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    शुद्ध आहार, स्वस्थ मन से काया होगी निरोगी

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 26 May 2017 01:01 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, कानपुर : अधिकांश बीमारियों का कारण मानसिक तनाव है। योग, प्राणायाम से तनाव को दूर कि

    शुद्ध आहार, स्वस्थ मन से काया होगी निरोगी

    जागरण संवाददाता, कानपुर : अधिकांश बीमारियों का कारण मानसिक तनाव है। योग, प्राणायाम से तनाव को दूर किया जा सकता है। अगर स्वस्थ रहना चाहते हैं तो शुद्ध आहार लें। मन को स्वस्थ रखें और अपनी आत्मा की आवाज को सुनें। आपकी काया निरोगी रहेगी। ये बातें स्वामी बिहार योग विद्यालय एवं विश्व योग पीठ मुंगेर के संयुक्त तत्वावधान में स्वयं को जानो योगोत्सव भारत योग यात्रा के संयोजक स्वामी शिवराजानंद सरस्वती ने 'स्वयं को जानो योग उत्सव' स्थल कोकाकोला चौराहा स्थित होटल कान्हा गैलेक्सी में पत्रकारों से कही।

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    उन्होंने कहा कि शरीर में सात चक्र हैं। जब इन चक्रों का संतुलन बिगड़ता है तो विभिन्न तरह की बीमारियां होती हैं। इस लिए जब आहार शुद्ध होगा। दीन दुखियों, गाय की सेवा करेंगे तो इनका संतुलन बना रहेगा और आप स्वस्थ रहेंगे।

    इन चक्रों में संतुलन जरूरी

    मूलाधार चक्र: इस चक्र में असंतुलन आने पर घुटना, कमर, जोड़ों का दर्द होता है। गुर्दा में संक्रमण, ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी में दर्द होता है।

    संतुलन बनेगा : इस चक्र में संतुलन बना रहे इसके लिए लाल रंग के फल, फूल, सब्जी का सेवन करें।

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    स्वाधिष्ठान चक्र: इसमें असंतुलन से हार्निया, मासिक धर्म में अनियमितता, पाइल्स, योग संबंधी रोग, संतान न होने की समस्या आती है।

    संतुलन बनेगा: यह चक्र जल तत्व है इसलिए संतरा, मौसमी, पीले रंग के फल, फूल और सब्जी का सेवन करें। गाय व दीन-दुखियों की सेवा करें।

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    मणिपुर चक्र : इसमें असंतुलन से पेट संबंधी रोग, मधुमेह, कैंसर, लिवर के रोग, मोटापा आदि होता है।

    संतुलन बनेगा : यह अग्नि तत्व का कारक है। पीले रंग के फल, सब्जी का सेवन और दान करें।

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    अनाहत चक्र: इसमें असंतुलन से हृदय, फेफड़ा, लिवर, उच्च रक्तचाप, श्वांस संबंधी रोग होते हैं।

    संतुलन बनेगा : हरे रंग के फूल, हरी सब्जियों का सेवन करें। गरीबों को भोजन कराएं।

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    विशुद्धि चक्र: इसमें असंतुलन से थायराइड, कैंसर के साथ ही दुबलापन, मोटापा और खर्राटा लेने की समस्या आती है।

    संतुलन बनेगा: सदैव मीठा बोलें।

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    आज्ञा चक्र: इसमें असंतुलन से माइग्रेन, आंख, नाक संबंधी रोग होता है।

    संतुलन बनेगा: शुद्ध वातावरण में रहें। जामुन का सेवन करें। गरीबों, बुजुर्गो और गाय की सेवा करें।

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    सहस्त्रार्थ चक्र : इसमें असंतुलन से अनिद्रा, डिप्रेशन, स्मरण शक्ति में कमी, मस्तिष्क में विकार होता है।

    संतुलन बनेगा: कुछ देर मौन रहें। मन को एकग्राचित कर भगवान का चिंतन करें।

    इस तरह दूर करें तनाव

    स्वामी कैवल्यानंद ने कहा कि तनाव को दूर करने के लिए काकी मुद्रा अपनाएं। कौए की चोंच की तरह मुंह बनाएं। गहरी सांस लें और फिर उसे नाक से छोड़ दें। ऐसा कम से कम दस बार करें। तनाव दूर होगा। उन्होंने कहा कि जो कृष्ण के बांसुरी की धुन है वह आत्मा की आवाज है। जो हमारी इंद्रिया हैं वह गोपियों की तरह हैं। जब आप आत्मा की आवाज सुनेंगे। इंद्रियों को नियंत्रण में रखेंगे तो प्रसन्न रहेंगे।

    योगाभ्यास कराया

    स्वामी कैवल्यानंद और स्वामी शिवराजानंद ने कान्हा गैलेक्सी होटल में सुबह और शाम के समय योगाभ्यास कराया और स्वस्थ रहने के गुर बताए।