अटाला मस्जिद ही अटला देवी का मंदिर… आज भी रीति रिवाज के चिह्न व अवशेष मौजूद, कोर्ट ने तय की अगली तारीख
अटाला मस्जिद मामले में वादी संतोष कुमार मिश्र के अधिवक्ता ने मंगलवार को पूर्व में दिए गए प्रार्थना पत्र पर बहस किया। उन्होंने कहा कि अमीन को विवादित स्थल का निरीक्षण करने और उनकी रिपोर्ट व नक्शा तैयार करने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया जाए। कोर्ट ने पुनः सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय की है।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। अटाला मस्जिद मामले में वादी संतोष कुमार मिश्र के अधिवक्ता ने मंगलवार को पूर्व में दिए गए प्रार्थना पत्र पर बहस किया। कहा कि अमीन को विवादित स्थल का निरीक्षण, उनकी रिपोर्ट व नक्शा तैयार करने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया जाए। कोर्ट ने पुनः सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय की है।
पूर्व में वादी संतोष कुमार मिश्र की ओर से प्रार्थना पत्र दिया गया था कि विवादित स्थल के निरीक्षण के लिए अमीन रामस्वरात मिश्र मौके पर पहुंचे थे। जहां प्रतिवादी उपस्थित मिले और अमीन को देखकर तत्काल विवादित इमारत के सभी दरवाजे अंदर से बंद कर दिए। इससे अमीन इमारत के चारों तरफ निरीक्षण करके लौट आए और कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया था कि सुरक्षा बल प्रदान किया जाए।
वादी ने कोर्ट से मांग किया कि निरीक्षण के लिए अमीन को सुरक्षा बल प्रदान करने के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देशित किया जाए जिससे कोर्ट के आदेश का अनुपालन हो सके।
राजा विजय चंद्र ने 13 वीं शताब्दी में बनवाया था मंदिर
स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्र ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया है। कहा है कि 13 वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने अटला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था, जिसमें लोग पूजा-कीर्तन करते थे।
फिरोज शाह तुगलक ने जब जौनपुर पर आक्रमण किया तो अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। उसने अटला देवी मंदिर की भव्यता देखकर उसमें तोड़-फोड़ कराया। हिंदू धर्मावलंबी के प्रबल विरोध के कारण पूरी तरह तोड़ नहीं पाया और मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का आकार दिया जो वर्तमान में अटाला मस्जिद है।
यहां इस्लाम धर्म के लोग नमाज आदि करते हैं। सनातन धर्म के व्यक्तियों का वहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। 1408 में शर्की शासक इब्राहिम शाह ने मंदिरों को मस्जिद का मुकम्मल आकार दिया।
अटाला मस्जिद अटला देवी का मंदिर है, यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी एवं रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है मंदिर के खंभों आदि पर आज भी हिंदू स्थापत्य व वास्तुकला तथा हिंदू रीति रिवाज के चिह्न व अवशेष मौजूद हैं। सनातन धर्मावलंबियों को वहां पूजन कीर्तन करने का अधिकार है।
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