हर कामना पूरी करतीं माता शीतला देवी
जनपद के प्राचीन मंदिर में शुमार माता शीतला देवी की आज भी विशेष मान्यता है। नवरात्र के दिनों ...और पढ़ें

जनपद के प्राचीन मंदिर में शुमार माता शीतला देवी की आज भी विशेष मान्यता है। नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है। कहा जाता है कि शीतला माता बच्चों पर विशेष कृपा करती हैं इस लिए यहां मुंडन संस्कार अधिक होता है। यहां जो भी कामना की जाती है, वह अवश्य पूरी होती है।
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इतिहास
क्षेत्र के ग्राम सियरमऊ स्थित माता शीतला देवी का मंदिर अति प्राचीन है। इसका जीर्णोद्वार तिर्वा के राजा ने कराया था। इतिहासकारों के अनुसार शीतला देवी का जिक्र जगनिक के आल्हखंड में किया गया है। महोबा के राजा परमाल के सेनापति आल्हा और ऊदल भी माता के भक्त थे और इसी मंदिर में रुकते थे। तिर्वा के राजा दुर्गा नरायन ने इसका स्वामित्व ग्राम सियरमऊ निवासी केशवराम तिवारी व पूर्व प्रधान रामसिंह को सौंप दिया था। इसके बाद जलालाबाद के सैनी परिवार ने माता की सेवा की। सियाराम सैनी की पांच पीढि़यां इनकी सेवा कर रही हैं।
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कैसे पहुंचे मंदिर
जीटी रोड जलालाबाद से तीन किलोमीटर दूरी पर जिला जेल रोड पर ग्राम सियरमऊ में दक्षिण तरफ मंदिर स्थित है। यहां आने वाले श्रद्धालु ट्रेन खुदलापुर रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं तो बस से आने वाले लोग जलालाबाद से मंदिर तक टेंपो द्वारा पहुंच सकते हैं। तिर्वा की तरफ आने वाले श्रद्धालु नदसिया मतौली से अनौगी होते हुए मंदिर तक पहुंच सकते है।
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शीतला माता की स्थापना कब हुई थी। इसका कोई पता नहीं है। वैसे मंदिर का भवन करीब 500 साल पुराना है, जिसे तिर्वा स्टेट के राजा ने बनवाया था। वह पिछले 22 साल से माता रानी की सेवा कर रहे है। इससे पहले उनके बाबा सियाराम और पिता नन्हेंलाल भी पुजारी रह चुके है। नवरात्र के सभी दिनों में माता रानी का फूलों से श्रृंगार किया जाता है।
- प्रमोद सैनी, प्रधान पुजारी
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शीतला माता का मंदिर कई वर्ष पुराना है। क्षेत्र के आस पास के कई गांवों के लोग माता शीतला देवी मंदिर आस्था रखते हैं। नवरात्र में देवी के दर्शनों के लिए दूर दूर से मंदिर में आते हैं।
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- अशोक यादव, सेवक।

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