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    Jaunpur News: नाबालिग बेटियों से दुष्कर्म करता था प‍िता, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

    Updated: Wed, 21 May 2025 06:43 PM (IST)

    जौनपुर में एक पिता को अपनी नाबालिग बेटियों से दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत ने दोषी पर 54 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जो बेटियों को दिया जाएगा। बच्चियों की मां ने 2022 में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। अदालत ने इस मामले को परिवार के विश्वास और एकता को तोड़ने वाला बताया।

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    नाबालिग बेटियों से दुष्कर्म के दोषी पिता को कोर्ट ने सुनाई सजा।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    जागरण संवाददाता, जौनपुर। अपनी ही दो नाबालिग बेटियों से दुष्कर्म करने के दोषी पिता को अपर सत्र न्यायाधीश उमेश कुमार द्वितीय ने बुधवार को आजीवन कारावास व 54 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड की पूरी धनराशि दोनों बच्चियों को देने का आदेश दिया। इसके साथ दोनों बच्चियों को अतिरिक्त प्रतिकार दिलाए जाने के लिए कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सिफारिश की। मामला सुरेरी थाना क्षेत्र के एक गांव का तीन पूर्व का है।

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    बच्चियों की मां ने 10 जून 2022 को सुरेरी थाने में एफआईआर दर्ज कराया कि उसकी 15 व 13 वर्षीय दो पुत्रियों के साथ सगे पिता धीरज पांडेय द्वारा छह महीने से दुराचार किया जा रहा है। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है। डर की वजह से दोनों बच्चियों ने घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। जब मुझे जानकारी हुई तो घटना की सूचना थाने पर दी। इस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।

    इसके कुछ दिन बाद पुलिस ने आरोपित धीरज पांडेय को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दोनों बच्चियों का मेडिकल कराने के साथ ही मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान कराया। इसके बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ 10 सितंबर 2022 विभिन्न धाराओं में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। सरकारी वकील राजेश उपाध्याय व कमलेश राय ने गवाहों दोनों बच्चियों, उसकी मां व भाई का कोर्ट में बयान दर्ज कराया।

    आरोपित के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उसे झूठा फंसाया गया है। उसकी पत्नी जमीन बेचने से नाराज थी। लड़ाई-झगड़ा होता था। इसी के चलते एफआईआर दर्ज करा दी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद धीरज पांडेय को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

    कोर्ट ने फैसले में क्‍या ल‍िखा? 

    कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि दोषी द्वारा नाबालिग पुत्रियों के साथ दुराचार किया गया। निश्चित रूप से पीड़िताएं इस घटना से उत्पन्न आघातकारी तनाव को आजीवन भुगतेंगी। पिता परिवार में सुरक्षा और मार्गदर्शन का प्रतीक होता है। जब ऐसा जघन्य अपराध करता है तो परिवार का विश्वास और एकता पूरी तरह टूट जाती है। परिवार के अन्य सदस्यों तथा रिश्तेदारों के बीच विश्वास, शर्मिंदगी और मानसिक तनाव बढ़ता है।

    एक पुत्री के लिए तो यह अनुभव और भी गहरा मनोवैज्ञानिक आघात पैदा करता है जिससे वह अवसाद, चिंता, आत्म सम्मान की कमी और आत्मघाती विचारों से ग्रस्त हो सकती है। सामाजिक रूप से उसे तिरस्कार, अपमान और बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा अपराध सामाजिक व पारिवारिक संस्थाओं विशेष रूप से पितृत्व व परिवार की पवित्रता पर विश्वास को कमजोर करता है। कठोर दंड नहीं दिया गया तो यह बालिकाओं के प्रति हिंसा को सामान्य बनाने का काम करेगा जिससे समाज में लैंगिक असमानता और हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।