Jhansi Medical College: एक्सपाइरी डेट के सुरक्षा उपकरण पर प्रशासन की सफाई, डिप्टी CM बोले- फायर इक्विपमेंट ठीक थे
झांसी मेडिकल कॉलेज के NICU वॉर्ड में लगी आग ने 10 मासूमों की जान ले ली। आग लगने के कारण में प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि सेफ्टी अलार्म नहीं बजा था और फायर इक्विपमेंट काम नहीं कर रहे थे। इस पर प्रशासन ने कहा कि फायर उपकरण पूरी तरह से सही थे। अभी जून महीने में ही मॉक ड्रिल हुआ था।

जागरण संवाददाता, झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के NICU वॉर्ड में शुक्रवार देर रात अग्निकांड ने 10 मासूमों का जीवन लील लिया। NICU वॉर्ड में लगी आग ने कुछ व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। बताया जा रहा है कि वॉर्ड में लगा सेफ्टी अलार्म तक नहीं बजा, जिससे सुरक्षा कर्मियों और मेडिकल कॉलेज प्रशासन को हादसे की जानकारी समय से नहीं लग सकी। जब आग की लपटें और धुंआ देखकर गर्भवती महिलाओं के परिजन बच्चों को गोद में लेकर भागने लगे, तब अफरा-तफरी फैली और आनन-फानन में फायर ब्रिगेड को सूचना दी गयी।
अब इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन की तरफ से सफाई आई है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में कुल 146 फायर डिस्टिंगशर सिस्टम लगे हुए हैं। हादसे के समय एनआईसीयू वॉर्ड के फायर डिस्टिंगशर का उपयोग भी किया गया था। इन सभी उपकरणों को समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान कमियों को दूर किया जाता है। उन्होंने बताया कि फरवरी में इन सभी का ऑडिट किया गया था, जबकि जून में मॉक ड्रिल की गयी थी। मेडिकल कॉलेज में फायर डिस्टिंगशर के खराब होने की बात पूरी तरह से निराधार है। वॉर्ड में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। हादसे की जांच की जा रही है।
सीएम योगी ने अधिकारियों को दिए निर्देश
सीएम योगी ने अधिकारियों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की मॉनीटरिंग और अधिकारियों से बातचीत करते रहे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतक बच्चों के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। साथ ही अधिकारियों को पीड़ितों को हर संभव मदद के निर्देश दिये।
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हादसे की चपेट में आए 54 नवजात बच्चों को सुरक्षित बचाया गया- सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि झांसी रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वॉर्ड में नवजात बच्चों का इलाज किया जाता है। यहां समय से पहले जन्मे, कम वजन समेत गंभीर बीमारी के बच्चों का इलाज किया जाता है। मेडिकल काॅलेज में देर रात अचानक शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगने से दर्दनाक घटना घटित हुई। हादसे में 10 नवजात बच्चे चपेट में आए, जबकि 54 नवजात को सकुशल सुरक्षित निकाला गया। सभी बच्चों को रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिये बचाया गया।
वहीं, देर रात डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को मौके पर भेजा गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मासूम बच्चों को खोने वाले परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में सरकार उनके साथ खड़ी है।
डिप्टी सीएम ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात
सीएम योगी के निर्देश के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन मौके पर पहुंचे। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली। इस दौरान झांसी के सभी आलाधिकारी कमिश्नर, डीआईजी, डीएम, एसएसपी समेत स्वास्थ्य महकमे के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
डिप्टी सीएम ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ की सक्रियता से ही बड़ी घटना को मिनटों में कंट्रोल कर लिया गया। सीएम योगी के निर्देश पर मृतक बच्चों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायल बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है।
रेस्कयू किये गये बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य
झांसी के डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही दमकल और बचाव की टीमें मौके पर पहुंच गई थीं। इसके अलावा सभी वरिष्ठ अधिकारी और स्वास्थ्य महकमे के सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गये थे। सभी ने तेजी के साथ बचाव राहत कार्यों को अंजाम दिया। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने बताया कि रेस्क्यू किये गए बच्चों को मेडिकल कॉलेज के अन्य वॉर्डों, जिला अस्पताल और निजी नर्सिंग होम्स में भर्ती कराया गया है। सभी बच्चे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनमें किसी भी तरह की बर्न या सफोकेशन की इंजरी नहीं है।
पूरी तरह से काम कर रहे हैं फायर अग्निशमन उपकरण, जून में हुआ था मॉक ड्रिल
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि झांसी के मेडिकल कॉलेज की घटना अत्यंत दुखद है। घटना के कई चरणों में जांच के निर्देश दिये गये हैं। घटना की पहली जांच शासन स्तर से स्वास्थ्य महकमा, दूसरी जांच जिला पुलिस और फायर विभाग करेगा। इसके अलावा तीसरी मजिस्ट्रियल जांच होगी। घटना के कारण का पता लगाया जाएगा। यदि किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई करेंगे।
योगी सरकार बच्चों और परिजनों के साथ पूरी से खड़ी है। हमारे स्टाफ, चिकित्सकों, बचाव दल ने बहादुरी के साथ बच्चों को बचाने का काम किया है। प्राथमिकता के आधार पर बच्चों की देखरेख की जा रही है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में सभी फायर फाइटिंग इक्यूपमेंट पूरी तरह से ठीक थे। यहां फरवरी में फायर सेफ्टी ऑडिट और जून में मॉक ड्रिल भी किया गया था।
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