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    International Family Day 2020 : चार पीढिय़ों वाले 34 सदस्यों का ये परिवार, लुटा रहा है एक दूसरे पर प्यार

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Fri, 15 May 2020 04:33 PM (IST)

    आर्यनगर में 88 वर्षीय लीलावती शुक्ला की चार पीढिय़ां बता रही हैं क्या होता है संयुक्त परिवार का सुख। ...और पढ़ें

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    International Family Day 2020 : चार पीढिय़ों वाले 34 सदस्यों का ये परिवार, लुटा रहा है एक दूसरे पर प्यार

    कानपुर, [राजीव सक्सेना]। विपत्ति में मित्र की अहमियत समझ आती है तो परिवार की भी। कोविड-19 महामारी के बीच लॉकडाउन की बंदिशें शुरू हुईं तो एकल परिवारों से मनोचिकित्सकों के पास अवसाद संबंधी फोन आने लगे थे। वहीं बंदिश के इस समय को संयुक्त परिवारों ने अपनी खुशियों से काबू में कर लिया। ऐसा ही एक परिवार है, आर्यनगर निवासी 88 वर्षीय लीलावती शुक्ला का। उनके जीवन में यह मौका पहली बार आया है, जब किसी को बाहर नहीं जाना है। बच्चे मस्ती कर रहे हैं तो बड़े भी शामिल हैं। चार पीढिय़ों के 34 सदस्य इस खुशी का पूरा लुत्फ ऐसे ही उठा रहे हैं।

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    सराफा कारोबार से जुड़ा है परिवार

    लीलावती शुक्ला के साथ उनके चार बेटे-बहू, फिर उनके बेटे-बहू और उनके बच्चे साथ रहते हैं। लीलावती के सबसे छोटे बेटे राजेंद्र कुमार शुक्ला बताते हैं, परिवार सराफा कारोबार से जुड़ा है। आर्यनगर में तीन और चौक में एक दुकान हैं। कुछ बच्चे नौकरी भी कर रहे हैं। कौन क्या कर रहा, कहां है, इसकी जानकारी बड़े भाई महेंद्र को देनी जरूरी है। मां के निर्देशन में उन्होंने ही परिवार की इस माला को पिरोकर रखा हुआ है। लॉकडाउन में यह माला और मजबूत हुई। पहले शाम को ही कुछ वक्त मिल पाता था, अब पूरे वक्त साथ हैं। खूब बातें हो रही हैं। सबकी फरमाइश है और पूरी हो रही है। बहुओं ने इस दौरान जितनी नई डिश बनाई, शायद ही कभी बनी हो।

    लॉकडाउन में एक दूसरे के साथ मस्ती कर रहे सभी

    शाम होते ही छत पर बड़े-छोटे की टीम बनाकर क्रिकेट मैच। बच्चे भी खुश कि हम उनके साथ खेल रहे, समय दे रहे। दो भाई वीरेंद्र कुमार और नरेंद्र कुमार की बेटियां भी अपने बच्चों संग आई हुई हैं, इसलिए खुशी दोगुनी हो गई है। हर शनिवार सुंदरकांड का पाठ होता है। पहले काम की आपाधापी में सभी शामिल नहीं हो पाते थे। अब पूरा परिवार साथ बैठता है। लीलावती के बेटे धीरेंद्र कुमार और बहू ममता का निधन हो चुका है। उनके बेटे राहुल और रवि, अपने पांच बच्चों के साथ इस परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं। राहुल चहकते हुए बताते हैं, मदर्स डे पर घर के सभी लड़कों ने मिलकर खाना बनाया था। खूब मजा आया।

    इनका ये है कहना

    पूरा परिवार एक साथ है, इससे बढ़कर क्या चाहिए। बच्चे हर समय मेरे साथ रहते हैं। मन बहुत खुश रहता है।

    - लीलावती शुक्ला।

    लॉकडाउन में 50-55 दिन कैसे गुजर गए, परिवार के बीच पता ही नहीं चला। इतने दिन और काटने पड़े तो कोई दिक्कत नहीं।

    - महेंद्र कुमार शुक्ला, दूसरी पीढ़ी में सबसे बड़े।

    यह मेरी ङ्क्षजदगी का गोल्डन पीरियड है। हम सब ने इतना समय एक साथ और जैसे बिताया, शायद ही अब बिताने को मिले।

    - अभिषेक शुक्ला, तीसरी पीढ़ी में सबसे बड़े।

    हम लोगों को कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं। घर में ही खूब मजा आया। कई नए खेल भी खेले।

    - वंशिका शुक्ला, चौथी पीढ़ी में सबसे बड़ी।