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    कालेजों में शिक्षकों के अनुमोदन में फर्जीवाड़ा

    By Edited By:
    Updated: Wed, 19 Sep 2012 08:44 PM (IST)

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    जौनपुर: वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय से सम्बद्ध स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में शिक्षकों के अनुमोदन के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है एक शिक्षक का नाम कई कालेजों में चल रहा है। शिक्षक भौतिक रूप से किसी एक कालेज में उपस्थित रहता है, मगर अन्य कालेजों में उसके नाम से कोई और शख्स पढ़ाता है।

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    अनुमोदन में फजीवाड़े का यह खेल कहीं प्रबंधक शिक्षक की डिग्री, मार्कशीट चोरी करके अंजाम दे रहे हैं तो कहीं खुद संबंधित शिक्षक की मर्जी से यह चलता है। वजह कि प्रबंधक उनके डिग्री का अनुमोदन व उपयोग के बदले में हर माह दो से ढाई हजार रुपए देते हैं। वहीं दो से ढाई हजार रुपये शिक्षक के नाम पर पढ़ाने वाले दूसरे व्यक्ति को दिया जाता है। इस प्रकार प्रबंधक 5 से 6 हजार में शिक्षक का कागजों पर मानक पूर्ण कर लेते हैं।

    यह अलग बात है कि जिस शिक्षक की डिग्री का अनुमोदन में इस्तेमाल होता है वह हकीकत में उस कालेज में पढ़ाने के बजाए अपने मूल कालेज में कार्यरत रहता है।

    वर्ष 2009 में हुआ था बड़ा खुलासा

    विवि से जुड़े सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन कुलपति प्रो.आरसी सारस्वत के कार्यकाल में विवि की वेबसाइट पर सम्बद्ध महाविद्यालयों में अनुमोदित शिक्षकों के नाम की सूची सार्वजनिक हुई थी। सूची की जांच में करीब तीन सौ शिक्षक ऐसे रहे जिनके नाम दो से तीन महाविद्यालयों में चल रहे थे। खुलासे के बाद भी विवि द्वारा कार्रवाई न किए जाने से फर्जीवाड़े का खेल आज भी चल रहा है।

    उस दरम्यिान मड़ियाहूं पीजी कालेज के राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक डा.अनुराग मिश्र ने मुक्तेश्वर पीजी कालेज प्रशासन पर अपनी डिग्री का इस्तेमाल कर फर्जी अनुमोदन का आरोप लगाया था। इस मामले में उन्होंने कोर्ट में फर्जीवाड़े का वाद दायर किया था तो कोर्ट ने संबंधितों पर मुकदमे का आदेश दिया है। दरअसल यूजीसी की अर्हता वाले शिक्षकों की अनुपलब्धता के चलते महाविद्यालयों के प्रबंधक फर्जी अनुमोदन पर जोर देकर शिक्षकों की कमी पूरा करते हैं।

    क्या है अनुमोदन

    दरअसल महाविद्यालयों में संविदा पर नियुक्ति के लिए शिक्षकों को विवि के सम्बद्धता विभाग से अनुमोदन कराना होता है। इसके लिए शिक्षक को अपनी डिग्री, मार्कशीट व अन्य शैक्षिक प्रमाण पत्र सम्बद्धता विभाग को उपलब्ध कराना होता है। विभाग कागजातों का परीक्षण कर शिक्षक को संबंधित कालेज के लिए अनुमोदित करता है यानि अध्यापन के लिए योग्यता मिल जाती है।

    होगा सत्यापन :त्रिपाठी

    इस बाबत पूछे जाने पर पूविवि के सम्बद्धता विभाग के सहायक कुलसचिव वीएन त्रिपाठी ने बताया कि फिलहाल इस तरीके का कोई प्रकरण सामने नहीं है। मगर अनुमोदन में फर्जीवाड़े की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस नाते महाविद्यालयों में अनुमोदित शिक्षकों की सूची का सत्यापन कराकर देखा जाएगा कि कहीं उनके नाम अन्य कालेजों में तो नहीं चल रहे हैं।

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