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    हत्या कर आठ टुकड़ों में काटा शव, यूपी में दोषी जीजा को आजीवन कारावास; 16 साल बाद आया फैसला

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 11:03 AM (IST)

    उरई में, एक व्यक्ति को अपने ममेरे साले का अपहरण और हत्या करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोषी ने शरीर को आठ टुकड़ों में काटकर रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिया था। कोर्ट ने उस पर जुर्माना भी लगाया है। वादी पक्ष ने फांसी की सजा की मांग की थी। 16 साल बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया, जिस पर मृतक के परिवार ने संतोष व्यक्त किया।

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    जागरण संवाददाता, उरई। अपने ममेरे साले का अपहरण करके धारदार हथियार से आठ टुकड़े कर हत्या करने वाले दोषी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। सिर, हाथ, पैर काट कर प्लास्टिक और जूट की दो बोरियों में भर कर शव शहर के शांतिनगर मुहल्ले में रेलवे ट्रैक के पास आरोपित ने फेंक दिया था। कोर्ट ने दोषी पर एक लाख 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। वादी पक्ष ने दोषी को फांसी की सजा सुनाए जाने की मांग की थी।

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    शासकीय अधिवक्ता ब्रजराज सिंह राजपूत ने बताया कि उरई कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला बघौरा निवासी चतुर्भुज प्रशांत महोबा जनपद में आरईएस विभाग में एक्सईएन के पद से 2009 में सेवानिवृत्त हुए थे।

    बताया कि उनके पुत्र कमलेश को 26 मई 2009 की शाम शहर के मुहल्ला शिवपुरी निवासी ममेरे बहनोई शोभराज उर्फ नीलू उर्फ अभय जाटव ने गाड़ी खराब होने के बहाना करके बुलाया था। 27 मई 2009 को फोन किया कि उनके बेटे कमलेश का अपहरण कर लिया है, छुड़ाना हो तो 15 लाख रुपये का इंतजाम करो।

    इस पर उन्होंने उरई कोतवाली को इस अपहरण के मामले की सूचना दी। जब इसकी जानकारी आरोपित को हुई तो उसने अपने तीन साथियों के साथ मिल कर अपने घर में बने तहखाने में कमलेश की धारदार हथियार से आठ टुकड़ों में काट कर हत्या कर दी। शव के टुकड़ों को अलग-अलग प्लास्टिक व जूट की बोरियों में सिलाई करके शांति नगर मुहल्ले में रेलवे ट्रैक के किनारे फेंक दिया था।

    30 मई को पुलिस ने महर्षि विद्या मंदिर इंटर कालेज के पास खेतों से शव बरामद कर लिया था। शव अलग-अलग बोरियों में कुछ दूरी पर फेंका गया था। चतुर्भुज प्रशांत ने पुलिस को बताया था कि उन्हें सेवानिवृत्त के बाद पैसा मिला था, इसकी जानकारी होने पर ही आरोपित ने पैसों के लालच में उनके पुत्र का अपहरण किया था।

    पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपित शोभराज को एक जून 2009 को गिरफ्तार कर लिया था। हत्या में प्रयुक्त हथियार भी बरामद किया था। 16 जून 2009 को पुलिस ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इस मामले में कुल चार आरोपित थे जिनमें तीन नाबालिग थे, जिनका मामला किशोर न्याय बोर्ड में चल रहा है।

    2014 में वादी (दिवंगत के पिता) चतुर्भुज प्रशांत की मौत के बाद दिवंगत कमलेश के पुत्र वीपी राहुल इस मुकदमे के वादी थे। 16 साल तक चले मुकदमा के ट्रायल के बाद गुरुवार को अधिवक्ताओं के द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट सुरेश चंद्र गुप्ता ने दोषी शोभराज उर्फ नीलू उर्फ अभय जाटव को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए एक लाख 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दोषी ने युवक का सिर धड़ से अलग कर दिया था, दोनों हाथ, दोनों पैर के कई टुकड़े कर दिए थे।

    पेशी के दौरान भाग गया था आरोपित

    अपर डीजीसी ब्रजराज सिंह ने बताया कि ट्रायल की दौरान 18 फरवरी 2014 को अभियुक्त शोभराज पेशी के दौरान फरार भी हो गया था। जिसे 14 मई 2025 को गिरफ्तार किया गया था। मामले की पैरवी शासकीय अधिवक्ता लखनलाल निरंजन और सहायक अधिवक्ता बृजराज सिंह ने की। अभियोजन पक्ष ने इसे रेयर मामला बताते हुए फांसी के सजा की मांग की थी। अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

    फैसले पर पुत्र व पत्नी ने जताई संतुष्टि

    दिवंगत के पुत्र वीपी राहुल उर्फ गोलू ने बताया कि वह घटना के समय केवल 10 वर्ष का था। अप्रैल 2025 से केस की पैरवी शुरू की थी। अदालत के फैसले पर कहा कि मुझे उस समय कुछ याद नहीं, पर अब न्याय मिला है। पिता की आत्मा को शांति मिलेगी। मृतक की पत्नी मंजू देवी ने भी कहा कि इतने वर्षों बाद मिला न्याय ईश्वर की कृपा है।