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    जौनपुर के कंपोजिट विद्यालय चूड़ामणिपुर में तारों का संजाल, खतरे में है नौनिहालों की जान

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 05:51 PM (IST)

    Kitne Surakshit Hain School जौनपुर जि‍ले में बरसठी के प्राथमिक विद्यालय सोनाई व सिकरारा के विशुनपुर पुलगुजर का भवन जर्जर है तो पेड़ के नीचे बच्‍चे पढ़ते हैं। जौनपुर के ही कंपोजिट विद्यालय चूड़ामणिपुर में तारों का संजाल यहां पढ़ने वाले बच्‍चों के ल‍िए खतरा साबि‍त हो रहे हैं।

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    कंपोजिट विद्यालय चूड़ामणिपुर में तारों का संजाल होने से खतरे में नौनिहालों की जान है।

    जागरण संवाददाता, जौनपुर। दैनिक जागरण के स्कूलों की सुरक्षा को लेकर चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी समाचारीय अभियान के दूसरे दिन गुरुवार को चार विद्यालयों की पड़ताल में बक्शा ब्लाक के कंपोजिट विद्यालय चूड़ामणिपुर परिसर में जमीन पर खुले में ट्रांसफार्मर रखा मिला तो भवन के ऊपर तारों का जाल दिखा।

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    बच्चों पर हर समय करंट का खतरा मंडरा रहा है, वहीं बरसठी के प्राथमिक विद्यालय सोनाई का जर्जर भवन बच्चों के लिए खतरा बना हुआ है।सिकरारा के प्राथमिक विद्यालय विशुनपुर पुलगुजर की भी यही स्थिति है। वहीं जौनपुर नगर के नगर पालिका इंटर कालेज के ब्रिटिश काल में बने भवन के जर्जर होने के बाद भी बच्चों को वहीं बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। प्रस्तुत है जागरण टीम की रिपोर्ट...

    ऊपर तार, नीचे 250 केवीए का ट्रांसफार्मर, चिंगारी व करंट का रहता है भय

    जागरण संवाददाता, नौपेड़वा (जौनपुर): बक्शा ब्लाक के चुरावनपुर गांव के चूड़ामणिपुर कंपोजिट विद्यालय परिसर में लगा 250 केवीए का ट्रांसफार्मर व परिसर में ऊपर से गुजरे तारों से अध्ययन 170 में छात्र-छात्राएं हमेशा दहशत में रहते हैं। ट्रांसफार्मर से तो अक्सर चिंगारी निकलती रहती है। जूनियर हाईस्कूल का 1967 में बना भवन जर्जर हो गया है। पुरानी दीवारें अब फटने लगी हैं तो छत से पानी रिसता है। प्राथमिक विद्यालय की नई बिल्डिंग में भी अब दरारें आ गई है। छत का प्लास्टर छोड़ने लगा है। शौचालय का छत भी टपकता है। टंकी से पानी की आपूर्ति भी गड़बड़ है। पेयजल के लिए लगे दो इंडिया मार्का हैंडपंपों में से एक में लगा सबमर्सिबल ठीक से नहीं चलता, जबकि एक से बच्चे पानी पीते हैं। बाउंड्रीवाल सही है तो खेल के मैदान में तारों के भय से बच्चे नहीं जाते हैं।

    जर्जर भवन को लेकर लिखा-पढ़ी की जा चुकी है। ट्रांसफार्मर व फैले तारों से हर समय खतरा बना रहता है। कभी-कभी ट्रांसफार्मर जलता है तो बच्चे देखने के लिए बाहर निकलने का प्रयास करते हैं तो उन्हें रोकना कठिन हो जाता है। इससे हरवक्त खतरा बना रहता है। -समा आफरोज, प्रधानाध्यापक, कंपोजिट विद्यालय चूड़ामणिपुर।

    ट्रांसफार्मर हटवाने के लिए अपने कार्यकाल में तीन-चार बार लिखकर दिया हूं। बिजली विभाग द्वारा विद्यालय परिसर के बाहर नहर की तरफ एस्टीमेट भेजा गया था, परंतु अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। -राजेश कुमार, ग्राम प्रधान, चुरावनपुर।

    सुरक्षित स्थान की तलाश में आ जाता है पसीना

    नगर पालिका इंटर कालेज का भवन आजादी से पूर्व बना है। ब्रिटिश काल में इस भवन का उपयोग सरकारी कार्यालय के रूप में होता था। वर्ष 1954 में इंटर कालेज खोलकर पढ़ाई शुरू की गई।पुराने भवन के जर्जर 15 कमरों को ढहाने के लिए बीस साल से लिखा-पढ़ी चल रही है। वहीं नए भवन के भी छह कक्ष जर्जर हो चुके हैं। छत व दीवार के प्लास्टर टूटकर गिर रहे हैं। टूटकर लटक रहे बिजली के तारों से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बारिश होने पर कई कमरों में पानी आने पर प्रधानाचार्य व शिक्षक सुरक्षित स्थान तलाशने में हांफ जाते हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कई कक्षा के बच्चों को एक-एक कमरे में बैठाकर पढ़ाया जाता है। यहां के 300 बच्चों को खेलने के लिए कोई मैदान नहीं है।

    जर्जर भवन का आंकलन करने को लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा गया है। वर्ष 2022 में निरीक्षण के समय तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल ने नगर पालिका को प्रशासन को व्यवस्था ठीक करने का निर्देश दिया था, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। प्रयास होता है कि बच्चों को सुरक्षित बैठाया जाए। -रमेश चंद्र सिंह, प्रधानाचार्य।

    प्राथमिक विद्यालय सोनाई का भवन जर्जर, फिर भी वहीं पढ़ रहे बच्चे

    ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय सोनाई का भवन जर्जर हो गया है। वर्ष 2005 में बने इस भवन के चार कमरों में वैसे तो बच्चों को पढ़ाने की अनुमति नहीं है, लेकिन बच्चे पढ़ वहीं बाहर रहे हैं। बारिश होने पर मजबूरी में उनको बचने के लिए कमरों में जाना पढ़ता है। यहां कक्षा एक से पांच तक कुल 51 बच्चे हैं। रोक के बावजूद कमरों में बच्चों का आना-जाना लगा रहता है। स्कूल का कार्यालय एक कक्ष में चलता है। आलमारी व कुर्सी-बेंच भी रखे जाते हैं। भूकंपरोधी बने इस भवन के कमरों की स्थिति यह है कि छत से जहां पानी टपकता है वहीं प्लास्टर भी गिरते रहते हैं। छत में पड़ी सरिया साफ दिखती है। दीवारों में भी दरारें पड़ गई हैं। शिक्षक भी खतरे को समझते हैं, लेकिन मजबूरी में इन्हें सराहा लेना पड़ रहा है। कमरों में लगे बिजली के तार भी लटक गए हैं। शौचालय, पीने के लिए पानी, बच्चों को खेलने के लिए मैदान के साथ बाउंड्री बाल ठीक हैं। प्रभारी प्रधानाध्यापक रामजीत पाल ने बताया कि केवल एक भवन है। वह भी जर्जर है। विभाग को सूचना दी गई है। खतरे के अंदेशे को देखते हुए बच्चों को बाहर पढ़ाया जा रहा है।

    विद्यालय का भवन जर्जर है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों को कहा गया है कि जब तक भवन की व्यवस्था नहीं हो जाती भन्नौर विद्यालय नजदीक होने के कारण वहीं बच्चों को ले जाकर पढ़ाएं। अगर बच्चों को वहीं पढ़ाया जा रहा है तो देखते हैं। -गौतम प्रसाद,खंड शिक्षा अधिकारी बरसठी।

    20 साल में ही जर्जर हो गया भूकंपरोधी भवन, पेड़ के नीचे पढ़ते हैं बच्चे

    प्राकृतिक आपदा से नौनिहालों को बचाने के लिए सिकरारा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय विशुनपुर पुलगुजर का वर्ष 2000 में बने भूकंपरोधी भवन की छत व दीवार दो दशक में ही दरक गई। बारिश में पानी टपकता रहता है वहीं प्लास्टर चप्पड़ छोड़कर गिर रहा है। खिड़की-दरवाजे टूट गए हैं। पांच साल से जर्जर हुए इस भवन को आज तक ढहाया नहीं गया है। पंजीकृत 71 छात्र-छात्राओं को पेड़ के नीचे जमीन पर बैठाकर पढ़ाया जा रहा है, जबकि प्रधानाचार्य का कार्यालय जर्जर कक्ष में ही संचालित है। बाहर कक्षाएं संचालित होने से बारिश के साथ ही वज्रपात, आंधी-तूफान में भय हमेशा बना रहता है। किचन कम स्टोर भवन भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। विद्यालय में छात्रों के बैठने की व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था व अन्य व्यवस्थाएं ठीक ढंग से किया गया है।

    विद्यालय भवन पूर्ण रूप से जर्जर हो जाने के कारण उसमें कक्षाएं संचालित नहीं होती। बगल में तीन अतिरिक्त कक्षों में कंबाइन करके पढ़ाई होती है। नए भवन के निर्माण के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। -रामेंद्र प्रसाद यादव, प्रधानाध्यापक, विशुनपुर पुलगुजर।

    शासन से आए आदेश के अनुपालन में जिलाधिकारी ने बुधवार को बैठक कर विद्यालय भवनों से ऊपर से गुजरे तारों को हटाने का आदेश दिया। जल्द ही सभी विद्यालय भवनों के ऊपर से विद्युत विभाग द्वारा तार हटवा दिया जाएगा। इसके साथ ही जर्जर व निष्प्रयोज्य भवनों का उपयोग न करने के लिए शिक्षकों को कहा गया है।अगर कहीं हो रहा है तो उसे रोका जाएगा। -डा. गोरखनाथ पटेल, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।