छह किमी ट्रैक पर 'मौत' के 77 रास्ते
कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक किनारे बनाई गई दीवार क्षतिग्रस्त, आसपास की बस्तियों के लोग आने-जाने के लिए गिरा देते दीवार
जागरण संवाददाता, कानपुर : अमृतसर हादसे को भले ही सबक कहा जाए, मगर रेल महकमा अभी गहरी नींद में है। रविवार को कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक की पड़ताल में सामने आया कि छह किलोमीटर ट्रैक पर 77 स्थानों पर दीवार क्षतिग्रस्त है। यहां हादसे भी होते हैं लेकिन सुरक्षा को लेकर कदम नहीं उठते। शायद, यहां भी किसी बड़े हादसे का इंतजार है।
कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक का बड़ा हिस्सा शहर के बीचोबीच व्यस्ततम जीटी रोड के किनारे से गुजरता है। जरीब चौकी से अवधपुरी मोड़ तक दीवार है, जबकि इसके आगे लोहे के राड लगाए गए हैं। जागरण संवाददाता ने रविवार को दीवार की पड़ताल की तो लगभग छह किमी में 77 स्थानों पर दीवार टूटी मिली। कई स्थानों पर दीवार का 10 से 15 मीटर हिस्सा गायब था।
बस्ती वालों ने ढहा दी दीवार
दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर के सामने 100 मीटर लंबाई में दीवार पूरी तरह से तोड़ दी गई है। इसके पीछे ट्रैक किनारे बस्ती का होना है। बस्ती वालों ने अपनी सुविधा के लिए पूरी दीवार ही ढहा दी।
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लखनऊ व हावड़ा रूट पर भी यही हाल
लखनऊ और हावड़ा रेलवे ट्रैक किनारे बनी दीवार भी बदहाल स्थिति में है। लखनऊ रूट पर दो किलोमीटर तक दीवार में 17 कट हैं। यहां से लोग बेखौफ होकर ट्रैक पार करते हैं। हावड़ा रूट पर शिवनारायण टंडन सेतु के नीचे तो रेलवे ने बाकायदा आम लोगों को निकलने के लिए रास्ता दिया है। यहां से रोजाना सैकड़ों लोग रेलवे ट्रैक पार करते हैं।
यह है नियम
रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत अवैध रूप से रेलवे ट्रैक पार करना या ट्रैक किनारे बनी दीवार को क्षतिग्रस्त करना अपराध है। ऐसा करने पर पकड़े गए आरोपित को पांच सौ से एक हजार रुपये तक अर्थदंड या एक महीने से छह महीने तक कैद की सजा हो सकती है।
कम होती कार्रवाई
रेलवे पुलिस कभी-कभार ही कार्रवाई करती है। आरपीएफ सेंट्रल रेलवे स्टेशन ने इस वर्ष 6, जीएमसी आरपीएफ ने 147 लोगों का चलान किया। जबकि सैकड़ों लोग रोजाना अवैध रूप से ट्रैक पार करते हैं।
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होते रहते हादसे
कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। जल्दबाजी में ट्रैक पार करते समय हर साल लगभग एक दर्जन लोगों की जान चली जाती है।
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रेलवे ट्रैक के किनारे दीवार का निर्माण कराने पर विचार चल रहा है। यहां कंकरीट की दीवार बनाई जानी है, ताकि उसे आसानी से तोड़ा न जा सके।
- संजय यादव, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी एनईआर