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    सौतेली बहन ने ‘मृत’ बताकर बेच दी जिंदा भाई की जमीन; पटवारी की भूमिका पर उठे सवाल

    शिवपुरी जिले के करैरा तहसील में धनकू बाई पर आरोप है कि उसने अपने लापता सौतेले भाई केशव सिंह लोधी को मृत बताकर उसकी 10 बीघा जमीन अपने नाम करा ली। बाद में जमीन का एक हिस्सा बेच दिया। इस मामले में प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। शिकायत मिलने पर एसडीओ ने जमीन केशव सिंह के नाम करने का आदेश दिया और पटवारी पर कार्यवाही की मांग की है।

    By Sanjay Baichain Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Thu, 05 Jun 2025 02:51 PM (IST)
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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, शिवपुरी। शिवपुरी जिले की करैरा तहसील अन्तर्गत देहरटा अव्वल गांव में जमीन को लेकर एक हैरान करने वाला मामला उजागर हुआ है। यहां धनकू बाई नामक महिला पर आरोप है कि उसने अपने लापता सौतेले भाई केशव सिंह लोधी को मृत घोषित कर उसकी 10 बीघा कृषि भूमि अपने नाम करा ली और उसमें से करीब साढ़े चार बीघा जमीन तीन लोगों को बेच दी।

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    इस गड़बड़ी में प्रशासनिक लापरवाही और पटवारी की संदिग्ध भूमिका भी सामने आई है।  पूरे मामले की पोल तब खुली जब केशव सिंह के चचेरे भाई तखत सिंह लोधी ने तहसील प्रशासन को शिकायत सौंपी। तखत सिंह के अनुसार, उनके चाचा देवी सिंह के पहले विवाह से केशव लोधी जन्मे थे।

    देवी सिंह की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने दूसरी शादी की, जिससे उनकी पत्नी सरजू बाई अपनी पहली संतान धनकू बाई को लेकर आई थीं। कुछ वर्षों पूर्व केशव लोधी रहस्यमयी तरीके से लापता हो गया, जिसकी कोई पुलिस रिपोर्ट या मृत्यु प्रमाण पत्र आज तक उपलब्ध नहीं है।

    बिना मृत्यु प्रमाणपत्र के कर दिया फौती नामान्तरण

    धनकू बाई ने 2017 में केशव को मृत बताकर उसकी पूरी 10 बीघा जमीन अपने नाम करवा ली। इस नामान्तरण प्रक्रिया में नायब तहसीलदार और पटवारी जितेंद्र रावत की मिलीभगत सामने आई है, जिन्होंने बिना मृत्यु प्रमाणपत्र या वैध दस्तावेज के भूमि नामान्तरण की प्रक्रिया पूरी कर दी।

    वर्ष 2022 में धनकू के नाम पर नामान्तरण हुआ और 2024 में जमीन का बड़ा हिस्सा तीन लोगों को बेच दिया गया।

    एसडीओ ने माना गड़बड़ी, पटवारी पर कार्यवाही की माँग

    जब यह मामला तखत सिंह लोधी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने करैरा एसडीओ कोर्ट में अपील दायर की। एसडीओ ने सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि पूरी 10 बीघा जमीन पुनः केशव सिंह लोधी के नाम दर्ज की जाए। लेकिन पटवारी जितेंद्र रावत ने केवल 6 बीघा जमीन का नामांतरण किया और बाकी साढ़े चार बीघा, जो पहले ही बेची जा चुकी थी, उसे नजरअंदाज कर दिया।

    तखत सिंह ने अब करैरा एसडीएम को लिखित शिकायत देकर पटवारी के खिलाफ कार्रवाई और आदेश के पूर्ण पालन की मांग की है। इस पूरे प्रकरण ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि न्याय और पारदर्शिता को लेकर ग्रामीणों के बीच गहरा असंतोष भी पैदा किया है।

    यह मामला बताता है कि यदि सरकारी अमला सजग न हो तो कानूनी प्रक्रियाओं की आड़ में कोई भी व्यक्ति वर्षों तक दूसरे की संपत्ति पर अवैध कब्जा कर सकता है और जब सच्चाई सामने आती है, तब तक देर हो चुकी होती है।