दिमाग कमजोर कर सकती है कान की बीमारी
लोगो : स्वस्थ समाज ::: - समय से इलाज न कराने पर हो सकता है बहरापन झाँसी : कान शरीर का अहम अंग

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- समय से इलाज न कराने पर हो सकता है बहरापन
झाँसी : कान शरीर का अहम अंग है। बाहरी कान के दो भाग होते हैं, जिनकी बनावट हमारे चेहरे के अनुसार अनुवांशिक गुणों पर आधारित होती है। यह एक कॉर्टिलेज है, जिस पर एक झिल्ली होती है और ऊपर चमड़ी। झिल्ली इतनी कमजोर होती है कि ते़ज आघात से फटकर बहरेपन के साथ दिमाग को कमजोर भी कर सकती है। दूसरी कान के पर्दे के पीछे स्थित तीन सूक्ष्म हड्डियाँ होती हैं, जिसे मेलियस, इंकस व स्टेपिस कहते हैं। यह नसों को आपस में जोड़ती हैं।
कान का बहना या कम सुनायी देना
कान का पर्दा फटने पर इससे मवाद बहने लगता है। जब कान का पर्दा काफी दिनों से फटा होता है तो उसको सेफ सीएसओएम (कॉनिक सुपरयुटिव ओटाइटिस मीडिया) एवं अनसेफ सीएसओएम कहते हैं। सेफ सीएसओएम में कान अधिक बहता है, कान के मवाद में बदबू नहीं आती, दवा से कान बहना बन्द हो जाता है, लेकिन पूरी तरह ठीक करने के लिये कान का पर्दा बनाने का ऑपरेशन करना पड़ता है। अनसेफ सीएसओएम में कान कम बहता है, मवाद से बदबू आती है और सुनाई भी कम देता है। इसको हड्डी गलने वाले या दिमाग का फोड़ा भी कहते हैं। जब कान के बगल वाली दिमाग की हड्डी गल जाती है तो मवाद दिमाग में चला जाता है, जिससे सिर दर्द, दिमागी बुखार एवं व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
हड्डी गलने वाली बीमारी
हम कान व नाक के रास्ते साँस लेते हैं। उस नली को यूस्टेचियन ट्यूब कहते हैं। जब भी इसमें रुकावट आती है, निगेटिव प्रेशर से पर्दा अन्दर की ओर जाने लगता है। यदि इसी समय इसको सही कर दिया जाये तो बीमारी आगे नहीं बढ़ पाती, लेकिन लगातार निगेटिव प्रेशर बनने से पर्दा पूर्ण रूप से अन्दर की ओर धँसने लगता है। यही अन्दर वाला पर्दा अन्दर की ओर हड्डी को गलाता रहता है और बीमारी अन्दर की ओर जाती है। अन्त में यह दिमाग तक पहुँच जाती है।
दिमाग में पहुँचने के लक्षण
कान की बीमारी जब दिमाग पर असर करने लगती है तो सिर दर्द, चक्कर, कान से खून बहने, बेहोशी, उल्टी आने, दौरे पड़ने व चलने में दिक्कत जैसे लक्षण होने लगते हैं।
यह बरतें सावधानी
0 कान में कभी कोई सींक या अन्य वस्तु न डालें।
0 जुकाम होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा लें।
0 नाक से तेज न छिनकें।
0 बच्चे को अधिक जुकाम हो तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।
फोटो 13 जेएचएस 1
डॉ. जितेन्द्र यादव
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'कान में समस्या होने पर जितनी जल्दी हो सके, चिकित्सक को दिखाएं। ऑपरेशन की स्थिति होने पर विलम्ब न करें। आजकल नई विधि से ऑपरेशन होता है, जिससे सुनाई भी देने लगता है।'
डॉ. जितेन्द्र सिंह यादव
विभागाध्यक्ष ईएनटी, महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलिज।
फाइल : मुकेश त्रिपाठी
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