कानपुर पुलिस का दोहरा रवैया, एक जैसे आरोप... दो मामले; एक आरोपी को जेल तो ACP मोहसिन खान को राहत!
Kanpur News कानपुर आईआईटी में यौन उत्पीड़न के मामलों में पुलिस के दोहरे रवैये पर सवाल उठ रहे हैं। एक मामले में त्वरित गिरफ्तारी हुई जबकि दूसरे मामले में आरोपी एसीपी मोहसिन खान (ACP Mohsin Khan) को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। इससे पुलिस की कार्रवाई पर लोगों में चर्चा हो रही है और निष्पक्षता पर संदेह पैदा हो रहा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। अपराध पर अंकुश लगाने और आरोपितों को जेल पहुंचाने वाली पुलिस भी अपने अनुसार ही कार्रवाई करती है। आइआइटी की एक महिलाकर्मी से यौन उत्पीड़न के आरोपित को तो पुलिस ने फरवरी में गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन इसी तरह से आइआइटी की शोधार्थी से यौन उत्पीड़न के आरोपित निलंबित एसीपी मोहसिन खान को पुलिस से राहत मिली, जिसका लाभ उन्हें हाईकोर्ट से स्टे मिलने का हुआ। अब लोगों में भी पुलिस के दो स्वरूप को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं।
पूर्वोत्तर के एक राज्य की रहने वाली इंजीनियर आइआइटी कानपुर के साइबर सिक्योरिटी के प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। उन्होंने सहकर्मी इंदौर निवासी शुभम मालवीय पर शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न का मुकदमा कल्याणपुर थाने में जनवरी-2024 को दर्ज कराया था। मामले में पांच दिन बाद ही पुलिस ने आरोपित शुभम को जेल भेज दिया था।
12 दिसंबर 2024 को IIT छात्रा ने तत्कालीन ACP पर दर्ज कराया था मुकदमा
इसी तरह से 12 दिसंबर 2024 में आइआइटी की शोधार्थी ने तत्कालीन एसीपी कलक्टरगंज मोहसिन खान पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा कल्याणपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। अधिकारियों ने मोहसिन की गिरफ्तारी कराने की बजाय उन्हें उसी शाम हेड क्वार्टर संबद्ध कर दिया था। बाद में छात्रा की ओर से एसीपी पर धमकाने के आरोपों में एक और मुकदमा दर्ज कराया गया था, लेकिन एसीपी के खिलाफ पुलिस ने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की और उसका लाभ उन्हें मिला।
एसीपी 19 दिसंबर को हाई कोर्ट से स्टे ले आए। करीब तीन महीने बाद पुलिस मुख्यालय ने एसीपी को निलंबित कर दिया था। अब मोहसिन की पत्नी ने शोधार्थी पर ही धमकाने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगा कोर्ट से गुहार लगाई थी।
एक जैसे मामलों में पुलिस का दोहरा रवैया
कोर्ट ने नवाबगंज थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दिए हैं। इन दोनों मामलों में पुलिस के दो स्वरूप साफ देखने को मिले हैं। एक को किस तरह से राहत दी गई और दूसरे मामले में कितनी तेजी से आरोपित को जेल भेज दिया गया।
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