जैविक खेती का बना पंचांग, 27 फीसद ज्यादा मुनाफा
जागरण संवाददाता, कानपुर : जैविक खेती से रोगमुक्त, खनिज तत्व युक्त, सुगंधित व बंपर फसलों की पैदावार स
जागरण संवाददाता, कानपुर : जैविक खेती से रोगमुक्त, खनिज तत्व युक्त, सुगंधित व बंपर फसलों की पैदावार संभव है। जरूरत है तो खेती की इस प्राचीनतम पद्धति को आधुनिकीकरण के साथ करने की। गेहूं, चावल व सब्जियों की जैविक खेती के लिए पंचांग बनाया गया है। यह पंचांग चंद्रमा, पूर्णिमा व अमावस्या को देखकर तैयार किया गया है। इसके अनुसार हर महीने जैविक खेती के अनुसार फसल बोने के कुछ दिन आते हैं।
सीएसए में जैविक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला में आए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानव संसाधन विकास केंद्र के निदेशक प्रो. राजेश कुमार दुबे ने बताया कि मेघालय सरकार ने प्रदेश का जैविक खेती पंचांग बनाया है। उन्होंने इसका अध्ययन किया और पाया कि जैविक खेती में ग्रह नक्षत्र का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ग्रीन ग्रोथ पर काम करने वाले प्रो. दुबे का मानना है कि पंचांग से जैविक खेती करके 27 फीसद अधिक फसल पैदा की जा सकती है। यह पोषक तत्वों से युक्त होती है। खेती में दिन और रात दोनों का बराबर महत्व होता है। आधुनिक विज्ञान में भी यह पढ़ाया जाना चाहिए। उदाहरण देते हुए बताया कि दिन छोटा व रात बड़ी होने पर गेहूं की खेती की जानी चाहिए जबकि रात छोटी व दिन बड़ा होने का समय खरबूज व तरबूज की खेती के लिए मुफीद होता है।
पहले लागत अधिक व उत्पादन कम होता है :
जैविक खेती पर शोध कार्य करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा से आए डा. वाईबी सिंह इसे शुरुआती दौर में कम लाभदायक मानते हैं लेकिन भविष्य में इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम सामने आने की बात कहते हैं। गेहूं, चावल, चना, मटर, मसूर, अरहर व सब्जी समेत अन्य फसलों की जैविक खेती के लिए संस्थान ने किसानों के लिए करीब 25 पैकेज तैयार किए हैं। इसके जरिए खेती करके जल्द अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।