Jaunpur News: बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को 20 वर्ष की सजा, पीड़िता की शिकायत सुन हर कोई हैरान
जौनपुर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र में एक पिता को अपनी दस वर्षीय बेटी से दुष्कर्म करने के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई है। पीड़िता ने पुलिस को बताया था कि पिता उसके साथ पिछले डेढ़ साल से दुष्कर्म कर रहा था और उसकी बड़ी बहन के साथ भी ऐसा ही किया था जिसकी बाद में मौत हो गई थी। अदालत ने इसे गंभीर अपराध माना।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। लाइन बाजार थाना क्षेत्र निवासी दस वर्षीय बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को अपर सत्र न्यायाधीश उमेश कुमार द्वितीय ने शनिवार को 20 वर्ष कारावास व 28 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाया। अर्थदंड की पूरी धनराशि पीड़िता को देने का आदेश दिया। इसके साथ ही पीड़िता को अतिरिक्त प्रतिकर दिलाए जाने के लिए कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सिफारिश की।
पिता की हैवानियत से त्रस्त दस वर्षीय बेटी हिम्मत जुटाते हुए अपने बड़े भाई के साथ 21 अगस्त 2022 को पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची और प्रार्थना पत्र दिया। उसमें बेटी ने कहा कि डेढ़ वर्ष पूर्व से पिता उसके साथ दुष्कर्म कर रहा है।
धमकी दे रहा है कि किसी से बताई तो जान से मार दूंगा। इसके साथ ही परिवार के अन्य लोगों को भी धमकी देता है। बेटी ने यह भी बताया कि पूर्व में बड़ी बहन के साथ भी पिता ने दुष्कर्म किया था। जब वह बीमार हो गई तो उसे घर के बेसमेंट में रख दिया और कुछ खाने-पीने को नहीं दिया।
जानकारी होने पर कुछ दिन बाद बड़े पिता बहन को अस्पताल ले गए। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बेटी के प्रार्थना पत्र पर पुलिस अधीक्षक के आदेश पर लाइन बाजार थाने में 23 अगस्त को दुष्कर्म व धमकी की धाराओं में आरोपित पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।
पुलिस ने दूसरे दिन उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस दौरान बेटी का मेडिकल कराया व मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान हुआ। 20 अक्टूबर को पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। सरकारी वकील ने गवाहों के बयान कराए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पिता को दोषी पाते हुए सजा सुनाया।
कोर्ट की टिप्पणी...
अपर सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा है कि पिता जो परिवार में सुरक्षा और मार्गदर्शन का प्रतीक है, जब वह अपनी नाबालिग पुत्री जो अपने भरण-पोषण के लिए पूर्णतया उस पर निर्भर है। उसके साथ ऐसा जघन्य अपराध करता है तो पुत्री के लिए यह अनुभव गहरा मनोवैज्ञानिक आघात पैदा करता है।
इससे वह अवसाद, चिंता, आत्म सम्मान की कमी और आत्मघाती विचारों से त्रस्त हो सकती है। सामाजिक रूप से भी उसे तिरस्कार, अपमान और बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा अपराध सामाजिक व पारिवारिक संस्थाओं को भी कमजोर करता है।
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