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इंडिया जानेगा कन्नौज की गाथा

By Edited By: Published: Fri, 19 Sep 2014 01:12 AM (IST)Updated: Fri, 19 Sep 2014 01:12 AM (IST)
इंडिया जानेगा कन्नौज की गाथा

कन्नौज, जागरण संवाददाता : महान सम्राट हर्ष के शासन में देश की राजधानी का गौरव हासिल कर चुके कन्नौज की ऐतिहासिक प्राचीन गाथा को सहेजने व संवारने का काम शुरू हो गया है। प्रशासन के प्रयास और शासन के निर्देश पर जिले में हर्ष व मौर्यकालीन अवशेषों व इससे जुड़े प्राचीन इतिहास से देश के आमजन को परिचित कराया जाएगा। इसके लिए इत्र नगरी को पर्यटन सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। वहीं प्रचार प्रसार के माध्यम से इसके गौरवशाली अतीत को उभारा जाएगा। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन शहर के वरिष्ठ नागरिकों के साथ मिलकर इसकी कार्ययोजना बनाने की रूपरेखा तैयार करने में लग गया है।

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ये हैं कन्नौज के प्रसिद्ध स्थल

बात 6वीं शताब्दी से शुरू करते हैं। महान सम्राट हर्ष की बहन का ब्याह कन्नौज राजघराने में हुआ था। विरोधी राजाओं के आक्रमण में बहन का सुहाग उजड़ जाने के बाद सम्राट हर्ष वर्धन बहन की रक्षा करने इत्र नगरी आ गए। इसके बाद सम्राट ने सभी विरोधी राजाओं को परास्त करके पूरे देश में एकछत्र शासन कायम कर लिया। इंकार करने के बावजूद यहां की जनता ने हर्ष को कन्नौज का सम्राट बना दिया। यहीं पर हर्ष ने विश्व सर्व धर्म समभाव का विशाल सम्मेलन करवाया। इसमें प्रसिद्व चीनी यात्री समेत सैकड़ों देश विदेश के शासकों ने भाग लिया था। उस समय कन्नौज देश की राजधानी हुआ करती थी। आज भी मौर्य कालीन अवशेष यहां बिखरे पड़े हैं। इनका कायाकल्प होना है।

राजा जयचंद का किला

राजा जयचंद का किला आज भी यहां देखने में अपनी भव्यता और और ऐतिहासिकता की छटा बिखेर रहा है। बात 11वीं शताब्दी है। पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी का गवाह है किला। सरकार ने इसके भी कायाकल्प करने का फैसला किया है। इस किले से जिले की तमाम प्राचीन कहानियां जुड़ी हैं।

मकदूम जहानियां मस्जिद व मकबरा

इसके बाद मुस्लिम कालीन निर्मित मकदूम जहानियां मस्जिद और बालापीर का मकबरा कन्नौज की कई ऐतिहासिक परंपराओं को दर्शाता है। मकदूम जहानियां मस्जिद में 52 खंभे है। जो अपनी विभिन्न विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। शासन की ओर से इनकों भी सजाने व संवारने का काम किया जाएगा।

पुरातत्व संग्रहालय

हाल ही में नवनिर्मित राजकीय पुरातत्व संग्रहालय को और अधिक आकर्षण युक्त बनाया जाएगा। यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। संग्रहालय की बीथिकाओं को प्राचीन मूर्तियों व कलाकृतियों से परिपूर्ण किया जाएगा। इसके साथ ही संग्रहालय में यहां के प्राचीन इतिहास को दर्शाने के लिए लाइट एवं साउंड का भरपूर प्रयोग होगा। इसकी रंगाई पुताई का काम भी जोरों पर है।

क्या कहते हैं इतिहास के जानकार

इसके अलावा शहर के अन्य कई इलाके हैं, जहां प्राचीन धार्मिक स्थल स्थित है। इन्हें भी सजाया और संवारा जाएगा। आमजन को प्रसिद्ध स्थलों पर पहुंचने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए यातायात को भी पर्यटन की दृष्टि से बदला जाएगा। लेखक व इतिहास के जानकार डा.जीवन शुक्ला ने बताया कि कन्नौज को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए लगातार प्रयास चल रहे थे। कई सीएम इस यह मांग उठाई जा चुकी है। अब मुख्यमंत्री ने इसे पर्यटन के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। इससे कन्नौज की गौरव गाथा को हर कोई समझ सकेगा। जिले की जनता इससे आल्हादित है।

डीएम की रिपोर्ट पर शासन ने लिया निर्णय

डीएम राजेश कुमार ने सोमवार को शहर के कई ऐतिहासिक स्थलों का निरीक्षण किया। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर कन्नौज को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के लिए शासन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। डीएम की रिपोर्ट पर शासन ने कन्नौज के इतिहास को गौरव प्रदान करने का निर्णय लिया है।


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