8.90 लाख पशुओं को लगाया जाएगा एफएमडी का टीका
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के तहत खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण व बीमारी के पूर्ण उन्मूलन के लिए सघन टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत प्रति एक हजार मवेशियों के टीकाकरण के लिए एक वैक्सीनेटर की तैनाती की जाएगी। अभियान का शुभारंभ 15 मार्च से होना है लेकिन अभी तक जिले में वैक्सीन नहीं आई है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) के तहत खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण व बीमारी के पूर्ण उन्मूलन के लिए सघन टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत प्रति एक हजार मवेशियों के टीकाकरण के लिए एक वैक्सीनेटर की तैनाती की जाएगी। अभियान का शुभारंभ 15 मार्च से होना है लेकिन अभी तक जिले में वैक्सीन नहीं आई है।
पशुओं को खुरपका-मुंहपका बीमारी से बचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सघन अभियान चलाया जा रहा है। इसके समूल नाश हेतु मुफ्त टीके लगाए जा रहे हैं। जिले में 15 मार्च से 30 अप्रैल तक चलाए जाने वाले अभियान में सभी गो वंश व भैंस वंश के पशुओं को टीका लगाया जाएगा। कार्यक्रम में चार माह से छोटे पशुओं और आठ माह के गर्भित पशुओं को टीका नहीं लगाया जाएगा।
प्रभारी सीवीओ डा. राजेश कुमार ने बताया कि यह बीमारी पशुओं के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। यह अत्यंत संक्रामक एवं घातक विषाणुजनित रोग है। इसकी चपेट में गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर आदि पालतू पशुओं के अलावा हिरन जैसे जंगली पशु भी आते हैं। तेज बुखार तथा बीमार पशु के मुंह मसूड़े, जीभ के ऊपर, नीचे ओठ के अंदर का भाग, खुरों के बीच की जगह पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। धीरे-धीरे यह दाने आपस में मिलकर बड़ा छाला बनाते हैं और आगे चलकर घाव हो जाता है जिससे पशु जुगाली करना बंद कर देता है। टीकाकरण ही बचाव का प्रमुख उपाय है। पशुओं की होगी टैगिग, हर दिन भेजी जाएगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीकाकरण से पूर्व पशुओं की टैगिग की जाएगी। पशुपालकों का नाम, आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर आदि अंकित कर हर दिन टीकाकरण की रिपोर्ट भेजी जाएगी। एनएडीसीपी कार्यक्रम के तहत जनपद के 1749 ग्राम पंचायतों में वैक्सीनेटर व सहायक की तैनाती की जा रही है। प्रति मवेशी टीकाकरण का तीन रुपये व टैगिग का ढाई रुपये पारिश्रमिक दिया जाएगा। टीकाकरण करने वाले विभाग के टैबलेट पर निर्धारित प्रारूप में टीकाकरण की जानकारी भरकर हर दिन प्रेषित करेंगे। लाभ पाने को अवश्य कराएं टैगिग
प्रभारी मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा. राजेश कुमार ने बताया हर पशु की टैगिग की जा रही है। टैगिग वाले पशुओं का ही टीकाकरण किया जाएगा। इतना ही नहीं इन्हीं पशुओं को ही सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ मिलेगा। पशुपालकों से आह्वान है कि वह अवश्य टैगिग करा लें। टीकाकरण की तैयारी पूरी कर ली गई है। वैक्सीन आते ही अभियान शुरू कर दिया जाएगा। मुख्य लक्षण-
-प्रभावित होने वाले पैर को झाड़ना (पटकना)।
-लंगड़ाना।
-खुर में घाव होना एवं घावों में कीड़ा पड़ जाना।
-मुंह से लार गिरना, जीभ, मसूड़े, ओंठ आदि पर छाले पड़ जाना।
-दुग्ध उत्पादन में कमी, हांफना।
-प्रजनन क्षमता प्रभावित होना।
-शरीर में रोयें व खुर बहुत बढ़ जाते हैं। गर्भवती पशुओं में गर्भपात की संभावना बनी रहती है। उपचार-
-पशु के पैर को नीम एवं पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार धोएं।
-फिनायलयुक्त पानी से दिन में दो-तीन बार धोकर मक्खी को दूर रखने वाले मलहम का प्रयोग करें।
-मुंह के छाले को एक प्रतिशत फिटकिरी 100 मिलीलीटर पानी में घोलकर दिन में तीन बार धोएं।
-पीड़ित पशु को सुपाज्य और पौष्टिक आहार दें।
-पशु चिकित्सक के परामर्श पर दवा दें। सावधानी-
-प्रभावित पशु को साफ एवं हवादार स्थान पर अन्य पशुओं से दूर रखें।
-पशुओं की देखरेख करने वाले व्यक्ति को भी हाथ-पांव अच्छी तरह साफ करके ही दूसरे पशुओं के पास जाना चाहिए।
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