बारिश ने तोड़ा 36 साल का रिकार्ड
वर्ष 1985 में अक्टूबर में उत्तर पूर्वी मानसून से हुई थी 161.2 मिमी बारिश -18 अक्टूबर को जनपद में 166.8 मिमी वर्षा सड़कें टूटीं फसलें जलमग्न ...और पढ़ें

-वर्ष 1985 में अक्टूबर में उत्तर पूर्वी मानसून से हुई थी 161.2 मिमी बारिश
-18 अक्टूबर को जनपद में 166.8 मिमी वर्षा, सड़कें टूटीं, फसलें जलमग्न
जागरण संवाददाता, कन्नौज: दक्षिण-पूर्वी मानसून से जनपद में 166.8 मिमी रिकार्ड वर्षा हुई, जिसने पिछले 36 साल का रिकार्ड तोड़ दिया। इससे पहले साल 1985 में 161.2 मिमी बारिश हुई थी, उस समय भी फसलों में भारी नुकसान हुआ था। वहीं, 18 अक्टूबर को भारी बारिश से जिले में जहां सड़कें और पुलिया टूट गईं, तो खेत तालाब बन गए। आलू और धान की फसल पूरी तरह तबाह हो गई।
मौसम विभाग ने 21 अक्टूबर तक जिले में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। यदि जिले में 200 मिमी से अधिक बारिश हुई तो बाढ़ की विभीषिका से भी जूझना पड़ सकता है। सोमवार की रात में बारिश ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। मौसम विज्ञानियों के अनुसार दक्षिणी हिन्द महासागर से यह मानसून आया है, जिसने सबसे पहले केरल राज्य में कहर बरपाया। इसके बाद हवा के विक्षोभ से उत्तर भारत की तरफ रुख किया। हिमालय की ऊंची चोटियों से टकराकर यह उत्तर-मध्य भारत में वर्षा कर रहा है। अभी विक्षोभ शांत नहीं हुआ है और गतिरोध जारी है। इसलिए 21 अक्टूबर तक और भी अधिक वर्षा होने के संकेत मिल रहे हैं। -------- किसानों के अरमानों पर फिरा पानी भारी बारिश से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया। जिले में करीब 24 हजार एकड़ आलू की कच्ची फसल होती है, जो ईशन नदी के तटवर्ती इलाकों में की जाती है। अगस्त में बोआई करने के बाद यह आलू नवम्बर माह में बाजार में आ जाता है। अब भारी बारिश से खेतों में पानी भरने से फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। पानी में किसानों की लागत भी डूब गई। अब पक्की सीजन की बोआई हो रही थी, वह आलू भी नष्ट हो गया। इसी तरह धान की तैयार फसल भी बारिश की भेंट चढ़ गई। खेतों में पानी भरने से वह खेत में ही सड़ जाएगी। इस बारिश में सब्जियां भी नष्ट हुई हैं, जिससे सब्जियों पर भी महंगाई होगी। ----- अक्टूबर माह में हुई बारिश वर्ष वर्षा(मिमी में) 1985 161.2 1990 48.4 1994 21.6 1998 19.4 2001 56.7 2005 23.6 2010 36.5 2015 22.7 2018 24.3 2021 166.8 (आंकड़े मौसम विभाग के अनुसार) ------ जुलाई-अगस्त माह में बंगाल की खाड़ी से मानसून आया था। अब दक्षिण-पूर्वी मानसून हिन्द महासागर से आया है, जो 21 अक्टूबर तक उत्तर भारत में अधिक सक्रिय रहेगा। इस बार देर से आए मानसून के कारण नवंबर और दिसंबर माह में भी बारिश की आशंका है। ग्लोबल वार्मिग के कारण मानसून में इस प्रकार की अनियमितता देखने को मिल रही है। -डा. अजय कुमार मिश्र, मौसम वैज्ञानिक

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