देवी दुर्गा की आराधना का पुण्यकाल शारदीय नवरात्र कल से
शारदीय नवरात्र गुरुवार सात अक्टूबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में घरों व देवी मंदिरों में अनुष्ठान की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। देवी मंदिरों को सजाने के साथ ही घरों की साफ-सफाई का काम अंतिम दौर में चल रहा है। बाजारों में पूजन के लिए नारियल चुनरी सहित अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं।

जागरण संवाददाता, जौनपुर : शारदीय नवरात्र गुरुवार सात अक्टूबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में घरों व देवी मंदिरों में अनुष्ठान की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। देवी मंदिरों को सजाने के साथ ही घरों की साफ-सफाई का काम अंतिम दौर में चल रहा है। बाजारों में पूजन के लिए नारियल, चुनरी सहित अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं। जहां खरीदारों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
इस बार शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा व नवमी तिथि गुरुवार के दिन पड़ने से नवरात्र का महत्व बढ़ गया है। ज्योतिष व तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल ने बताया कि गुरुवार दिन के अधिष्ठाता देव गुरु वृहस्पति हैं जो शुभता के प्रतीक हैं। गुरु वृहस्पति धर्म, संतान, विद्या व भाग्य के कारक माने जाते हैं, इसलिए इस नवरात्र में सच्ची श्रद्धा से मां की पूजा-अर्चना से विशेष लाभ की प्राप्ति होगी। बताया कि षष्ठी तिथि के क्षय के कारण नवरात्र आठ दिनों का ही होगा।
शुरुआत चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में होगी, इसलिए घट स्थापना अभिजित मुहूर्त में करना श्रेष्ठ रहेगा। अभिजित मुहूर्त दिन में 11.36 से 12.24 बजे तक होगा। नवरात्र में चार दिन रवि योग बनेगा। यह योग उन्नति और समृद्धि देता है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के पूजन का है विधान
हिदू धर्म में माता दुर्गा को आदिशक्ति कहा जाता है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी तथा नवमी के दिन कुंआरी कन्याओं का पूजन किया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों क्रमश: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा का विधान है। दुर्गा पूजा के नौ दिन तक देवी दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ आदि का आयोजन किया जाता है। चौकिया धाम में पूजन सामग्रियों की दुकान लगाने वाले पप्पू यादव ने बताया कि वैसे तो पूजन सामग्रियों की मांग हमेशा रहती है, कितु मां के दरबार में भक्तों की भीड़ नवरात्र में बढ़ जाती है। इसे ध्यान में रखकर अतिरिक्त पूजन सामग्री को लाया गया है। पूर्वांचल की प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां शीतला चौकिया धाम, नव दुर्गा मंदिर नखास और मैहर शक्ति पीठ परमानतपुर में मंदिर परिसर में साफ-सफाई व धुलाई का कार्य जोर-शोर से चल रहा है।
------------------ दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार
शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजन के लिए जगह-जगह पंडाल बनाए जाने लगे हैं। कलाकार दुर्गा प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। बुधवार की शाम से पंडालों में प्रतिमाएं स्थापित होंगी। दूसरी तरफ वैश्विक महामारी कोरोना व महंगाई की मार मूर्तिकारों पर भारी पड़ रही है। पूजन में गाइडलाइन का बंधन के कारण मूर्तिकारों व दुर्गा पूजा समितियों में भी कम उत्साह देखा जा रहा है। जिले में हर वर्ष पश्चिम बंगाल से ही जून व जुलाई माह में मूर्तिकारों का आना शुरू हो जाता है। जिसमें पालीटेक्निक चौराहा कृषि भवन के समीप दो-तीन, टीडी कालेज के सामने, कुत्तूपुर तिराहा, रामदयालगंज, घनश्यामपुर, शाहगंज, मछलीशहर में मूर्तिकार हैं। इनका कहना है कि दो साल से वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हर बार की तरह इस बार पूजा पंडाल वाले मूर्तियों का आर्डर काफी कम मिला है।
पहले बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं का आर्डर मिलता था, लेकिन अब अधिकांश संस्थान छोटी मूर्तियां ही बनवा रहे हैं। मूर्तिकार आलोक प्रजापति ने बताया कि इस बार पूजा पंडालों की तरफ से बड़ी मूर्ति के आर्डर नहीं मिल रहे है। अब प्रतिमाओं के श्रृंगार का काम किया जा रहा है। बढ़ती महंगाई का असर दुर्गा प्रतिमाओं पर भी दिख रहा है। पूजन में गाइडलाइन का होगा अनुपालन
श्री दुर्गापूजा महासमिति के अध्यक्ष विजय सिंह बागी ने बताया कि छह अक्टूबर को नवरात्र लगने के साथ मूर्तियों की पंडालों में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जिसका 15 अक्टूबर को विसर्जन किया जाएगा। समितियों की समस्याओं बिजली, पानी, साफ-सफाई को लेकर नगर निकाय व प्रशासन को डिमांड भेजी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिले में लगभग 2100 प्रतिमाएं स्थापित कर पूजन किया जाएगा। इसमें श्री दुर्गापूजा महासमिति से पंजीकृत समितियों की संख्या 651 है। अध्यक्ष ने बताया कि गाइडलाइन के अनुसार पंडाल स्थापित कर पूजन की तैयारी है। विसर्जन के दिन छोटे वाहनों से शोभायात्रा निकाली जाएगी।
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