क्या आपके घर आ रहे दूध में भी है मिलावट? यूपी के इस जिले में उत्पादन से दोगुणा हो रही खपत
उरई में मिलावटी दूध का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। दूध का उत्पादन खपत से काफी कम है जिसके कारण मिलावट करके इसे पूरा किया जा रहा है। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए दूध पाउडर रिफाइंड और अन्य हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। मिलावटी दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है जिससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

जागरण संवाददाता, उरई। जरा ठहरिए आपको पता भी है कि जिस दूधिये से दूध लिया है वह कितना शुद्ध हो सकता है, इसमें यूरिया से लेकर और भी कई खतरनाक केमिकल भी हो सकते हैं। यह शंका यूं ही पैदा नहीं होती बल्कि दूध डेयरी और पशु पालन विभाग के आंकड़े कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
जनपद में दूध का उत्पादन लगभग पौने दो लाख लीटर है लेकिन जनता में व दुकानों में मिला कर इसकी खपत साढ़े तीन लाख लीटर के करीब है। उत्पादित दूध में 70 हजार लीटर से अधिक दूध ब्रांडेड कंपनी की संचालित डेयरियों में चला जाता है।
डेयरी संचालक यह दूध जनपद के बाहर सप्लाई कराते हैं। आम जनता के साथ दूध के खरीदार मिठाई, बिक्री करने वाली डेयरी, पनीर, दही आदि में भी जाता है। गर्मी के दिनों में तो लस्सी, दही में इसकी खपत और बढ़ जाती है।
दूध की उपलब्धता कम होने के बाद भी खपत दोगुणा से अधिक होने का मतलब है कि यह मिलावट करके पूरा किया जा रहा है। मिलावटी और नकली (सिंथेटिक) दूध बाजार से लेकर घरों तक पहुंच रहा है। कालपी नगर के एक दूध कारोबारी के अनुसार सिंथेटिक दूध तैयार करने के लिए कई बार सस्ता दूध पाउडर मिलाते हैं।
ऐसे करते मिलावट
दूध पाउडर को पानी में घोला जाता है। स्किम्ड मिल्क होने के कारण पाउडर से तैयार दूध में फैट नहीं होता। फैट लाने के लिए रिफाइंड मिलाते हैं। मिठास के लिए ग्लूकोज। रिफाइंड पानी में घुल जाए इसके लिए घोल में डिटरजेंट, सैंपू भी कई बार मिलाते हैं। दूधिया इसे शुद्व दूध में मिला कर एक जैसा कर देते हैं।
जनपद में हैं कई डेयरी
दूध का उत्पादन जिले में पशु पालन विभाग के अनुसार पौने दो लाख लीटर है, खपत इस समय साढ़े तीन लाख लीटर है। खपत को पूरा करने के लिए मिलावटी दूध प्रतिदिन सवा दो लाख लीटर तैयार होता है। ऐसे भी समझें कि जिले में पराग, अमूल, बल्ली, दाऊबाबा, नमस्ते इंडिया, मधुसूदन, धौलपुर, पारस आदि कंपनी की डेयरी हैं।
यह डेयरी दूधियों से दूध खरीद कर बाहर सप्लाई करती हैं। इन डेयरी की ओर से 70 हजार लीटर दूध खरीदा जाता है। एक लाख लीटर से अधिक दूध दूधिया आम जनता, होटल, दूध का व्यवसाय करने वालों को देते हैं। बीस हजार लीट खोवा बनाने में, दही, पनीर में अतिरिक्त होने वाली आपूर्ति वह लोग करते हैं जो मिलावटी दूध तैयार करते हैं।
यह क्षेत्र हैं बदनाम
उरई के पटेल नगर, राजेंद्र नगर, उमरारखेड़ा, कालपी कस्बा, चौरासी गांव क्षेत्र में खोवा तैयार करके बाहर जाता है। माधौगढ़, कुठौंद के भी यह काम होता है।
घर पर कर सकते पहचान
दूध में यदि यूरिया डिटर्जेंट मिलाया गया है तो पहचानने के लिए एक गिलास में दूध लें, उसमें हल्दी डाल दें यदि पीला रंग रहता है तो दूध ठीक है, लेकिन लाल रंग होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि इसमें यूरिया या डिटर्जेंट की मिला है। सहायक खाद्य सुरक्षा आयुक्त डा. जतिन कुमार कहते हैं कि घर पर भी स्वयं इस तरह जांच कर मिलावट समझ सकते हैं।
लीवर से लेकर आंखों तक पर डालता असर
शरीर के लिए मिलावटी दूध से त्वचा की समस्या, आंखों में धुंधला पन, आंतों में इंफेक्शन भी हो सकता है, किडनी में इंफेक्शन हो सकता है। -डा. प्रशांत निरंजन, सीएमएस मेडिकल कालेज उरई।

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