खुद पाथी ईंटें, बना डाला पक्का आशियाना
धनंजय त्रिवेदी उरई लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी अपने घर को लौट आए थे। भ

धनंजय त्रिवेदी , उरई : लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी अपने घर को लौट आए थे। भले ही तमाम मुसीबतें झेलनी पड़ीं लेकिन अपने घर की चाहत उनको यहां तक खींच लाई। लौट तो आए पर सबसे बड़ी समस्या रोजगार की थी। पैसा नहीं होगा तो करेंगे क्या। इनमें से बहुत से हिम्मत वाले लोग भी थे जिन्होंने हार मानना नहीं सीखा। आपदा को अवसर में बदला। ग्राम टीहर के दो भाई भी गांव लौटे थे। उन्होंने तालाब की मिट्टी से खुद ईंटें पाथी और पक्का आशियाना बना डाला।
ग्राम टीहर के निवासी रामशंकर प्रजापति के दो बेटे राजस्थान में पानी पूरी का धंधा करते थे। लॉकडाउन हुआ तो वह भी हड़बड़ी में अपने घर की ओर चल पड़े। रास्ते में तमाम मुसीबतें झेलीं। किसी तरह से घर पहुंच गए। अब समस्या यह थी कि रोजगार नहीं होगा तो खर्च कैसे चलेगा। घर भी कच्चा था। एक दिन सुबह दोनों भाई रामलला व श्याम लला इसी उधेड़ बुन में गांव के बाहर घूम रहे थे तो उनकी नजर कीचड़ युक्त तालाब की ओर गई। उन्होंने निर्णय लिया कि इसी मिट्टी का सदुपयोग करेंगे। फिर क्या था दोनों भाइयों ने उसी मिट्टी से ईंट पाथने का निर्णय ले लिया और काम शुरू कर दिया। देखते-देखते 25 हजार ईंट पाथकर उनका आंवा लगा दिया। लगभग डेढ़ लाख रुपये की ईंट पाथीं। 20 हजार ईंट घर को बनाने में लगाईं कुछ ईंट बेचकर खर्चा निकाला। अब दोनों भाई फिर से अपना व्यवसाय करने को राजस्थान लौट गए हैं। इन्होंने दिखा दिया कि आपदा है तो क्या हुआ इसमें भी अवसरों की कमी नहीं है। सिर्फ जज्बा मजबूत होना चाहिए।
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परिवार को दी खुद का काम करने की नसीहत
दोनों भाइयों ने परिवार से जुड़े अन्य लोगों को भी नसीहत दी कि काम खुद का करो। इससे तुमको तो लाभ होगा ही दूसरों को भी रोजगार दे सकोगे। दोनों की इच्छा यही है कि कुछ दिन बाहर काम करके घर का बचा खुचा काम करवा लें तो फिर दिक्कत नहीं होगी। यहीं आकर फिर से अपना रोजगार जमाएंगे।
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घर परिवार के लोग सफलता से हैं खुश
रामशंकर प्रजापति के घर के लोगों को उम्मीद नहीं थी कि दोनों बेटे लौटेंगे तो उनके लिए पक्का आशियाना बना देंगें। साथ ही घर खर्च की दिक्कत भी नहीं होने देंगे। सफलता से घर के लोग बेहद खुश हैं।

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