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    एनआरएचएम घोटाले की जांच अंधता निवारण पर पड़ रही भारी

    By Edited By:
    Updated: Mon, 27 Feb 2012 07:55 PM (IST)

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    उरई, हमारे संवाददाता: जिला नेत्र चिकित्सालय में मुफ्त में चश्मे और लेंस मिलना बंद हो चुका है। अब केवल वे ही मरीज लेंस प्रत्यारोपित करा पाते है जिनकी जेबों में लेंस खरीद पाने का पैसा है। चश्मे पर भी यही बात लागू होती है।

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    दरअसल सूबे में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनएचआरएम)घोटाले की जांच शुरू होने के साथ ही इसके तहत संचालित होने वाली विभिन्न सेवाओं के खातों को फ्रीज कर दिया गया। इससे गरीब मरीजों के सामने भारी समस्या पैदा हो गयी। बता दें कि एनआरएचएम के तहत मोतियाबिंद का मुफ्त ऑपरेशन होता था और इसमें लेंस, दवायें व चश्मे मुफ्त मिल जाते थे। इससे गरीबों को काफी राहत पहुंचती थी, लेकिन उक्त जांच शुरू होने के बाद लेंस, चश्मे आदि की आपूर्ति भी बंद हो गयी। अब यहां केवल वे ही लोग आंखों में लेंस प्रत्यारोपित करा पा रहे है जो साढ़े 3 हजार रुपए देकर लेंस खरीदने की हैसियत रखते हों। चश्मा भी यहां दो सौ रुपए लेकर ही दिया जाता है। जाहिर सी बात है कि रोज कमाने खाने वाले के लिए इतना सब कर पाना संभव नहीं है इसलिए गरीब अस्पताल के चक्कर लगाकर यह जानने का प्रयास करने के लिए काटते रहते है कि खैरात में मिलने वाले लेंस आये या नहीं। टीकर की प्रेमरानी ने बताया कि वे दर्जनों चक्कर लगाती रहीं लेकिन लेंस नहीं मिला। बाद में उन्हे कर्ज लेकर 2600 रुपए में लेंस खरीदना पड़ा। डकोर की जयदेवी ने बताया कि उन्हे 3500 रुपए में लेंस और 200 रुपए में चश्मा मिला है। जालौन की मधु और मुन्नालाल महेश्वरी ने बताया कि उन्हे लेंस नहीं मिल सका। सदनपुरी के जसवंत ने बताया कि लेंस की जरूरत है पर इतने रुपए नहीं है कि वे मेडिकल स्टोर से खरीद सकें। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. आरपी सिंह ने बताया कि अभी लेंस आने की गुंजाइश नहीं है। जांच पूरी हो जाये तो शायद खातों का संचालन फिर शुरू हो सके।

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