जौनपुर में खालिद दूबे के निकाह में 100 से अधिक ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दिया आशीर्वाद
जौनपुर में खालिद दूबे के निकाह में सौ से अधिक ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आशीर्वाद दिया। यह विवाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना। इस अवसर ...और पढ़ें

जौनपुर: केराकत के डेहरी गांव में खालिद दुबे (बाएं से दूसरे) के विवाह के उपरांत आयोजित बहूभोज कार्यक्रम में उपस्थित अर्चना भारतवंशी (बाएं) साथ में पातालगिरी मठ के पीठाधीश्वर बालक देवाचार्य जी महाराज, विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव श्रीगुरु जी व नौशाद अहमद दुबे ( क्रमशः बाएं से दाएं )। जागरण
जागरण संवाददाता, जौनपुर। केराकत के डेहरी गांव निवासी नौशाद अहमद दूबे के भतीजे खालिद दूबे का निकाह और उसके बाद आयोजित बहूभोज (दावते वलीमा) कार्यक्रम पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा। इस आयोजन में हिंदू और मुस्लिम रिश्तेदारों का भावनात्मक मिलन देखने को मिला।
रविवार को आयोजित बहूभोज कार्यक्रम में 100 से अधिक ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वर-वधू को आशीर्वाद दिया। इस दौरान हिन्दू और मुस्लिम परिवारों के सदस्यों ने एक-दूसरे से मिलकर भावनात्मक क्षण साझा किए। खालिद दूबे का निकाह शनिवार को सम्पन्न हुआ था, जिसके अगले दिन दावते वलीमा का आयोजन किया गया।
इस आयोजन का निमंत्रण पत्र पहले से ही चर्चा में रहा, जिसमें उल्लेख किया गया था कि वे आठ पीढ़ी पूर्व आजमगढ़ से आए लालबहादुर दूबे के वंशज हैं। इसी कड़ी में नौशाद अहमद दूबे ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में फैले अपने हिंदू और मुस्लिम खानदानी रिश्तेदारों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया था।
कार्यक्रम में पातालगिरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक देवाचार्य महाराज, महंत जगदीश्वर महाराज सहित काशी से आए वैदिक ब्राह्मणों ने भी वर-वधू को आशीर्वाद दिया। इसके अलावा कई हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी नवदंपती को शुभाशीष प्रदान किया।
इस आयोजन ने क्षेत्र में एकता और भाईचारे का संदेश दिया। खालिद दूबे और उनकी दुल्हन के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए विभिन्न समुदायों के लोग एकत्रित हुए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है।
इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल पारिवारिक बंधनों को मजबूत करते हैं, बल्कि विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को भी बढ़ावा देते हैं। खालिद दूबे के विवाह समारोह ने इस बात को साबित किया कि जब लोग एक साथ आते हैं, तो वे न केवल अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में एकता का संदेश भी फैलाते हैं।
इस विवाह समारोह ने क्षेत्र के लोगों को एक नई दिशा दिखाई है, जिसमें सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर खुशियों का जश्न मनाते हैं। यह आयोजन निश्चित रूप से आने वाले समय में एक मिसाल बनेगा। खालिद दूबे का विवाह समारोह न केवल एक व्यक्तिगत खुशी का अवसर था, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक भी बना। हालांकि उनके परिवार में भी पूर्वजों का टाइटिल लगाने को लेकर काफी विवाद की स्थिति भी रही।

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