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    फिर पर्यटन विकास पर होगा फोकस

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 15 Mar 2020 01:00 AM (IST)

    0 विकास भवन में आज होगी बैठक झाँसी : रविवार को एक बार फिर बुन्देलखण्ड को पर्यटन हब बनाने पर मन्थन

    फिर पर्यटन विकास पर होगा फोकस

    0 विकास भवन में आज होगी बैठक

    झाँसी : रविवार को एक बार फिर बुन्देलखण्ड को पर्यटन हब बनाने पर मन्थन किया जाएगा। ऐतिहासिक स्थलों को सँवारने पर चर्चा होगी तो देशी-विदेशी सैलानियों को रोकने का रोडमैप बनाया जाएगा। सांसद अनुराग शर्मा की पहल पर होने वाली यह कोशिश कितनी सफल होगी-समय बताएगा। पर्यटन विकास को लेकर ऐसे प्रयास कई बार हो चुके हैं, और इसके सार्थक परिणाम अब तक सामने नहीं आए हैं। राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं भी पर्यटन विकास में रोड़ा अटकाती रही हैं। ऐसी तमाम योजनाएं बनाई गई, जो वास्तविक स्वरूप में धरातल पर उतरतीं तो तस्वीर कुछ और होती, लेकिन कोई सियासी चक्रव्यूह में उलझ गई तो कोई इच्छाशक्ति के अभाव में दम तोड़ गई। रविवार (15 मार्च) को होने वाली बैठक में जनप्रतिनिधियों, विशेषज्ञों व अधिकारियों को पिछले मिथक तोड़ते हुए संकल्प लेना होगा, तभी बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।

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    ऐसे बिखरा पर्यटन विकास

    गढ़मऊ झील : महानगर से महज 15 किलोमीटर दूर प्राकृतिक सुन्दरता को समेटे गढ़मऊ झील को विकसित करने के लिए सपा सरकार में 5.86 करोड़ की योजना शुरू की गई, लेकिन 1.17 करोड़ देने के बाद सरकार ने पैसा नहीं दिया। नतीजा, योजना अधूरी रह गई और खर्च की गई धनराशि भी पानी में बह गई।

    लक्ष्मी तालाब : महानगर के छोर पर फैले लक्ष्मी तालाब की सूरत सँवारने के लिए 55 करोड़ रुपए की योजना पर काम चल रहा है। जल निगम ने नया प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए लगभग 46 करोड़ की डिमाण्ड और की है। इस योजना के परिणाम भविष्य में आएंगे, लेकिन इसको लेकर जो पुराने अनुभव हैं, वो कतई अच्छे नहीं हैं। इससे पहले सपा सरकार ने भी तालाब के सुन्दरीकरण के लिए 7 करोड़ 87 लाख रुपये से अधिक की योजना मंजूर की थी। सरकार ने 1 करोड़ 18 लाख रुपए की पहली किस्त जारी की, लेकिन फिर सरकार चली गई और बसपा की सरकार आ गई, जिसके बाद योजना बन्द हो गई।

    क्रान्ति पथ : पूर्व केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल क्रान्ति पथ पर भी अब तक कोई पहल नहीं हो पाई। 700 करोड़ रुपए के प्रारम्भिक ऐस्टिमेट के साथ बनाई गई परियोजना अब 18 करोड़ 98 लाख रुपये पर ठहर गई है।

    पहूज नदी : पहूज नदी को आकर्षक बनाने के लिए पूर्व केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती ने काफी प्रयास किया। दिशा-निर्देश भी दिए गए, लेकिन अब तक कोई योजना आकार नहीं ले पाई।

    आतियाँ तालाब : आतियाँ तालाब को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए नगर निगम ने काफी प्रयास किया। तालाब की सूरत भी बदल गई, लेकिन सैलानियों का जमघट नहीं लग पाया।

    महत्वपूर्ण स्थलों को पैकेज में शामिल किया जाए

    पर्यटन के क्षेत्र में काम कर रहे ग्रेट झाँसी एडवेंचर क्लब के निदेशक राहुल मिश्रा ने बताया कि बरुआसागर, तालबेहट, ललितपुर और देवगढ़ को मिलकार पर्यटन पैकेज बनाया जा सकता है। पर्यटन का प्रचार विशेषज्ञ मार्केटिंग ऑर्गनाइ़जेशन से कराया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यहाँ की संस्कृति व खान-पान को ब्रैण्ड के रूप में प्रस्तुत करने से अलग पहचान मिलेगी।

    होर्डिग्स में दर्शाई जाए मन्दिरों की ऐतिहासिकता

    झाँसी में मड़िया महादेव, लहर की देवी, पचकुइयाँ, केदारेश्वर जैसे अनेक ऐतिहासिक मन्दिर हैं। रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड व मन्दिरों के पास होर्डिग्स लगाकर इनकी ऐतिहासिकता का प्रचार-प्रसार किया जाए। हाइवे पर पड़ने वाले ऐतिहासिक स्थलों से कुछ दूर पहले सड़क पर होर्डिग्स लगाए जाएं।

    एरच को पर्यटन मानचित्र पर लाया जाए

    देशभर में उत्साह से मनाए जाने वाले होली उत्सव की शुरूआत करने वाले एरच नगर का पर्यटन विकास किया जाना चाहिए। यहाँ ढीकांचल पर्वत व प्रहलाद द्यौ (कुण्ड) पर अगर पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाया जाए तो सैलानियों को लाया जा सकता है। यह प्राचीन नगरी विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करेगी।

    आरटीओ विभाग से ली जाए मदद

    विशेषज्ञों का मानना होता है कि विदेशी पर्यटकों की रुचि ऐतिहासिक धरोहर में अधिक रहती है, जो बुन्देलखण्ड में काफी उपलब्ध है। ़जरूरत सैलानियों को रोकने की है। रेलवे स्टेशन से खजुराहो की ओर सैलानी जाता है। अगर, आरटीओ विभाग मदद करे तो रास्ते में पड़ने वाले जराय का मठ, बरुआसागर किला, मऊरानीपुर स्थित केदारेश्वर मन्दिर आदि स्थानों पर बसों को कुछ देर के लिए रोका जा सकता है। यहाँ चौकी बनाते हुए एण्ट्रि कराने की बाध्यता लगा दी जाए और इसका उल्लंघन करने वाले बस ऑपरेटर्स पर कार्यवाही की जाए तो विदेशी सैलानी न केवल कुछ देर रुकेंगे, बल्कि प्रचार-प्रसार भी होगा।

    कम्पनि को गोद दिए जा सकते हैं स्मारक

    कोशिश कुछ अलग होगी, लेकिन अगर कुछ शर्तो के साथ प्राइवेट कम्पनी़ज को ऐसे स्मारक व ऐतिहासिक स्थल गोद दे दिए जाएं, जो संरक्षित नहीं हैं, तो भी काफी सुधार हो सकता है। ये कम्पनी़ज इन धरोहर की देखरेख करें तथा सैलानियों के लिए सुविधाएं जुटाएं और बदले में अपना प्रचार कर सकती हैं। पीपीपी मॉडल पर भी पर्यटन विकास की सम्भावनाएँ तलाशी जा सकती हैं।

    0 झाँसी, ललितपुर के तमाम पर्यटन स्थलों का पैकेज बनाते हुए रेलवे स्टेशन पर उनका प्रचार-प्रसार किया जाए। 4 से 5 स्थानों तक आने-जाने का किराया भी बोर्ड पर अंकित किया जाए।

    0 कुछ टैक्सि व लग़्जरी गाड़ियों के चालकों को सम्पर्क में लेते हुए उनके मोबाइल नम्बर्स रेलवे स्टेशन पर डिस्प्ले किए जाएं और फोन करने पर 15 मिनट में वाहन उपलब्ध कराया जाए।

    0 आरटीओ, यातायात, पुलिस व पर्यटन विभाग के मोबाइल फोन नम्बर का भी प्रचार किया जाए, ताकि पर्यटकों को समस्या बताने में परेशानी न हो।

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    यहाँ आ सकते हैं सैलानी

    झाँसी : दुर्ग, राजकीय संग्रहालय, रानी महल, लक्ष्मी तालाब, गढ़मऊ तालाब, बरुआसागर किला, जराय का मठ, केदारेश्वर मन्दिर, मेमोरियल सिमेट्री (झोकनबाग), पहूज व पारीछा बाँध।

    ललितपुर : देवगढ़, वराह मन्दिर, कुरैयाबीर का मन्दिर, जैन मन्दिर समूह, दुधई व चाँदपुर, मदनपुर, पावा, पाण्डव वन, रणछोर मन्दिर व मुचुकुन्द गुफा, बानपुर, तालबेहट किला, झील, माताटीला, राजघाट बाँध।

    जालौन : कालपी का व्यास मन्दिर, लंका मन्दिर, आटा में रोहणी गुरु की समाधि, कोंच का बाराखम्भा, रामपुरा एवं जगन्नमपुर के किले व गढ़ी।

    महोबा: कुलपहाड़ का चर्च, सेनापति महल, चरखारी के मन्दिर, महल व किला, महोबा की झीलें, सूर्य मन्दिर, आल्हा-ऊदल की बैठक।

    बाँदा : जामा मस्जिद, नवाबी भवन

    चित्रकूट : कालिंजर की गुफा, गणेश बाग, कामदगिरि मन्दिर के अलावा अन्य कई धार्मिक स्थल

    हमीरपुर : यमुना के किनारे का कल्पवृक्ष।

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    पर्यटन कैलेण्डर में शामिल किया जाए दीपांजलि महोत्सव

    रानी लक्ष्मीबाई का जन्म दिवस 19 नवम्बर को मनाया जाता है। दैनिक जागरण द्वारा विगत 9 साल से दीपांजलि महोत्सव मनाया जा रहा है। 2 दिवसीय उत्सव में पूरा महानगर व जनपद के लोग शामिल होते हैं। महानगर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। लक्ष्मीबाई पार्क में 19 नवम्बर की शाम को ह़जारों लोग एक साथ रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा के समक्ष दीपांजलि अर्पित करते हैं। इसे झाँसी का विशेष उत्सव बनाते हुए देशभर में प्रचार-प्रसार किया जाए। प्रदेश के पर्यटन कैलेण्डर में दीपांजलि महोत्सव को स्थान दिया जाए और इसमें शामिल होने के लिए लोगों को आमन्त्रित किया जाए। मथुरा के होली उत्सव की तरह इसे भी प्रमोट किया जा सकता है।

    फाइल : राजेश शर्मा

    14 मार्च 2020

    समय : 6.35 बजे