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    क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच तत्व से बना शरीरा

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    Updated: Thu, 02 Feb 2012 08:19 PM (IST)

    कानपुर, शिक्षा संवाददाता : शरीर हो या प्रकृति सभी पांच तत्व से बने हैं। इन तत्वों को नृत्य कला के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत कर गोस्वामी तुलसीदास के कथन 'क्षिति, जल पावक गगन समीरा, पंच तत्व से बना शरीरा' को चरितार्थ किया जा सकता है। बच्चों ने लाजपत भवन में यह करके दिखाया तो तालियां गूंज उठीं।

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    मौका था सरपदमपत सिंहानिया एजुकेशन सेंटर के स्थापना दिवस समारोह का जिसमें 'पंचतत्वम् 'कार्यक्रम के अंतर्गत जिया, देवांशी, विनायक व वंशिका ने सभी तत्वों को प्रतीक रूप से मंच पर जीवंत किया। छात्राओं के शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से श्रीगणेश वंदना की अनुपम प्रस्तुति के साथ शुरू हुए समारोह में ये 'हौसला कैसे झुके' गीत से विद्यार्थियों ने आत्मविश्वास को प्रकट किया। 'ए खुदा' गीत का गायन, फ्यूजन नृत्य एक्सटैसी में कथक, स्पेनिश नृत्य का घालमेल, अपूर्वा भंट्टाचार्या का 'मोरे सैंया मुझसे बोलत न' का शास्त्रीय गायन, आक्रेस्ट्रा पर विविध वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी, देवयानी सिंह की 'बरखा बहार आई' गीत की प्रस्तुतियां दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली थीं। 'हिप टॉप' नृत्य ने आधुनिकता बोध कराया तो 'शिव शंभू' गीत पर पल्लवी त्रिवेदी ने भारतीय नृत्य की शक्ति प्रदर्शित की। नाटक 'दि लाइट आफ एशिया' से विद्यार्थियों ने गौतमबुद्ध के संदेश प्रसारित किये।

    मुख्य अतिथि सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने मेधावियों को पुरस्कार प्रदान कर कहा, कला व साहित्य बच्चों का सर्वागीण विकास करते हैं। स्वागत प्रधानाचार्या डॉ. रीता श्रीवास्तव, संचालन पूजालाल चंदानी, छात्रा दिव्यांति मिश्र व मेघना त्रिपाठी ने किया। वाइस चेयरपरसन वर्षा सिंहानियां मौजूद थीं। प्रवीणा अरोरा ने धन्यवाद दिया।

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