वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाएगा अब झाँसी रेलवे स्टेशन
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फोटो : 29 बीकेएस 1
झाँसी रेलवे स्टेशन। -जागरण
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- 132 साल बाद बदला जा रहा झाँसी रेलवे स्टेशन का नाम
- गृह मन्त्रालय की मंजूरी के बाद शासन ने जारी की अधिसूचना
- रेलवे का वाणिज्य विभाग अब बदलेगा स्टेशन कोड और बोर्ड
झाँसी : 132 साल ब्रिटिश हुकूमत में स्थापित झाँसी रेलवे स्टेशन को अब नई पहचान मिलने जा रही है। सरकार ने इसका नाम प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम दीपशिखा वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम पर रखने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार की अधिसूचना के बाद गृह मन्त्रालय से भी नाम परिवर्तन की मंजूरी मिल गई है। अब रेल प्रशासन द्वारा झाँसी स्टेशन का नाम और स्टेशन कोड बदलने की प्रक्रिया की जाएगी।
1857 की जंग-ए-आ़जादी में ब्रिटिश सरकार की नींव हिला देने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और पराक्रम का ही परिणाम है जो आज झाँसी का नाम विश्व में पहचाना जाता है। इसी पहचान को अब ब्रिटिश काल में बने झाँसी रेलवे स्टेशन के साथ जोड़ा गया है। पिछले साल केन्द्र को प्रस्ताव भेजा गया था कि झाँसी को पहचान दिलाने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम पर झाँसी रेलवे स्टेशन का नाम किया जाए, जिससे स्टेशन पर आने वाले देशी-विदेशी यात्री स्टेशन को वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम से जानें। इस प्रस्ताव को अब केन्द्रीय गृह मन्त्रालय से मंजूरी मिल गई है। मंगलवार को प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने अधिसूचना जारी कर नाम परिर्वतन की जानकारी दी। इस सम्बन्ध में शासन ने रेलवे बोर्ड सहित उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय को पत्र भेजकर स्टेशन कोड और ट्रेन संचालन से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावे़ज में वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम से स्टेशन को दर्ज करने की बात कही है। वहीं, उत्तर-मध्य रेल मुख्यालय ने स्टेशन कोड और यहाँ के बोर्ड पर नाम परिर्वतन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो जल्द ही पूरी कर ली जाएगी।
ब्रिटिश हुकूमत ने रेलवे स्टेशन को 'झाँसी' नाम दिया था
झाँसी का नाम पहले बलवन्त नगर था। इतिहास के जानकार बताते हैं कि सन् 1621 में झाँसी किला बनकर तैयार हुआ। इस दौरान ओरछा नरेश वीर सिंह जूदेव अपने रिश्तेदार के साथ ओरछा स्थित किले पर टहल रहे थे। इसी दौरान उनके रिश्तेदार ने दुर्ग की ओर इशारा कर पूछा था कि यह 'झाई-सी' क्या है। इसके बाद से ही बलवन्त नगर का नाम झाँसी पड़ गया। ब्रिटिश हुकूमत का अधिपत्य होने के बाद 1 जनवरी 1889 को रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ। उसी समय इसका भी नाम झाँसी रखा गया। तब से लेकर आज तक झाँसी रेलवे स्टेशन में बहुत से बदलाव हुए, लेकिन इसका नाम पुराना ही रहा।
पिछले साल शुरू हुई थी का़ग़जी प्रक्रिया
सांसद अनुराग शर्मा के प्रस्ताव पर केन्द्रीय गृह मन्त्रालय ने पिछले साल 13 अगस्त 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर स्टेशन का नाम बदलने को लेकर उसकी अनापत्ति माँगी थी, लेकिन राज्य की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया था। इसके बाद 1 अक्टूबर और फिर इसी साल 14 जनवरी 2021 को पत्र भेजा, जिस पर शासन ने विभिन्न संस्थाओं से अनापत्ति लेते हुए यह प्रस्ताव केन्द्र को भेज दिया था। इसके बाद गृह मन्त्रालय ने झाँसी स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम पर करने को मंजूरी दे दी।
ऐसे बदलेगा स्टेशन का नाम और कोड
भारतीय रेल के प्रत्येक स्टेशन के नाम के अलावा स्टेशन कोड भी होता है। इसी कोड का इस्तेमाल कर रेल यात्री ट्रेन में आरक्षण कराते हैं। अब जब झाँसी रेलवे स्टेशन के नाम परिर्वतन को मंजूरी मिल गई है तो उत्तर-मध्य रेलवे के वाणिज्य विभाग को इस पर काम करना होगा। विभाग द्वारा स्टेशन कोड निर्धारित कर उसे नोटीफाइ किया जाएगा। इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि जो कोड वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन को मिले वह किसी अन्य स्टेशन को पहले से आवण्टित न हो। इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 1 माह का समय लगता है।
इन विभागों में भी दर्ज होगा स्टेशन का नया नाम
0 भारतीय सर्वेक्षण विभाग।
0 उत्तर प्रदेश भू-स्थानिक डेटा केन्द्र।
0 भारतीय सर्वेक्षण मैप पब्लिकेशन विभाग।
0 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मन्त्रालय के विज्ञान एवं तकनीक विभाग।
0 कम्युनिकेशन एवं आइटी मन्त्रालय।
0 भारतीय डाक विभाग।
0 भारतीय रेल मन्त्रालय।
0 उत्तर प्रदेश मुद्रण एवं लेख सामग्री निदेशक कार्यालय।
0 उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशालय।
0 उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग।
अम्बावाय का भी बदला गया था नाम
झाँसी रेलवे स्टेशन मण्डल का पहला स्टेशन नहीं है, जिसका नाम बदला गया है। इससे पहले झाँसी मण्डल के ही अम्बावाय रेलवे स्टेशन का नाम चिरुला किया गया था। इसका स्टेशन कोड भी परिवर्तित किया गया।
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आशुतोष, मण्डल रेल प्रबन्धक
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इन्होंने कहा
'झाँसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने को लेकर नोटिफिकेशन प्राप्त हुआ है। इसके बाद अब वाणिज्य विभाग द्वारा स्टेशन कोड और स्टेशन के नाम वाले बोर्ड बदलने को लेकर कार्यवाही की जाएगी।'
आशुतोष, मण्डल रेल प्रबन्धक (झाँसी)
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फोटो हाफ कॉलम
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'दीपांजलि' ने रखी नाम परिवर्तन की बुनियाद
इतिहासविद व राज्यमन्त्री हरगोविन्द कुशवाहा ने रेलवे स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई किए जाने का श्रेय 'दैनिक जागरण' को दिया। उन्होंने कहा कि जागरण द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की जयन्ती पर दीपांजलि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इसकी गूँज अब पूरे देश में होने लगी है। इसी आयोजन की वजह से आ़जादी के 75वीं साल में पहली बार रानी की जयन्ती पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी झाँसी आए और दुर्ग में जाकर रानी को नमन किया। इसकी वजह से ही रेलवे स्टेशन को नई पहचान मिल सकी है।
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डॉ. वसीम खान
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'झाँसी स्टेशन का नाम कभी बदला नहीं गया। यह निर्णय राजनीति से प्रेरित है और वोट के लिए उठाया गया कदम है। इससे लोगों में भ्रम पैदा होगा। यदि किसी बाहरी व्यक्ति को झाँसी आना है तो वह झाँसी स्टेशन को कैसे ढूँढ़ेगा? यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ है। महारानी से प्रेम दर्शाने के लिए सरकार किसी अन्य स्टेशन का नाम बदल सकती थी या ट्रेन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई किया जा सकता था।'
डॉ. वसीम खान, पुरातत्वविद्
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'सरकार का यह ़कदम ऐतिहासिक है। इससे पूरब से पश्चिम जाने वालों को महारानी लक्ष्मीबाई के बारे में और अधिक जानने का अवसर मिलेगा। यह महारानी लक्ष्मीबाई को दिया गया सम्मान और झाँसी वासियों के लिये गौरवान्वित करने वाला है।'
डॉ. एसके दुबे
़िजला पुरातत्व अधिकारी (झाँसी)
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'वीरांगना के नाम पर झाँसी रेलवे स्टेशन का नाम रखना सराहनीय ़कदम है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोगों में महारानी लक्ष्मीबाई को जानने की ललक पैदा होगी।'
प्रो. प्रतीक अग्रवाल
निदेशक पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, (झाँसी)
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'महारानी लक्ष्मीबाई का नाम जहाँ आएगा वह हमारे लिए गर्व की बात है। रेलवे स्टेशन का नाम बदला जाना हर्ष का विषय है, लेकिन झाँसी को रेलवे से अलग नहीं करना चाहिए। मुस्तरा स्टेशन को झाँसी सिटि के नाम से कर देना चाहिए, जिससे झाँसी की पहचान समाप्त न हो।'
मुकुन्द मेहरोत्रा, समाजसेवी
फाइल : वसीम शेख
समय : 07 : 30
29 दिसम्बर 2021

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