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    जौनपुर में नाबालिग के अपहरण, दुष्कर्म मामले में बेटे को 10 साल, पिता को 3 साल की सजा

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 07 Nov 2025 06:17 PM (IST)

    जौनपुर की एक अदालत ने 2018 के एक मामले में नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के दोषी बेटे को 10 साल की कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस अपराध में सहयोग करने वाले पिता को भी 3 साल की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, शक्ति सिंह ने यह फैसला सुनाया।

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    अर्थदंड की समस्त धनराशि पीड़िता को देने का आदेश हुआ।

    जागरण संवाददाता, जौनपुर। खुटहन निवासी इंटरमीडिएट की छात्रा का स्कूल से अपहरण कर उसके साथ दुराचार के दोषी संदीप कुमार को अपर सत्र न्यायाधीश उमेश कुमार द्वितीय ने 10 वर्ष कठोर कारावास एवं 38 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाया।

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    पीड़िता को बंदी बनाने के मामले में दोषी दुराचारी के पिता सभाराज को कोर्ट ने तीन वर्ष कठोर कारावास एवं तीन हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाया। अर्थदंड की समस्त धनराशि पीड़िता को देने का आदेश हुआ।

    पीड़िता ने खुटहन थाने में 30 अगस्त 2023 को घटना की रिपोर्ट दर्ज कराया। उसके मुताबिक वह 14 अगस्त 2023 को स्कूल पढ़ने गई थी। लंच के समय बगल का संदीप यह कहकर उसे बाइक से लेकर गया कि तुम्हारे पिता का एक्सीडेंट हो गया है। ऐसे में वह संदीप के बाइक पर बैठकर खुटहन बाजार आई।

    वहां संदीप ने एक्सीडेंट की बात को नकारते हुए एक कपड़े की दुकान पर ले जाकर जींस टाप दिलवाया। स्कूली ड्रेस बदलवा दिया फिर बहला फुसला कर शाहगंज से ट्रेन में बैठाकर मुंबई अपनी निजी खोली में ले गया जहां उसका पिता सभाराज रहता था। दोनों ने पीड़िता को शादी का झांसा दिया और कहा कि यह खोली तुम्हारा नाम कर दूंगा।

    इसके बाद संदीप ने जबरन उसके साथ दुराचार किया। संदीप के पिता उसे कमरे में बंद रखे थे। 22 अगस्त 2023 को जानकारी होने पर पीड़िता के पिता व मामा उसे ढूंढते हुए मुंबई संदीप के आवास पर पहुंचे तब संदीप व उसके पिता मौके से भाग गए।

    पीड़िता को घर लाया गया। पुलिस ने उसका मेडिकल व बयान कराया। सरकारी वकील राजेश उपाध्याय व कमलेश राय ने गवाहों को परीक्षित कराया।

    कोर्ट ने अपराध की प्रकृति, समाज पर पड़ने वाला प्रभाव, अपराध के कारण पीड़ित पक्ष पर हुए मानसिक सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रभाव,पीड़िता की आयु, दोषी की आयु व उसकी मानसिक परिपक्वता पर विचार करते हुए पिता-पुत्र को दोषी पाते हुए दंडित किया।