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    जौनपुर में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति ने चीफ प्राक्टर को भी पद से हटाया

    By ANAND SVARUP CHATURBEDIEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 03:13 PM (IST)

    वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में राज्यपाल की नाराजगी के बाद कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने चीफ प्राक्टर डा. राजकुमार सोनी को हटा दिया। इससे पहले दो वार्डन हटाए गए थे और एक इलेक्ट्रिशियन को निलंबित किया गया। दीक्षा समारोह में अव्यवस्थाओं को लेकर जांच समितियां गठित की गई हैं ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की छवि बनाए रखना प्राथमिकता है।

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    कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की नाराजगी के बाद व‍िव‍ि में कार्रवाई की गई है।

    जागरण संवाददाता, जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षा समारोह के बाद कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की नाराजगी और विश्वविद्यालय की अव्यवस्थाओं को लेकर उठाए गए सवालों के मद्देनजर विश्वविद्यालय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की है। लगातार दूसरे दिन गुरुवार को कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने चीफ प्राक्टर डा. राजकुमार सोनी को उनके पद से हटा दिया। कुलपति के आदेश पर कार्यवाहक कुलसचिव डा. विनोद कुमार सिंह ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया।

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    इससे पहले बुधवार को दो वार्डन को भी उनके पद से हटा दिया गया था। दीक्षा समारोह के दौरान बिजली कटने की घटना के कारण विद्युत विभाग के इलेक्ट्रिशियन धीरज श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया था। राज्यपाल ने दीक्षा समारोह के दौरान विश्वविद्यालय की व्यवस्थाओं, छात्रावासों की स्थिति और अनुशासन व्यवस्था पर कई गंभीर टिप्पणियां की थीं। उनकी नाराजगी के बाद कुलपति ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन सभी बिंदुओं पर अलग-अलग जांच समितियां गठित की हैं, ताकि जिम्मेदारी तय की जा सके और भविष्य में ऐसी लापरवाही न दोहराई जाए।

    कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय की छवि को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि दीक्षा समारोह के दौरान हुई अव्यवस्थाओं को लेकर हम गंभीर हैं और इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जांच समितियों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    इस घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दिया है। कुलपति ने स्पष्ट किया कि छात्रों और अभिभावकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है।

    इस प्रकार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है, जो छात्रों के हित में है।यह घटनाक्रम न केवल विश्वविद्यालय के लिए एक चुनौती है, बल्कि इसे सुधारने का एक अवसर भी प्रदान करता है।