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    निकिता की मां-भाई ने पूरे दिन बंद रखा दरवाजा, चौंकाने वाला रिएक्शन; अतुल के पिता बोले- पैसे के लिए कर दिया बर्बाद

    Updated: Wed, 11 Dec 2024 09:00 PM (IST)

    Atul Subhash Case जौनपुर में निकिता के पति अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है। बेंगलुरु में दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के मुकदमे के बाद निकिता की मां और भाई ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया। अतुल के पिता ने आरोप लगाया कि निकिता और उसके परिवार ने उनके बेटे की जिंदगी बर्बाद कर दी।

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    बेंगलुरु में निजी कंपनी में ड‍िप्‍टी जनरल मैनेजर थे अतुल सुभाष।- वीड‍ियो ग्रैब (सोशल मीड‍िया)

    जागरण संंवाददाता, जौनपुर। Nikita Family Reaction: आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए बेंगलुरु में दर्ज हुए मुकदमे के बाद भी निकिता की मां निशा सिंघानिया व बेटे अनुराग सिंघानिया के तेवर तल्ख दिखे। निकिता के पति अतुल सुभाष के खुदकुशी के मामले में जब मीडिया के लोग जब उसके आवास मधारेटोला पहुंचे और मां व भाई से प्रतिक्रिया लेनी चाही तो मां व भाई ने यह कर दरवाजा बंद कर लिया कि पुलिस आएगी तो बात होगी।

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    यह परिवार तकरीबन दो वर्ष पहले रुहट्टा से मधारेटोला में रहकर कपड़ों की ट्रेडिंग के व्यवसाय से जुड़ा है। दिन भर यह चर्चा होती रही कि बेंगलुरु से पुलिस जौनपुर पहुंच रही है। हालांकि देररात तक वह नहीं पहुंची। मामला गंभीर होने की वजह से खुफिया तंत्र के साथ पुलिस भी नजर बनाए है।

    आस-पास के लोगों की घर बढ़ने की जानकारी पर कोतवाल मिथिलेश मिश्र भी पहुंचकर व लोगों को समझाकर हटाया। इस घटना से पड़ोसी भी स्तब्ध हैं। पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि एक काबिल इंजीनियर इस तरह का कदम उठाएगा यह समझ से परे है। जितेंद्र साहू ने लड़की के घरवालों को खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि इस मामले की जांच के साथ ही दोषियों पर कार्रवाई बेहद जरूरी है।

    अतुल की मौत में नहीं है मेरा परिवार दोषी

    निकिता के ताऊ जौनपुर के रुहट्टा निवासी कपड़ा व्यवसायी सुशील कुमार ने कहा कि मीडिया के जरिए मुझे पता चला कि मेरे खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है, जबकि इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। हम लोग तो यहां जौनपुर में बैठे हुए हैं।

    तीन साल से हम लोगों का मुकदमा चल रहा है। हम लोगों से उनकी कोई भेंट या मुलाकात भी नहीं हुई। कोर्ट में केस चल रहा है। यह अचानक कैसे और क्यों हो गया। इसके लिए हम या हमारा परिवार दोषी नहीं है। अतुल ने जो आरोप लगाया है वह गलत है। निकिता बाहर उसको सभी जानकारी है। वह जब आ जाएगी तो हर बात का जवाब देगी।

    कोर्ट का आदेश है बिल्कुल सही

    मृत अतुल के अधिवक्ता दिनेश मिश्र ने अतुल के सुसाइड को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कहा कि उसकी तनख्वाह करीब 84 हजार रुपये प्रतिमाह थी। निकिता भी अच्छी जाब करके प्रतिमाह तनख्वाह पाती थी। कोर्ट ने निकिता के पक्ष में कोई आदेश नहीं किया। अतुल के बेटे को 40 हजार प्रतिमाह देने का कोर्ट का आदेश दिया जो बिल्कुल सही आदेश था, क्योंकि पत्नी तो स्वयं कमा रही थी।

    कोर्ट के ऊपर जो भी आरोप लगाया गया है वह बिल्कुल गलत और निराधार है। भरण पोषण का मुकदमा जुलाई में ही डिसाइड भी हो चुका था। अगर अतुल उससे पीड़ित था तो उसे हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए थी कि धनराशि कम की जाए, लेकिन ऐसा कदम उठाना नहीं चाहिए था। हो सकता है बीच में लड़की या उसके परिवार वालों ने अतुल से कोई अन्य मांग किया हो जिससे वह परेशान हुआ हो।

    निकिता व उसकी मां ने पैसे के लिए हम लोगों को बर्बाद कर दिया

    मृत अतुल के पिता पवन ने फोन पर रोते हुए कहे कि हम लोग बर्बाद हो गए। बेंगलुरू से वह बिहार पहुंच चुके हैं। कहा कि निकिता ने केवल पैसे के लिए मेरे बेटे से शादी किया। पैसा ही उसके लिए सब कुछ था। वह केवल एक दिन हम लोगों के साथ बिहार समस्तीपुर में रही। दूसरे दिन पति के साथ बेंगलुरु चली गई। इस पूरी घटना में निकिता,उसकी मां व उसके ताऊ का प्रमुख रोल है। उसके पिता बहुत सीधे थे।

    वह बीमार थे। शादी के कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु भी हो गई थी। शादी के दो साल बाद ही निकिता ने हम लोगों पर कई झूठे मुकदमे कर दिए। हमने अपने पोते को एक दिन भी गोद में नहीं खिलाया है। बेंगलुरु से कई बार बेटा अतुल और यहां से हम लोग कोर्ट जाते थे।

    कोर्ट के चक्कर काट-काट कर बेटा थक चुका था। उसे न्याय की कोई उम्मीद नहीं थी। कोर्ट से 40 हजार भरण पोषण के आदेश के बाद भी निकिता ने हाईकोर्ट में अपील कर रखा था। वहां भी बेटे को बेंगलुरु से दौड़ कर जाना पड़ता था। हत्या व अन्य गंभीर धाराओं का मुकदमा निकिता ने किया था जिसे बाद में वापस ले लिया। कहा कि निकिता व उसकी मां ने हम लोगों को बर्बाद कर दिया।