जौनपुर में तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति के बाद माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था प्रभावित
जौनपुर में तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति के बाद माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो गई है। कई विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है जिससे पठन-पाठन बाधित हो रहा है। रामेश्वर इंटर कॉलेज राजेपुर में केवल प्रधानाचार्य ही बचे हैं। शिक्षक संघ ने सरकार से बेरोजगार हुए शिक्षकों की सेवा बहाल करने की मांग की है।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त होने के बाद जनपद की माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गई है। रामेश्वर इंटर कालेज राजेपुर में सिर्फ प्रधानाचार्य बचे हैं वहीं कई विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। जिम्मेदार इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
प्रदेश सरकार का गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर विशेष ध्यान है। इसके लिए माध्यमिक विद्यालयों में अरसे से रिक्त पदों पर तैनाती की गई। प्रोजेक्ट अलंकार योजना के तहत विद्यालयों को संसाधनों से लैस किया जा रहा है दूसरी तरफ 25 माध्यमिक विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। गतिरोध का मुख्य कारण कई दशक से सेवा दे रहे तदर्थ शिक्षकों का सेवा समाप्त होना है। मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण आयोग से नए शिक्षक नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जिले में शिक्षा की स्थिति काफी दुश्वारी भरी नजर आ रही है। यही हालात आगे बने रहे तो शिक्षा देने वालों की कमी से छात्र भी प्रभावित होने लगेंगे।
355 तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त
जनपद में वर्ष 2000 से पूर्व नियुक्त 252 और वर्ष 2000 के बाद नियुक्त 103 तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त हो गई है। इसके चलते रामेश्वर इंटर कालेज राजेपुर में सिर्फ प्रदानाध्यापक बचे हैं, विद्यालय में चार सौ से अधिक शिक्षक पंजीकृत हैं। यहां के सात शिक्षकों की सेवा समाप्त की गई है। इसी क्रम में इंटर कालेज रतनूपुर में 16, इंटर कालेज कुंवरदा में 11, इंटर कालेज सिंगरामऊ में 12 शिक्षकों को हटा दिया गया. वहीं बीस विद्यालयों में दो से पांच शिक्षकों की सेवा समाप्त की गई है। इतना ही अवकाश ग्रहण करने वाले 52 शिक्षकों को कई माह बाद फंड का भुगतान किसी तरह किया जा रहा है लेकिन उन्हें पेंशन के लाभ से वंचित कर दिया गया है।
सरकार को बदनाम करने की मंशा से माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था को साजिश के तहत अधिकारी समाप्त करने में जुटे हैं। तीस साल से सेवा दे रहे शिक्षकों को नियमित न होने का हवाला देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जबकि उन्हें इस अवधि में नियमित शिक्षकों की तरह सभी सुविधाएं मिलती रहीं। सरकार से मांग है कि बेरोजगार हुए शिक्षकों पर पुर्नविचार कर सेवा बहाल करने का आदेश दें।
- रमेश सिंह, प्रातीय संरक्षक, माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट)
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