबंधित अधिकारियों को प्रथमदृष्टया दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।

    इन अधिकारियों से मांगा गया स्पष्टीकरण

    जिन पांच अपर आयुक्त ग्रेड-एक से कम कर राजस्व वसूली पर स्पष्टीकरण मांगा गया है उनमें गाजियाबाद के तत्कालीन अपर आयुक्त ग्रेड-1 दिनेश मिश्र (वर्तमान में बरेली में तैनात), मेरठ के हरिराम चौरसिया, सहारनपुर के धीरेन्द्र प्रताप सिंह, कानपुर के शशांक शेखर मिश्र और लखनऊ के राजेश पाण्डे हैं।

    अन्य जिन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं उनमें गाजियाबाद रेंज ए के संयुक्त आयुक्त(कार्यपालक) अजय प्रताप सिंह, कानपुर रेंज ए के संयुक्त आयुक्त (कार्यपालक) कौशल किशोर शर्मा, लखनऊ रेंज सी के संयुक्त आयुक्त (कार्यपालक) नीरज सिंह और कानपुर जोन दो के संयुक्त आयुक्त (कारपोरेट) रणकेंद्र हैं।

    जिन पांच उपायुक्तों के खिलाफ भी विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही का निर्णय किया गया है उनमें सोनभद्र खंड-तीन के दुर्गा प्रसाद सिंह, उन्नाव खंड-दो के दिनेश कुमार सिंह, खतौली खंड-दो के जयशंकर शाही, लखनऊ खंड-19 के अशोक कुमार त्रिपाठी और गौतमबुद्धनगर नोएडा खंड-तीन के सूरज सिंह गौतम हैं। आरोपों की जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई की जा सकती है।