जौनपुर में बेरोजगार युवक ने समाधान दिवस में लगाई गुहार, एसडीएम से कहा - "बदलापुर क्षेत्राधिकारी बना दो"
जौनपुर में समाधान दिवस के दौरान बीएससी और एमए डिग्री धारक इंद्रमणि चौहान ने एसडीएम के समक्ष खुद को बेरोजगार बताते हुए क्षेत्राधिकारी बदलापुर बनाने की मांग की। उन्होंने आर्थिक परेशानी का हवाला दिया। एसडीएम ने प्रार्थना पत्र प्रभारी निरीक्षक बदलापुर को भेजा जिन्होंने बताया कि क्षेत्राधिकारी बनने के लिए पीसीएस परीक्षा पास करना अनिवार्य है। यह घटना बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों की आवश्यकता को दर्शाती है।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। जिले में बीते दिनों समाधान दिवस में एक बेरोजगार युवक की प्रार्थना पत्र ने सबका ध्यान आकर्षित किया। आदममऊ निवासी इंद्रमणि चौहान, जो बीएससी और एमए की डिग्री धारक हैं, ने एसडीएम योगिता सिंह के समक्ष अपनी समस्या रखी।
इस बाबत उन्होंने कहा कि, "साहब! मैं बेरोजगार हूं और आर्थिक रूप से परेशान हूं। ऐसी स्थिति में मुझे क्षेत्राधिकारी बदलापुर बनाया जाना आवश्यक है।" बड़ी बात तो तब और हो गई जब एसडीएम ने प्रार्थना पत्र की जांच के बाद इसे प्रभारी निरीक्षक बदलापुर को भेज भी दिया।
इंद्रमणि ने अपने प्रार्थना पत्र के साथ कई दस्तावेज भी संलग्न किए, जिनमें अंक, मूल प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, आय, अधिवास और बैंक पासबुक की छाया प्रति शामिल थी। उनका यह अनुरोध समाधान दिवस में चर्चा का विषय बन गया। यह पत्र अब वायरल हो रहा है।
प्रभारी निरीक्षक शेष कुमार शुक्ल ने इस प्रार्थना पत्र पर विचार करते हुए इंद्रमणि को सूचित किया कि क्षेत्राधिकारी बनने के लिए पीसीएस की परीक्षा पास करना और प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य है। इस प्रकार, इंद्रमणि की मांग को एक सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्हें यह भी समझाया गया कि सरकारी पदों के लिए आवश्यक योग्यता और प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।
इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि युवा बेरोजगारों की समस्याओं को लेकर कितनी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इंद्रमणि जैसे युवाओं की आकांक्षाएं और उनके लिए सरकारी नौकरियों की आवश्यकता, समाज में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है।
समाधान दिवस का आयोजन हर शनिवार को किया जाता है, जिसमें विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए फरियादियों को बुलाया जाता है। यह एक ऐसा मंच है जहां लोग अपनी समस्याओं को सीधे अधिकारियों के सामने रख सकते हैं। इस दिन, कई अन्य फरियादियों ने भी अपनी समस्याएं रखीं, लेकिन इंद्रमणि का मामला विशेष रूप से चर्चा का विषय बना रहा।
यह घटना न केवल इंद्रमणि की व्यक्तिगत समस्या को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे युवा पीढ़ी सरकारी नौकरियों के प्रति अपनी आकांक्षाएं व्यक्त कर रही है। ऐसे में, यह आवश्यक है कि प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाए और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करे।
समाधान दिवस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सरकारी तंत्र में सुधार की आवश्यकता है, ताकि बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके और युवाओं को उनके अधिकार मिल सकें। ताकि वह नौकरी के इस तरह समाधान दिवस में न पहुंचें।
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