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    कन्नौज में हादसा, कच्ची दीवार ढहने से मलबे में दबकर बिहार के भाई-बहन की मौत, युवती गंभीर

    Kannauj News कन्नौज में ईंट भट्ठा पर काम कर रहे बिहार के मजदूर भाई-बहन और एक युवती कच्ची दीवार गिरने से मलबे में दब गए। इस हादसे में भाई-बहन की मौके पर ही मौत हो गई जबकि युवती गंभीर रूप से घायल हो गई। घटना ट्रैक्टर-ट्राली से ईंट उतारते समय हुई।

    By amit kuswaha Edited By: Anurag Shukla1Updated: Sun, 24 Aug 2025 06:04 PM (IST)
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    कच्ची दीवार गिरने की वजह से भाई बहन की मौत।

    जागरण संवाददाता, कन्नौज। कन्नौज (Kannaoj) में ट्रैक्टर-ट्राली से ईंट उतारते समय बिहार निवासी मजदूर, बालिका बहन और युवती पर कच्ची दीवार गिर गई। इससे मलबे में दबकर मजदूर और उसकी बहन की मौके पर मौत हो गई। वहीं गंभीर हालत में युवती को भट्ठा मालिक ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसे की जानकारी पर पहुंचे अन्य बिहार के भट्ठा मजदूरों की आर्थिक सहायता मुहैया कराने की मांग की है।

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    गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र के तेराजाकेट स्थित अंबर ब्रिक फील्ड पर बिहार के कई परिवार मजदूरी करते हैं। बिहार के जिला नवादा के थाना चौगबाहा कौडा पोल निवासी 18 वर्षीय नितेश मांझी पुत्र तुलसी अपनी 12 वर्षीय बहन के सुनीता के साथ ट्रैक्टर-ट्राली पर ईंट भरकर उतारने की मजदूरी करता था। रविवार की शाम करीब चार बजे तेरा जाकेट निवासी अजय दुबे ने कच्चे मकान को तोड़कर नया निर्माण कार्य कराने के लिए भट्ठा से ईंट मंगाई थी।

    इससे नितेश अपनी बहन अनीता और बिहार के जिला गया के थाना मुखासिर निवासी 19 वर्षीय मजदूर सपना पुत्री शंकर मांझी के साथ कच्चे मकान की दीवार से सटाकर ट्रैक्टर-ट्राली से ईंट उतार रहे थे। वर्षा के कारण नम हुई दीवार अचानक ढह गई। इससे मलबे में दबकर नितेश और बहन सुनीता की मौके पर मौत हो गई। वहीं सपना गंभीर रूप से घायल हो गई।

    ग्रामीणों ने मलबा हटाकर भाई-बहनों के शव बाहर निकाले। वहीं घायल सपना को समधन निवासी भट्ठा मालिक फैजाल ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जानकारी मिलने पर भट्ठा पर काम करने वाले बिहार के अन्य मजदूरों ने पहुंच कर प्रशासन और भट्ठा मालिक से मुआवजे की मांग की। इस दौरान मजदूर दोनों शव लेकर ईंट भट्ठे पर पहुंचे और बिहार में स्वजन को हादसे की जानकारी दी।

    एसडीएम छिबरामऊ ज्ञानेन्द्र कुमार द्विवेदी, नायब तहसीलदार हिमांशु प्रभाकर और लेखपाल अमन श्रीवास्तव ने मौके पर पहुंच कर हादसे की जानकारी की। राजस्व अधिकारियों ने श्रमिकों को मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया। वहीं गुरसहायगंज कोतवाली प्रभारी आलोक कुमार दुबे ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। भट्ठा मालिक फैजाल ने बताया कि हादसे में मजदूर और एक बालिका की मौत हुई है। पीड़ित परिवार की हर संभव मदद की जाएगी। मृतकों के माता-पिता बिहार से कन्नौज के लिए रवाना हुए हैं। वह उनके संपर्क में हैं। डीएम आशुतोष मोहन अग्निहोत्री ने बताया कि हादसे की जांच कराई जाएगी। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

    माता-पिता के साथ भट्ठा पर काम करने आए थे भाई-बहन

    हादसे में मौत का शिकार हुए भाई-बहन अपने माता-पिता के साथ बिहार से ईंट भट्ठा पर आए थे। वर्षा शुरू होने से धान रोपाई के लिए मई माह में बिहार लौट गए थे। काश अगर भाई-बहन भी माता-पिता के साथ घर लौट जाते, तो शायद जान बच जाती। जिले में संचालित ईंट भट्ठों पर वर्षा थमने के बाद सितंबर-अक्तूबर माह में बिहार से मजदूर ईंट पाथने से लेकर अन्य काम करने के लिए परिवार के साथ आते हैं। इससे बिहार के जिला नवादा के थाना चौगबाहा कौडा पोल निवासी तुलसी मांझी भी अपनी पत्नी, 18 वर्षीय बेटे नितेश और 12 वर्षीय बेटी सुनीता के साथ अंबर भट्ठा पर काम करने आए थे।

    मई माह में वर्षा शुरू होते ही ईंट पाथने का काम बंद हो गया था। इससे तुलसी मांझी अपनी पत्नी के साथ धान की रोपाई करने के लिए गांव लौट गए थे, लेकिन चार पैसे जुटाने के लालच में नितेश अपनी बहन सुनीता के साथ भट्ठा पर ठहर गया था। यह लोग अन्य मजदूरों के साथ ट्रैक्टर ट्राली से ईंट उतारने का काम करने लगे। वहीं जान पहचान होने के कारण सपना भी नितेश के साथ मजदूरी करती थी। वहीं हादसे के बाद ट्रैक्टर ट्राली चालक मौके से भाग निकला। कोतवाली प्रभारी आलोक कुमार दुबे ने बताया कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

    जल्द शुरू होना था निर्माण, दीवार के पास लगवा दिया चट्टा

    तेराजाकेट निवासी अजय दुबे ने अपने पड़ोस में रहने वाले मनोज कुमार का कच्चा मकान खरीदा था। अजय दुबे जल्द मकान का निर्माण शुरू कराने वाले थे। जगह का अभाव होने के कारण कच्ची दीवार के पास ईंट का चट्टा लगवा रहे थे। करीब 200 ईंट रखने के बाद कच्ची दीवार के पास हल्की जमीन धंस गई। इससे नम दीवार भरभरा कर मजदूरों के नीचे गिर गई।

    पेट की आग से तपता बचपन

    शासन की मंशा है कि किसी भी स्थिति में नाबालिग बच्चे मजदूरी नहीं करेंगे। इसके लिए अधिकारियों की ओर से बाल श्रम रोकने के लिए अभियान भी चलाया जाता है। बालिका की मौत से स्पष्ट होता है कि ऐसे अभियान सिर्फ कागजों में चलते हैं। अधिकारी ईंट भट्ठों पर जाकर इसकी पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझते हैं।