अनोखी शादी: न सात फेरे लिए गए, न पंडित ने पढ़ें मत्र; इस तरह एक-दूजे के हुए दूल्हा और दुल्हन
ललितपुर में वंदना साहू और सावन राठौर ने एक अनोखी शादी की। उन्होंने अग्नि की जगह अपनी माताओं की परिक्रमा की और भारतीय संविधान की शपथ ली। शादी में कोई धार्मिक मंत्र या पंडित नहीं थे। शांति देहदान चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस विवाह का आयोजन किया जिसने पहले भी कई सामाजिक कार्य किए हैं। यह शादी सादगी और आधुनिक विचारों का प्रतीक थी।

जासं, ललितपुर । सदियों पुरानी परंपराओं की जंजीरें तोडक़र, ललितपुर की धरती पर एक ऐसा विवाह हुआ, जिसे देखकर हर कोई कह उठा..वाह! यह केवल दो इंसानों का मिलन नहीं था, बल्कि दो परिवारों, दो सोचों और दो पीढिय़ों के बीच का एक अद्भुत पुल था। जहां एक तरफ दुनिया आज भी दिखावे और आडंबरों में डूबी है, वहीं वंदना साहू और सावन राठौर ने अपनी शादी को सादगी और संवेदना की एक नई परिभाषा दी है।
अग्नि नहीं मातृत्व की परिक्रमा
शादी का सबसे खूबसूरत पल वह था, जब वर - वधू ने पवित्र अग्नि के फेरे लेने की जगह अपनी- अपनी माताओं के चारों ओर परिक्रमा की। यह सिर्फ एक रस्म नहीं थी, बल्कि अपनी जीवनदायिनी माताओं के प्रति गहरा सम्मान, आभार और प्रेम का प्रतीक था।
जब वह अपनी माताओं का हाथ थामकर उनके चारों ओर घूम रहे थे, तब ऐसा लग रहा था मानों वह अपनी मां के त्याग और निस्वार्थ प्रेम को अपनाकर एक नए जीवन की नींव रख रहे हों। यह दृश्य, इतना हृदयस्पर्शी था कि, वहां मौजूद हर किसी की आँखें नम थीं।
मंत्र नहीं, संविधान का संकल्प
इस विवाह में कोई धार्मिक मंत्र या पंडित नहीं थे। इसके बजाय, शांति देहदान चैरिटेबल ट्रस्ट ने वर-वधू को भारतीय संविधान की उद्देशिका की शपथ दिलाई, उन्होंने समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों को स्वीकार किया। यह कदम यह साबित करता है कि, उनका रिश्ता किसी धर्म या जाति की रूढि़वादी मान्यताओं पर नहीं, बल्कि मानवता और आधुनिक विचारों की मजबूत नींव पर टिका है।
यह शादी सिर्फ एक विवाह नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए एक सबक है, जो लाखों रुपए खर्च करके सिर्फ दिखावा करते हैं। वंदना और सावन ने यह साबित कर दिया कि एक रिश्ते की असली खूबसूरती उसके आडंबरों में नहीं, बल्कि उसमें छिपी हुई सादगी और सम्मान में होती है।
इस ट्रस्ट ने न सिर्फ इस शादी को कराया है, बल्कि इसके पहले देहदान, रक्तदान और स्वास्थ्य शिविर जैसे कई नेक काम किए हैं, ट्रस्ट का यह साबित करने का प्रयास है कि समाज में बदलाव लाने के लिए केवल धन नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति की जरूरत है। - खुशाल साहू, अध्यक्ष
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