रानी के मन्त्रिमण्डल में शामिल थे 2 गद्दार
0 अंग्रे़जों के लिए खोल दिए थे ओरछा व सैंयर गेट 0 कटेरा में कब्र पर अब भी मारे जाते हैं जूते झाँ
0 अंग्रे़जों के लिए खोल दिए थे ओरछा व सैंयर गेट
0 कटेरा में कब्र पर अब भी मारे जाते हैं जूते
झाँसी : महज 375 दिन तक झाँसी की सत्ता पर काबिज रहने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने मन्त्रिमण्डल बनाया था, जिसमें रानी के विश्वासपात्रों को शामिल किया गया था। रानी के इस मन्त्रिमण्डल में 2 गद्दार भी शामिल थे, जिन्हें पहचानने में रानी से चूक हुई और यही गद्दार रानी के पतन का कारण बने।
अपनी वीरता से झाँसी का नाम पूरे विश्व में रोशन करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई ने काफी कम समय तक झाँसी की सत्ता सँभाली, लेकिन कभी सत्ता का सुख नहीं उठा पाई। लगभग 1 साल का राजशाही कार्यकाल कठिन संघर्ष से घिरा रहा। इतिहास के जानकार हरगोविन्द कुशवाहा ने बताया कि स्टार फोर्ट की क्रान्ति के बाद क्रान्तिकारियों ने अंग्रे़जों में दहशत उत्पन्न कर दी। 7 जून 1857 को इन्हीं क्रान्तिकारियों ने रानी लक्ष्मीबाई को सत्ता सौंप दी। ताजपोशी होते ही रानी ने राजकाज चलाने के लिए 20 सदस्यीय मन्त्रिमण्डल का गठन किया। रानी लक्ष्मीबाई प्रधान बनीं, जबकि लक्ष्मणराव प्रधानमन्त्री, जवाहर सिंह प्रधान सेनापति बनाए गए। रानी को मिलाकर 9 लोगों को तो रानी ने पद सौंपे, जबकि शेष 11 लोगों को भी मन्त्रिमण्डल में स्थान दिया गया, लेकिन इन्हें कोई पद नहीं दिया गया। मोतीलाल द्विवेदी 'अशान्त' की पुस्तक बुन्देलखण्ड दर्शन के पेज 105 में रानी का यह मन्त्रिमण्डल प्रकाशित किया गया है। हरगोविन्द कुशवाहा ने बताया कि इस 20 सदस्यीय मन्त्रिमण्डल में 18वें नम्बर पर दूल्हाजू तथा 20वें नम्बर पर पीर अली का नाम शामिल है। उन्होंने बताया कि अंग्रे़ज सैनिक जब विद्रोह करते हुए झाँसी आ रहे थे, तब इन दोनों गद्दारों ने सैंयर गेट व ओरछा गेट खोल दिया, जिससे अंग्रे़ज झाँसी में प्रवेश कर गए। इससे झाँसी की सेना को तैयारी करने का समय कम मिल पाया। उन्होंने बताया कि दूल्हाजू कटेरा के रहने वाले थे। कटेरा में उनकी कब्र है, जिस पर आज भी झाँसी के लोग गुस्सा निकालते हैं। लोग इस कब्र पर अब भी जूतों से प्रहार करते हैं।
मन्त्रिमण्डल में शामिल नहीं थीं झलकारी बाई
वीरांगना झलकारी बाई को रानी का बेहद ़करीबी माना जाता था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार झलकारी बाई को देखकर अक्सर लोग भ्रमित हो जाया करते थे। बताया गया है कि अंग्रे़जों से युद्ध के दौरान झलकारी बाई लड़ती रहीं, जिससे अंग्रे़ज लक्ष्मीबाई के युद्ध मैदान में होने का भ्रम पाले रहे और रानी को किले से निकलने में आसानी हो गई। पर, 20 सदस्यीय मन्त्रिमण्डल में रानी ने झलकारी बाई को स्थान नहीं दिया था।
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रानी का मन्त्रिमण्डल
लक्ष्मीबाई : प्रधान (शासिका)
लक्ष्मणराव : प्रधानमन्त्री
जवाहर सिंह : प्रधान सेनापति
मोरोपन्त : प्रधान (कमठाने)
नाना भोपटकर : न्यायाधीश
तात्याटोपे : गुप्तचर
मोतीबाई : प्रधान (जासूसी विभाग)
बरहाउद्दीन : जासूसी विभाग
गुलाम गौस खाँ : मुख्य तोपची
मन्त्रिमण्डल के अन्य सदस्य
भाऊबख्शी, मोतीबाई, रघुनाथ सिंह, खुदाबख्श, मुहम्मद जमाँ खाँ, मुन्दर, सुन्दर, काशीबाई, दूल्हाजू, अली बहादुर, पीर अली।
फाइल : राजेश शर्मा
17 नवम्बर 2019
समय : 7 बजे
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