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    संकुल प्रभारियों का दायित्व निभा रहे एनपीआरसी

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    Updated: Wed, 23 Nov 2011 05:14 PM (IST)

    कन्नौज,कार्यालय संवाददाता: बीआरसी व्यवस्था में परिवर्तन करने के लिए 10 माह पहले शासनादेश जारी हुआ था, लेकिन आज भी संकुल प्रभारियों का कार्य एनपीआरसी ही देख रहे हैं। शिक्षण कार्य के स्थान पर ये विद्यालयों में शिक्षकों पर रुतबा गालिब कर रहे हैं जबकि संकुल प्रभारी के दायित्व के हकदार प्रधानाध्यापक शिक्षण कार्य कर रहे हैं।

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    बेसिक शिक्षा में आलम यह है कि जिसके सिर पर विभाग के अधिकारी का हाथ है, वह मनमुताबिक कार्य करने को स्वतंत्र है। इसका परिणाम है कि सर्व शिक्षा अभियान 50 फीसदी पुराने ढर्रे पर है। बीआरसी का चार्ज प्रशासन हस्तक्षेप के बाद खंड शिक्षा अधिकारियों को मिल गया और एबीआरसी पदों के लिए परीक्षा भी हो गयी, लेकिन बाद की कार्रवाई पुराने स्तर पर है। प्रधानाध्यापकों को अभी तक संकुल प्रभारी जिम्मेदारी नहीं मिली। सूत्रों के अनुसार एनपीआरसी को ब्लाकों पर नियुक्त एबीआरसी का सहयोग प्राप्त है। जिस पर इनकी कृपा होती है, उसको ही एनपीआरसी बनाया जाता है। इसका परिणाम है कि एक न्याय पंचायत का शिक्षक को दूसरी न्याय पंचायत में भी जिम्मेदारी निभा रहा है।

    क्या है शासनादेश

    प्रमुख सचिव अनिल संत ने दो फरवरी को सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्थापित न्याय पंचायत संसाधन केन्द्रों एवं ब्लाक संसाधन केन्द्रों के पुर्नगठन के संबंध में शासनादेश जारी किया था। इसके अनुसार अभियान में बने संसाधन केन्द्र अपेक्षा के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे। इसलिए न्याय पंचायत के संकुल प्रभारी प्रधानाध्यापक को पदेन न्याय पंचायत संसाधन केन्द्र समन्वयक व एबीएसए व नगर शिक्षा अधिकारी को पदेन बीआरसी समन्वयक बनाने के निर्देश दिये थे।

    कौन बनेंगे संकुल प्रभारी

    शासनादेश के अनुसार प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर संचालित बड़े परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को संबंधित न्याय पंचायत में संचालित समस्त विद्यालयों के लिए संकुल प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी जानी है। ऐसे में संकुल प्रभारी को ही पदेन न्याय पंचायत संसाधन केंद्र समन्वयक बनाया जाएगा।

    नहीं समाप्त हुई दोहरी व्यवस्था

    शासनादेश में संकुल प्रभारियों को एनपीआरसी का कार्य सौंपे जाने के बाद दोहरी व्यवस्था समाप्त हो जानी चाहिए थी, लेकिन जिले में आज भी एनपीआरसी विद्यालयों का कार्य देख रहे हैं। जबकि शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि न्याय पंचायत स्तर पर किसी प्रकार की विसंगति या दोहरी व्यवस्था न रहे, इसी वजह से संकुल प्रभारियों को ही पदेन एनपीआरसी बनाया जाए।

    एनपीआरसी को दी जिम्मेदारी

    बीएसए जेएस शाक्य का कहना है कि शासन के निर्देश के बाद भी कई प्रधानाध्यापकों ने संकुल प्रभारियों का कार्य करने मना कर दिया है। उन स्थानों पर एनपीआरसी से कार्य करवाया जा रहा है। बैठक बुलाकर प्रधानाध्यापकों से वार्ता की जाएगी। जो संकुल प्रभारी का कार्य करने के इच्छुक होंगे, उन्हें जिम्मेदारी दी जाएगी। हालंाकि, दूसरे न्याय पंचायत में तैनात शिक्षक को जिम्मेदारी दिये जाने की बात पर उन्होंने जांच की बात कही।

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