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    धर्म की स्थापना के लिए होता है महामाया का प्राकट्य

    जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है धर्म का लोप होने लगता है तब-तब अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना के लिए महामाया भगवती का प्राकट्य होता है।

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 06 Apr 2022 07:53 PM (IST)
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    धर्म की स्थापना के लिए होता है महामाया का प्राकट्य

    जागरण संवाददाता, सुजानगंज (जौनपुर): जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, धर्म का लोप होने लगता है तब-तब अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना के लिए महामाया भगवती का प्राकट्य होता है। उक्त बातें क्षेत्र के प्रेम का पूरा में मां अन्नपूर्णा धाम में अन्नपूर्णा महोत्सव के तहत चल रही श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की कथा में अयोध्या से आए व्यास आनंद भूषण महाराज ने मंगलवार की देर शाम कही। पूज्य महाराज ने मधु कथा प्रसंग के माध्यम से लोगों को बताया कि भगवान विष्णु के कान के मैल से जब मधु-कैटभ राक्षस प्रकट हुए तब उन्होंने तीनों लोक में हाहाकार मचा दिया। मधु-कैटभ के आतंक से पीड़ित देवताओं ने महामाया की शरण में जाकर याचना की तब महामाया की कृपा से मधु-कैटभ नामक राक्षस का अंत हुआ और पुन: धर्म की स्थापना हुई। देवी भागवत कथा प्रसंग में ही महाराज ने कृष्ण जन्मोत्सव की लीला का भी वर्णन किया। उन्होंने श्रोताओं को सीख देते हुए कहा कि जीवन सुंदर बनाना है तो महामाया की शरण में ही रहना चाहिए।

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