लंबा सफर है राजनीति का, करते रहना..
जागरण संवाददाता उरई तुम तो इमरजेंसी में जेल गए थे न? जवाब आया जी हां सर। फिर क्या था आश्

जागरण संवाददाता, उरई : तुम तो इमरजेंसी में जेल गए थे न? जवाब आया जी हां सर। फिर क्या था आशीर्वाद के लहजे में वह शब्द निकले 'लंबा सफर है तुम्हारा राजनीति करते रहना'। इन शब्दों ने जीवन के राजनीतिक मायने ही बदले दिए थे। यह आर्शीवाद के शब्द थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के, जो उन्होंने वर्ष 1991 में कालपी में विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह जादौन से कहे थे। कालपी आए अटल के यही शब्द जादौन अटल बन गए थे। इन्हीं शब्दों से आज राजनीति की सुचिता और धर्मिता का पालन करने वाले जादौन कालपी के विधायक बने। अटल जी का व्यक्तित्व ही था जो हर किसी को अपनापन का अहसास कराता था। उनकी याददाश्त इतनी बेजोड़ रही कि एक बार किसी से मिल लेते तो हमेशा उनकी मन: स्थिति में रहते थे। कालपी के विधायक नरेंद्र सिंह जदौन अटल जी की यादों का संस्मरण सुनाते हुए कहते हैं कि अटल जी से वह तीन बार मिले थे। लेकिन ऐसा नहीं लगता था कि वह मात्र तीन बार ही मिले हैं। ऐसा लगता था कि मानों बहुत पुरानी जान पहचान हो। उनका अपना अंदाज और स्वभाव हर किसी के बीच अटूट रिश्ता बना देता था। अटल जी, जो अटल स्मृतियों के बीच आज भी हमारे जेहन में रमे बसे हैं। नरेंद्र सिंह जादौन कहते हैं कि अटल जी कालपी के विधान सभा चुनाव प्रचार में आए थे। उस समय रविकांत द्विवेदी भाजपा के प्रत्याशी थे और मै भाजपा का जिलाध्यक्ष था। जनसभा के बाद अटल जी ने बच्चों की तरह राजनीति की पाठशाला लगाई थी। बोले थे चुनाव हार जीत के लिए नहीं होता है। जनता की सेवा के लिए चुनाव हार कर भी हमेशा तत्पर रहना चाहिए। नरेंद्र सिंह जादौन बताते हैं कि जालौन जिले में अटल जी को सबसे ज्यादा कालपी से ही स्नेह था उन्हें यहां भी सांस्कृ़तिक धरोहरों से विशेष लगाव था। आज इस बात का सुकून मिलता है कि कालपी की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को संजोने में सबसे ज्यादा भाजपा सरकार ने काम किया है। मानो अटल जी के सपनों को साकार किया गया है।

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