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    तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें..

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 14 Aug 2021 06:25 PM (IST)

    जागरण संवाददाता कन्नौज तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें..इसी भावना के ...और पढ़ें

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    तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें..

    जागरण संवाददाता, कन्नौज : तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें..इसी भावना के साथ क्रांतिकारियों ने भारत माता की स्वाधीनता की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे दी। अब इस आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी नागरिकों को भारतीय संविधान का पालन करना चाहिए तथा राष्ट्रगान व राष्ट्रीय ध्वज का आदर करना चाहिए। 'राष्ट्र सर्वप्रथम' के सिद्धांत पर चलते हुए हम ऐसे कार्य करें, जिससे कि हमारे देश का नाम ऊंचा हो। आजादी के समय जन्मे हमारे पूर्वजों ने जागरण से अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया कि विभिन्नता में एकता ही हमारी विशेष पहचान है- सभी धर्मो का आदर करना सीखें

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    दो अगस्त 1945 को छिबरामऊ तहसील क्षेत्र के पलिया गांव में जमींदार पं. कन्हैयालाल द्विवेदी मुखिया के घर में जन्मे पूर्व प्रधानाध्यापक पं. राजकिशोर द्विवेदी ने बताया कि आजादी मिलने के बाद जब वह थोड़े बड़े हुए तो अपने पूर्वजों से स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जानकारी मिली। उस समय सभी धर्मो के लोग एक ही राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के नीचे खड़े होकर देश की आजादी के लिए लड़ते थे। कठिन संघर्षो के बाद आजादी मिली। हमे सभी धर्मो का आदर करना चाहिए यह हमारा धर्मग्रंथ और संविधान सिखाता है। आजादी के 75वें उत्सव पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सभी धर्मो का आदर करना सीखें। अनेकता में एकता को आत्मसात करते हुए हमें एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए, तभी देश महान बनेगा।

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    युवा पीढ़ी के कंधों पर विशेष जिम्मेदारी

    दो अगस्त 1945 को छिबरामऊ क्षेत्र के ग्राम महमूदपुर जागीर में किसान परिवार में जन्मे राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व प्रधानाध्यापक भारत सिंह वर्मा ने बताया कि स्वतंत्रता का आंदोलन एक ज्वाला थी। इसमें न जाने कितनी माताओं की गोद सूनी हो गई तो कितने बच्चे अनाथ हो गए। कई बहनों के माथे का सिदूर मिट गया। देश आज आजादी का उत्सव मना रहा है। ऐसे में युवा पीढ़ी के ऊपर विशेष जिम्मेदारी है। हमारा देश पहले विश्वगुरु था और अब उसी राह पर अग्रसर है। ऐसे में रक्षा, तकनीक व संसाधनों के क्षेत्र में देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधे पर है।

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    वक्त निकाल कर देश के लिए सोचें

    10 जुलाई 1946 को छिबरामऊ क्षेत्र के नौगाई गांव में जन्मे पूर्व प्रधानाध्यापक भारत सिंह प्रजापति ने बताया कि उनके जन्म के एक साल बाद आजादी मिली थी। उन्होंने बड़े-बुजुर्गो से आजादी के आंदोलन के किस्से सुने थे। अंग्रेजों ने उनके ऊपर न जाने कितने जुल्म किए थे। आज पूरा देश आजादी का उत्सव रहा है। जिस तरह लोग अपने परिवार के साथ बैठकर घर-परिवार के बारे में सोचते हैं। उसी तरह कुछ वक्त निकाल कर देश के बारे में सोचें कि एक नागरिक होने के नाते उनका देश के प्रति कितना योगदान है। निश्चित ही इससे हमारा देश प्रगति करेगा।

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    अमर सेनानियों के बताए मार्ग पर चलें

    छह अगस्त 1947 को जन्मे श्यामलाल खंडेलवाल इंटर कालेज विशुनगढ़ के पूर्व प्रवक्ता रामप्रकाश शाक्य ने बताया कि आजादी के लिए लड़ने वाले अमर सेनानियों ने हमे जो मार्ग दिखाया है। उस पर चलने की आवश्यकता है। अपना हक पाने के लिए संघर्ष करना हमारे बुजुर्गो ने सिखाया है। आजादी के बाद हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि हम अपने देश के विकास में योगदान दें, यही हमारी सच्ची देशभक्ति होगी। देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें। इसी सिद्धांत को आत्मसात करते हुए हमारा चितन राष्ट्र के लिए हो, तभी हम सच्चे देशभक्त कहलाने के अधिकारी होंगे।