अंगूरी पर भारी ताड़ी का नशा, मिलावट जानलेवा
जागरण संवाददाता, कन्नौज : जिले में अब ताड़ी अंगूरी यानी शराब पर भारी पड़ रही है। देसी श ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कन्नौज : जिले में अब ताड़ी अंगूरी यानी शराब पर भारी पड़ रही है। देसी शराब के शौकीन इन दिनों ताड़ी पीने में जुटे हैं। वैध व अवैध तरीके से ताड़ी की सौ से अधिक दुकानें जगह-जगह खुल चुकी हैं। यहां सुबह से लेकर रात तक पीने वालों का जमावड़ा लगता है। ताड़ी में केमिकल व नशीले पाउडर मिलाने से सस्ती दरों में तगड़ा नशा मिलने के कारण इस तरफ रुझान बढ़ा है। हालांकि यह काफी खतरनाक व जानलेवा भी बन सकती है। आबकारी विभाग से तकरीबन डेढ़ हजार ताड़ी के पेड़ों का ठेका इस साल उठा है। विभाग एक पेड़ का 75 रुपये के हिसाब से ठेका उठाता है। इसके बाद ठेकेदार बाकायदा दुकान खोलकर ताड़ी बेचते हैं। गंगा व काली का कटरी क्षेत्र मुख्य केंद्र
जिले में ताड़ी उत्पादन का मुख्य केंद्र काली और गंगा नदी का कटरी क्षेत्र है। यहां कुल उत्पादन की 70 फीसदी ताड़ी निकाली जाती है। पैंदाबाद, अलियापुर, चौराचांदपुर, मिश्रीपुरवा, प्यारेपूर्वा, तहसीपुर, देवकली बांगर समेत तकरीबन हर ब्लॉक के दर्जनों गांवों में ताड़ी निकालने के बाद बेचने को दुकानें लग चुकी हैं। अप्रैल माह से ताड़ी पीने वाले अपने पसंदीदा अड्डों पर पहुंचने लगते हैं। पहले 18 अब हुए 23 ठेकेदार
जिले में पिछले वर्षों तक ताड़ी के पेड़ों का ठेका लेने वालों की संख्या 18 थी, जो बढ़कर इस बार 23 हो गई है। करीब डेढ़ हजार ताड़ी के पेड़ों का राजस्व आबकारी विभाग वसूल चुका है। वहीं, सूत्र बताते हैं कि अलग-अलग जगह करीब सौ से ज्यादा ठेकेदार आबकारी महकमे की मिलीभगत से ताड़ी का अवैध कारोबार कर रहे हैं। इससे राजस्व को नुकसान पहुंचने के साथ मिलावटी माल बड़े पैमाने पर बिक रहा है। इसलिए असली ठेकेदारों को नुकसान भी होता है। तीन माह तक रहता सीजन
अप्रैल से ताड़ी की बिक्री शुरू होने के बाद मई, जून व जुलाई में यह चरम पर पहुंच जाती है। इससे देसी शराब, बीयर की बिक्री आधी रह जाती है। शराब अनुज्ञापी मनोज पटेल बताते हैं कि देसी शराब का पउवा 65 रुपये में मिलता है जबकि ताड़ी 25 से 30 रुपये प्रति लीटर तक बिकती है। इसका सीधा असर शराब के ठेकेदारों पर पड़ता है। नशीली दवाएं व केमिकल मिलात
एक शराब कारोबारी के मुताबिक ताड़ी यूं तो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है। सिर्फ स्वास्थ्य के मद्देनजर कुछ मात्रा लेने पर पेट ठीक रहता है। हालांकि वर्तमान में केमिकल व खतरनाक दवाओं की मिलावट से नशा खतरनाक हो जाता है। आबकारी महकमे के कुछ लोग सब जानते हुए भी अपना हिस्सा वसूल कर चुप्पी साधे रहते हैं। इसीलिए ताड़ी बेचने वालों की जांच तक नहीं होती है। इनका कहना ह
ताड़ी में मिलावट करने वालों का पता लगाकर अभियान चलाया जाएगा। लोगों की ¨जदगी के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। बिना लाइसेंस ताड़ी बिक्री करने वालों को सीधा जेल भेजने की कार्रवाई होगी।
-रवींद्र कुमार, जिलाधिकारी कन्नौज।

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