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    रानी को कालपी कूच से पहले करना पड़ा था दुश्मनों का सामना

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 12 Jun 2022 08:22 PM (IST)

    फोटो 12 जेएचएस 3 झाँसी : महारानी लक्ष्मीबाई और ब्रिटिश सेना से झड़प की पेण्टिंग। ::: फोटो : डॉ. ...और पढ़ें

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    रानी को कालपी कूच से पहले करना पड़ा था दुश्मनों का सामना

    फोटो 12 जेएचएस 3

    झाँसी : महारानी लक्ष्मीबाई और ब्रिटिश सेना से झड़प की पेण्टिंग।

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    फोटो : डॉ. वसीम खान

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    - गन्दीगर टपरा मार्ग पर हुयी अंग्रे़जी सेना से झड़प

    - बूढ़ा में दो भाग में बँटी रानी की सेना

    झाँसी : 3 अप्रैल 1858 को दूल्हाजू और पीर अली ने अंग्रे़जों से सौदा कर झाँसी दुर्ग का ओरछा गेट खोल दिया, जिससे अंग्रे़जी फौज ने झाँसी में प्रवेश कर लिया और कत्लेआम शुरू हो गया। अब आमने-सामने के युद्ध के अलावा कोई चारा नहीं था। रानी की सुरक्षा में तैनात मनपुरा व रक्सा के परमार ठाकुरों के साथ 300 अफगान पठान उन्हें सुरक्षित किले में ले गया। अपने वफादारों की सलाह पर रानी ने दत्तक पुत्र दामोदर राव और विश्वासपात्र लोगों के साथ दक्षिण भारत जाने का निश्चय किया, लेकिन तात्या टोपे और बाँदा के नवाब का सन्देश मिलने पर वह कालपी (जालौन) की ओर कूच किया। कालपी के रास्ते में उन्हें कई जगह दुश्मनों का सामना करना पड़ा।

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    अंग्रे़ज फौज को गुमराह कर निकलीं झाँसी से बाहर

    पुरातत्वविद डॉ. वसीम खान के अनुसार 3 अप्रैल 1858 को रात्रि 12 बजे रानी लक्ष्मीबाई पुरुष वेषभूसा में अपने दल के साथ किले के उत्तर दिशा में बने गणेश दरवा़जे से निकलीं और कोतवाली, टकसाल, गन्दीगर टपरा मार्ग पहुँची, जहाँ तैनात ब्रिटिश फौज से उनकी झड़प हुयी। रानी के साथ चल रहे सैनिकों ने खुद को ब्रिटिश फौज का सिपाही बताते हुये गुमराह किया और आगे बढ़ गया। यह दल भाण्डेरी गेट होते हुये बूढ़ा गाँव पहुँचा। इसी बीच रानी के पिता मोरोपन्त के पैर में गोली लग गयी, जिससे उन्हें साथ ले जाना उचित नहीं लगा। ग्रामीणों ने रानी को उन्नाव बालाजी के रास्ते कालपी जाने की सलाह दी। रानी के दल के पास खजाना था, जिसकी सुरक्षा भी जरुरी थी। रानी और उनके पिता ने अलग-अलग मार्ग से अपना सफर करना शुरू किया।

    रानी के पीछे लग गयी ह्यूरो़ज की सेना

    रानी के झाँसी से निकलने की सूचना अंग्रे़ज अफसर ह्यूरो़ज को लग चुकी थी। उसने कैप्टन डकार के नेतृत्व में रानी की सेना के पीछे भेजा। उधर, रानी बूढ़ा गाँव से आरी होते हुये कालपी की ओर बढ़ीं, और यहाँ से भाण्डेर की तरफ मुड़ गयीं। जब तक कैप्टन डकार की टुकड़ी उन तक पहुँचती, रानी अपने दल के साथ अँधेरे में गायब हो गयीं। वहीं, दुर्भाग्य से मोरोपन्त का दल मार्ग भटककर दतिया की ओर चला गया।

    युद्ध गाथा के स्रोत

    0 नैशनल आर्काइब्स नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित फॉरेन सीक्रेट कन्सल्टेशन रिपोर्ट (30 दिसम्बर 1858)

    0 फॉरेन सीक्रेट कन्सल्टेशन रिपोर्ट (31 जुलाई 1857)

    0 फॉरेन सीक्रेट कन्सल्टेशन रिपोर्ट (25 सितम्बर 1857)

    0 उप्र राजकीय संग्रहालय द्वारा प्रकाशित ओमशंकर असर लिखित क्रान्ति की काशी झाँसी।

    0 भगवानदास गुप्त द्वारा लिखित 1857-1731 झाँसी राज्य का इतिहास और संस्कृति।

    0 विष्णु भट्ट गोडसे द्वारा लिखित माझा प्रवास।

    फोटो 12 जेएचएस 4

    वीरांगना ने कहा था..

    'तुम लोग संख्या में कम बचे हो और हमें लम्बी लड़ाई लड़नी है। इसलिये हिम्मत मत हारना।'

    (झाँसी छोड़ने से पहले अपने वफादारों के साथ की गयी बैठक में 4 अप्रैल 1858)

    फोटो : कल के अंक से उठायें बारकोड

    क्रान्ति पथ रज कलश यात्रा का फेसबुक पर लाइव टेलिकास्ट

    झाँसी : दैनिक जागरण के आह्वान पर 'रानी झाँसी क्रान्ति पथ रज कलश यात्रा' का फेसबुक पर सीधा प्रसारण किया जायेगा। सजीव प्रसारण की जिम्मेदारी स्किल इण्डिया सोसायटि के डायरेक्टर नीरज सिंह को सौंपी गयी है। 16 जून को प्रात: 6.30 बजे से झाँसी किला के शुरू होने वाली मुख्य द्वार से क्रान्ति पथ रज कलश यात्रा के हर पॉइण्ट का 18 जून तक आयोजन समाप्ति तक फेसबुक पर सजीव प्रसारण होगा।

    ऐसे देखें सकेंगे कार्यक्रम

    कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण देखने के लिये दर्शकों को यहाँ दिये गये बार कोड को स्कैन कर लाइक करना होगा। आप महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान की अमर गाथा लाइव देखने के लिये अधिक से अधिक लोगों को लाइक एवं शेयर करने के लिये प्रेरित कर सकते हैं, ताकि देश के साथ विदेश में रह रहे लोग भी जागरण के इस अभियान का हिस्सा बन सकें।

    फोटो 12 एसएचवाइ 10

    झाँसी : महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर होने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा बनाते संस्था के सदस्य। -जागरण

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    नमन : वीरांगना की शौर्य गाथा से रु-ब-रु होगी युवा पीढ़ी

    - बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर 17 जून को मुक्ताकाशी मंच पर प्रयास सभी के लिये करायेगी लक्ष्मीबाई के जीवन संघर्ष से ओतप्रोत नृत्य नाटिका का मंचन

    झाँसी : दैनिक जागरण के आह्वान पर निदेशक यशोवर्धन गुप्त के नेतृत्व में ़िजला प्रशासन के सहयोग से होने वाले महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस समारोह में कार्यक्रमों की अलग छटा बिखरेगी। आयोजन को और भव्यता प्रदान करने के लिये सामाजिक संगठन 'प्रयास : सभी के लिये' ने 17 जून को शाम 6:30 बजे से मुक्ताकाशी मंच पर नाटक मंचन के माध्यम से महारानी को 'नमन' करने का निर्णय लिया है।

    प्रयास सभी के लिये संस्था की बैठक में केन्द्रीय संयोजक मनमोहन गेड़ा ने बताया कि 17 जून को शाम 6.30 बजे से मुक्ताकाशी मंच पर देवेन्द्र अग्रवाल 'गुड्डू' के संयोजन में बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध राई नर्तक रानी की शौर्यगाथा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद कमलेश सोनी के नेतृत्व में सरस्वती बालिका इण्टर कॉलिज बाहर दतिया गेट की छात्राएं, विवेकानन्द इण्टर कॉलिज की टोली, ज्ञानस्थली इण्टर कॉलिज व रानी लक्ष्मीबाई इण्टर कॉलिज की छात्राएं अलग-अलग नाटक मंचित कर रानी की वीरता और बलिदान को प्रदर्शित करेंगी। बीच-बीच में वीर रस से ओतप्रोत गीतों का गायन भी होगा। बैठक में राजेन्द्र अग्रवाल, दीपक साहू, देवेन्द्र अग्रवाल, अम्बिका प्रसाद श्रीवास्तव, एचएन शर्मा, कृष्णमुरारी गुप्ता, सोनू ठाकुर, दीपक तिवारी, देवेश मिश्रा, विशाल ठाकुर, रतन कुशवाहा, धर्मेन्द्र अग्रवाल 'विसो', विक्रान्त सेठ, सचेन्द्र गुप्ता आदि उपस्थित रहे। रामकुमार लोइया ने संचालन तथा भरत सेठ व ऋषि लोइया ने आभार व्यक्त किया।

    लायन्स क्लब मानवती की समाधि पर जलाएगा 75 दीप

    झाँसी : लायन्स क्लब झाँसी विकास ने दैनिक जागरण के आह्वान पर आयोजित महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस समारोह पर दीपदान का निर्णय लिया है। चार्टर अध्यक्ष जयकिशन प्रेमानी ने बताया कि लायन्स क्लब झाँसी विकास की बैठक में 18 जून को क्राफ्ट मेला मैदान के पास स्थित वीरांगना मानवती की समाधि पर 75 दीप जलाये जाएंगे। बैठक में वसुधा प्रेमानी, नेहा झा, मोनिका कोहली, दीपा अग्रवाल, रश्मि अग्रवाल, बृजबिहारी सोनी आदि उपस्थित रहे।

    फाइल : मुकेश त्रिपाठी