जीएसटी में 21 तरह के अपराधों पर लग सकता जुर्माना, हो सकती है जेल
कानपुर इनकम टैक्स बार एसोसिएशन द्वारा जीएसटी पर गोष्ठी आयोजित ।
कानपुर, जेएनएन। जीएसटी विशेषज्ञ संजय अग्रवाल ने बताया है कि जीएसटी में 21 तरह के अपराधों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। कहा, यह कानून तय करता है कि जुर्माना लगाना अनिवार्य है या नहीं। इसके साथ ही वही न्यूनतम और अधिकतम जुर्माना कितना होगा यह तय करता है। उनके मुताबिक कानून में दंड का प्रावधान इसलिए किया जाता है ताकि करदाता कानून का पालन करें।
कानपुर इनकम टैक्स बार एसोसिएशन द्वारा जीएसटी पर आयोजित गोष्ठी में सिविल लाइंस स्थित आयकर भवन में उन्होंने कहा कि जीएसटी में 21 तरह के अपराध बताए गए हैं। इनके तहत अर्थदंड लगाया जा सकता है। इन्हें अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है। इसमें धोखाधड़ी, कर चोरी, टीडीएस और टीसीएस से जुड़े अपराध, इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़े अपराध, परिवहन और भंडारण से जुड़े अपराध आदि शामिल हैं। अधिकाश मामले में कम से कम दस हजार या टैक्स के बराबर मूल्य में जो भी अधिक हो, उसे लगाया जा सकता है। कानून एवं नियमों के उल्लंघन में अधिकारी 25 हजार रुपये तक लगा जुर्माना सकते हैं।
उनके मुताबिक कर चोरी के मामले में जेल की सजा भी हो सकती है। एक करोड़ में एक वर्ष, दो करोड़ में तीन वर्ष तथा पाच करोड़ में पाच वर्ष जेल की सजा होगी। अप्रत्यक्ष कर समिति के सभापति संतोष कुमार गुप्ता ने कहा कि ब्याज एक प्रकार का दंड है, लेकिन कभी-कभी यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध होता है। उन्होंने कहा कि सीधे नोटिस जारी कर वसूली न की जाए। नोटिस पर सफाई का मौका दिया जाए।
गोष्ठी की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष दीप कुमार मिश्र ने की। उन्होंने कहा कि जीएसटी में गिरफ्तारी का प्रावधान व्यापारी के उत्पीडऩ का जरिया बन सकता है। संचालन महामंत्री राजीव कुमार गुप्ता ने किया। आभार उपाध्यक्ष शरद शेखर श्रीवास्तव ने जताया। गोष्ठी में प्रदीप द्विवेदी, विष्णु माहेश्वरी, अशोक शुक्ल, शिवमोहन त्रिवेदी, ऐश्वर्य गुप्ता, योगेंद्र अरोड़ा, शैलेंद्र सचान, प्रशांत रस्तोगी, पुरुषोत्तम दास गुप्ता, विनोद सिंह सचान आदि रहे।
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