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    -बिजली दरों में अनुदान मिला तो दौड़ेगा कालपी का कागज उद्योग

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 24 Jul 2021 09:03 PM (IST)

    जागरण संवाददाता उरई कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझने वाले कालपी के कागज उद्योग को एक बार फिर पटरी पर लाने की सकारात्मक पहल हुई है। एक जिला-एक उत्प ...और पढ़ें

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    -बिजली दरों में अनुदान मिला तो दौड़ेगा कालपी का कागज उद्योग

    सबहेड : सबकुछ ठीक रहा तो 20 हजार लोगों को मिल जाएगा रोजगार क्रासर

    - अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल के दौरे से जगी कारोबारियों की उम्मीदें

    - एक जिला-एक उत्पाद योजना में शामिल है जालौन का यह उद्योग

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    जागरण संवाददाता, उरई : कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझने वाले कालपी के कागज उद्योग को एक बार फिर पटरी पर लाने की सकारात्मक पहल हुई है। एक जिला-एक उत्पाद योजना में शामिल इस उद्योग को प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल के दौरे के बाद संजीवनी मिलने के आसार हैं। उन्होंने इकाइयों में खर्च होने वाली बिजली में भी 50 फीसद अनुदान देने का आश्वासन दिया है।

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    प्रदेश सरकार ने कालपी के हस्तनिर्मित कागज उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए ओडीओपी के तहत ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। ऋण में सरकार ने 25 फीसद का अनुदान भी दिया। उद्योग विभाग के माध्यम से बैंकों द्वारा वर्किंग कैपिटल के लिए ऋण दिया गया। कोरोना काल में 36 इकाइयों को ढाई करोड़ रुपये का ऋण मिल चुका है। शुक्रवार को एक दिवसीय दौरे पर आए अपर मुख्य सचिव के सामने कागज व्यापारियों ने बिजली की दरों को कम कराने की मांग रखी तो उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया है कि इस मामले में शासन से निर्णय कराने की कोशिश की जाएगी। कागज कारोबारियों ने बिजली की दरों में 50 फीसद का अनुदान देने व जीएसटी की दरों को 18 फीसद से घटाकर पांच फीसद करने की मांग की है। अगर ये मांगें शासन स्तर से मान ली गई तो उद्योग बहुत बड़े पैमाने पर तरक्की कर सकता है। 20 हजार लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। सरकारी कार्यालयों में कागजों की हो अनिवार्यता

    उत्तर प्रदेश हाथ कागज निर्माता संघ के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार तिवारी कहते हैं, सरकारी कार्यालयों में उपयोग होने वाले फाइल कवर, कैरी बैग, राइटिग पेपर, ब्लाटिग पेपर, फाइल तथा डायरियों की खरीद में कालपी के बने उत्पाद ही लिए जाने चाहिए। उक्त योजना में सरकार का यह शासनादेश है। एक जिला एक उत्पाद के लिए पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर मार्केट उपलब्ध कराया जाए। कालपी नगर में वर्तमान में 55 फैक्ट्रियां उत्पादन कर रही हैं। इन फैक्ट्रियों में पांच हजार श्रमिक कार्य कर रहे हैं।