अतुल सुभाष केस: निकिता और उसके परिवार के फरार होने पर बेंगलुरु व जौनपुर पुलिस पर सवाल
जौनपुर में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद उनके परिवार ने पत्नी निकिता सास निशा साला अनुराग और ताऊ सुशील सिंघानिया के खिलाफ आत्महत्या के दुष्प्रेरण की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोपी अनुराग और उसकी मां निशा फरार हो गए थे लेकिन बेंगलुरु पुलिस ने जौनपुर पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सूचित नहीं किया था।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। नौ दिसंबर को एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के आत्महत्या के बाद अतुल के भाई विकास ने उसकी पत्नी निकिता, निकिता की मां निशा, उसके भाई अनुराग व ताऊ सुशील सिंघानिया के खिलाफ आत्महत्या के दुष्प्रेरण की धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दिया था। अगले दिन मीडिया में यह खबर आने पर पूरे देश में हलचल मच गई। सुप्रीम कोर्ट में चर्चा के बाद हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान तक ले लिया।
अनुराग व उसकी मां ने बुलाई थी पुलिस
घटना के दूसरे दिन जनपद के कोतवाली क्षेत्र के मधारेटोला में रह रहे आरोपियों के घर जब मीडिया कर्मी पहुंचे और आरोपियों का वक्तव्य लेना चाहा तो घर में मौजूद आरोपी निकिता का भाई अनुराग व उसकी मां निशा सिंघानिया का मीडिया कर्मियों से नोकझोंक हुई। अनुराग व उसकी मां ने कोतवाली से पुलिस बुला लिया।
पुलिस आरोपियों के घर के बाहर तैनात हो गई। मीडिया कर्मी घर के बाहर बने रहे, लेकिन 11 दिसंबर की रात मां-बेटे घर से ताला बंद करके पिछले दरवाजे निकले और मोटरसाइकिल पर बैठकर फरार हो गए। उस समय वहां पुलिस नहीं थी।
मीडिया कर्मियों ने उनका पीछा भी किया तो दोनों ने कहा कि दवा लेने जा रहे हैं। तब से आरोपियों के घर ताला बंद है और उनका कोई पता नहीं है। इस दौरान आरोपी ताऊ सुशील सिंघानिया का भी वक्तव्य मीडिया कर्मियों ने लिया था, जिसमें उसने खुद को निर्दोष बताया था और बड़े इत्मीनान से वक्तव्य दिया।
जौनपुर पुलिस को बाद में मिली सूचना
शुक्रवार को बेंगलुरु से दीवानी न्यायालय पहुंचे सब इंस्पेक्टर रंजीत कुमार से जब दैनिक जागरण टीम द्वारा पूछा गया कि घटना की एफआईआर दर्ज होने के बाद यहां की पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए क्या बेंगलुरु पुलिस ने सूचित किया और किया तो कब। इस पर उन्होंने बताया कि वहां की एफआईआर के बारे में यहां की पुलिस को यहां आने के बाद सूचित किया गया।
इस संबंध में अधिवक्ता प्रशांत पंकज श्रीवास्तव, अवनीश चतुर्वेदी व सुरेंद्र प्रजापति ने कहा कि प्रश्न यह उठता है कि इतने हाई प्रोफाइल मामले, जिसमें हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया हो। उसमें बेंगलुरु की पुलिस ने जौनपुर की पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया कि आरोपियों की गिरफ्तारी की जाए अथवा उनको घर में नजरबंद रखा जाए।
इसके अलावा घटना व एफआईआर दर्ज होने के बाद मीडिया कर्मियों के सवाल पूछने पर भड़के निकिता के भाई और मां ने पुलिस को बुलाया। पुलिस वहां निगरानी कर रही थी, लेकिन क्या पुलिस को जानकारी नहीं थी कि आत्महत्या की एफआईआर दर्ज हो चुकी है और आरोपियों को नजरबंद किया जाए।
क्या किसी बड़े नेता या हाई प्रोफाइल व्यक्ति का किसी दूसरे प्रांत में हत्या होने के बाद हत्यारोपी अगर दूसरे प्रांत का है तो पुलिस वहां के पुलिस के आने का इंतजार करेगी कि वह आए और उसकी गिरफ्तारी या नजरबंद करे।
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