जीजा की डिग्री पर डॉक्टर बने अभिनव सिंह पर कसा शिकंजा, पिस्टल लाइसेंस की शुरू हुई जांच
देश में चिकित्सा जगत को शर्मसार करने वाले एक बड़े फ्रॉड के आरोप में जेल में बंद अभिनव सिंह की मुश्किलें अब लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिस व्यक्ति ने अपन ...और पढ़ें
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ललितपुर ब्यूरो। देश में चिकित्सा जगत को शर्मसार करने वाले एक बड़े फ्रॉड के आरोप में जेल में बन्द अभिनव सिंह की मुश्किलें अब लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिस व्यक्ति ने अपने अमेरिका-स्थित बहनोई की चिकित्सकीय डिग्री और पहचान का उपयोग करके पिछले तीन वर्षों से एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से कार्डियोलॉजिस्ट की नौकरी हासिल की थी, अब उस पर कानून का शिकंजा पूरी तरह कस गया है।
फर्जी पहचान पर शस्त्र लाइसेंस
पुलिस ने अब इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच का दायरा नौकरी के फर्जीवाड़ा से आगे बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार, अभिनव सिंह द्वारा पिस्टल खरीदने के लिये हासिल किये गये शस्त्र लाइसेंस को भी गहन जांच के दायरे में ले लिया गया है।
सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि यदि अभिनव सिंह ने डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान का इस्तेमाल करके नौकरी हासिल की, तो क्या उसने उसी फर्जी पहचान का इस्तेमाल शस्त्र लाइसेंस जैसे संवेदनशील दस्तावेज को प्राप्त करने के लिये भी किया था? यह जांच की जा रही है कि लाइसेंस आवेदन में प्रस्तुत दस्तावेज असली थे या नकली, और क्या शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में कोई लापरवाही या मिलीभगत हुयी थी।
आगे की कानूनी कार्यवाही की तैयारी
जांच अधिकारी इस पहलू पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं कि एक फर्जी पहचानधारी को घातक हथियार खरीदने का लाइसेंस कैसे मिल गया। यदि यह सिद्ध हो जाता है कि लाइसेंस फर्जी दस्तावेजों पर आधारित था, तो अभिनव सिंह पर शस्त्र अधिनियम के तहत एक और गम्भीर मामला दर्ज किया जा सकता है, जिससे उसकी कानूनी पेचीदगियां और बढ़ जायेंगी। अभिनव सिंह को अब मेडिकल फ्रॉड के साथ-साथ हथियार लाइसेंस में फर्जीवाड़ा का भी सामना करना पड़ सकता है। पुलिस इस मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही के लिये तैयारी में जुट गयी है। यह मामला न केवल चिकित्सा क्षेत्र में फैले फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है, बल्कि सरकारी दस्तावेजीकरण और सत्यापन प्रक्रियाओं की कमजोरियों को भी उजागर करता है।
अभिनव सिंह मामले में जाँच प्रक्रिया के यह हैं बिन्दु
1- पहचान की पुष्टि
लक्ष्य: यह सिद्ध करना कि अभिनव सिंह ने नौकरी और अन्य लाभ (जैसे शस्त्र लाइसेंस) प्राप्त करने के लिये वास्तव में अपने बहनोई, डॉ. राजीव गुप्ता की पहचान का उपयोग किया था।
कार्य: अभिनव सिंह के मूल पहचान पत्रों (आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस) और डॉ. राजीव गुप्ता के चिकित्सकीय पंजीकरण/पहचान पत्रों का मिलान करना।
2. मेडिकल कॉलेज रिकॉर्ड की जांच
लक्ष्य: पता लगाना कि वह कितने समय से कार्यरत था और उसे कितना वेतन/लाभ मिला।
कार्य: पिछले तीन वर्षों के नियुक्ति पत्र, उपस्थिति रजिस्टर, बैंक खाते के विवरण (जिसमें वेतन जमा होता था) और कॉलिज में उसके द्वारा किये गये कार्यों की जाँच करना।
3. शस्त्र लाइसेंस की जांच
लक्ष्य: यह पता लगाना कि शस्त्र लाइसेंस किस नाम और पहचान पर जारी हुआ था, और क्या आवेदन के दस्तावेज फर्जी थे।
कार्य: लाइसेंस आवेदन पत्र की कॉपी प्राप्त करना
- आवेदन में संलग्न सभी दस्तावेजों (निवास प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, चिकित्सकीय फिटनेस, चरित्र प्रमाण पत्र) का सत्यापन करना।
- यह जांच करना कि क्या लाइसेंस जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा सत्यापन प्रक्रिया का सही ढंग से पालन किया गया था।
-अगर लाइसेंस फर्जी पहचान पर है, तो शस्त्र अधिनियम (आम्र्स एक्ट) के तहत नई धारायें जोडऩा।
4.धोखाधड़ी और जालसाजी के सबूत जुटाना
लक्ष्य: धोखाधड़ी, मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी, धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी, और फर्जी दस्तावेज का उपयोग के तहत सबूतों को मजबूत करना।
कार्य: इलेक्ट्रॉनिक सबूत (ईमेल, कम्प्यूटर डेटा) और गवाहों के बयान दर्ज करना।
5.बहनोई की भूमिका की जांच
लक्ष्य: यह सुनिश्चित करना कि अमेरिका में रह रहे डॉ. राजीव गुप्ता को इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी या नहीं।
कार्य: अगर जानकारी थी, तो उन्हें सह-अभियुक्त बनाना, अगर नहीं थी, तो उनके बयान दर्ज कर उन्हें पीडि़त पक्ष बनाना।
- जांच पूरी होने के बाद पुलिस न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करेगी, जिसके आधार पर आगे की न्यायिक कार्यवाही चलेगी।

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