झाँसी की 17 ह़जार हेक्टेयर ़जमीन को मिलेगा पानी
0 बाँदा जनपद को मिलेगा सबसे अधिक फायदा 0 बुन्देलखण्ड के 3 जनपदों की ढाई लाख हेक्टेयर ़जमीन होगी सि

0 बाँदा जनपद को मिलेगा सबसे अधिक फायदा
0 बुन्देलखण्ड के 3 जनपदों की ढाई लाख हेक्टेयर ़जमीन होगी सिंचित
झाँसी : मध्य प्रदेश में आकार लेने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना का बुन्देलखण्ड के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से के 3 जनपदों को भी पानी मिलेगा। सबसे अधिक फायदा बाँदा जनपद को मिलेगा, जबकि झाँसी व महोबा को भी पानी मिलेगा। ललितपुर के गोविन्द सागर जलाशय को भरने का भी प्रस्ताव है, लेकिन फिलहाल इसकी मंजूरी अभी नहीं मिल सकी है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना सूखे बुन्देलखण्ड के लिए वरदान साबित होने जा रही है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा तो पेयजल की भी व्यवस्था हो सकेगी। बुन्देलखण्ड के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से के 3 जनपदों को परियोजना का लाभ मिलेगा। पर, सबसे अधिक बाँदा जनपद फायदे में रहेगा। यहाँ परियोजना से 1,92,479 हेक्टेयर ़जमीन सिंचित हो सकेगी, जबकि महोबा की 37,564 हेक्टेयर तथा झाँसी की 17,488 हेक्टेयर ़जमीन को पानी मिल सकेगा। महोबा के तो उर्मिल समेत कई जलाशयों का सूख इस परियोजना से मिट जाएगा। इसके साथ ही ललितपुर के गोविन्द सागर जलाशय को भरने का भी प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी मंजूरी नहीं मिल सकी है।
किसानों से ली जाएगी झाँसी की 196 हेक्टेयर ़जमीन
मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में आकार लेने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए लगभग हर जनपद में जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। दौधन बाँध से बरुआसागर तालाब तक 221 किलोमीटर लम्बी नहर बनाई जाएगी। इसका 19 किलोमीटर का हिस्सा झाँसी जनपद में होगा। इसके लिए 196 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की जाएगी।
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परियोजना का बनेगा डिजिटल मॉडल
0 पुराने मॉडल की कराई सफाई
झाँसी : कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण कार्यालय की गतिविधियाँ भी ते़जी से बदल गई। गुरुवार को यहाँ रखे परियोजना के पुराने मॉडल की सा़फ-स़फाई शुरू कर दी गई तो डिजिटल मॉडल की रूपरेखा भी बनाई गई।
केन-बेतवा लिंक परियोजना को जमीन पर उतारने से पहले सर्वे करने के साथ ही का़ग़जों में उकेरा गया। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण विभाग ने 15 साल में परियोजना का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। लगभग 7 साल पहले विभाग ने परियोजना का मॉडल भी तैयार किया था, जिसे कार्यालय परिसर में रखा गया था। बुधवार को केन्द्रीय मन्त्री मण्डल की मंजूरी मिलने के बाद विभाग ने पुराने मॉडल की सा़फ-स़फाई शुरू कर दी। अधिशासी अभियन्ता राघवेन्द्र कुमार गुप्ता ने बताया कि पिछले 7 वर्ष के दौरान परियोजना में अनेक परिवर्तन किए जा चुके हैं। इसे देखते हुए अब नया डिजिटल मॉडल बनवाने की तैयारी की जा रही है।
फाइल : राजेश शर्मा
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