Holi 2025: होली में केमिकल वाले रंग स्कीन और आंखों को पहुंचा सकते हैं नुकसान, ऐसे रखें ख्याल
होली के रंगों में मिलावट सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है। केमिकल युक्त रंग त्वचा आंखों फेफड़ों और पेट को नुकसान पहुंचा सकते हैं। गुलाबी रंग बनाने में सिंथेटिक दाना फिटकरी नमक और यूरिया का होता है इस्तेमाल। आइए जानें होली के रंगों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायनों के बारे में और सुरक्षित होली मनाने के उपायों के बारे में।

जागरण संवाददाता, जालौन। होली पर रंग बिरंगे रंगों के साथ अबीर-गुलाल का जमकर प्रयोग होता है। इसके बिना तो होली पूरी हो ही नहीं सकती। वैसे भी होली रंगों का ही त्योहार है। लाल, नीले, पीले रंगों से खेलने में तो बहुत मजा आता है, लेकिन कई बार होली खेलने के दौरान या बाद में कई सारी सेहत संबंधी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
जो कई बार लंबी भी चल सकती हैं। केमिकल वाले रंगों से सिर्फ स्किन और आंखों को ही खतरा नहीं होता, बल्कि इससे लंग्स और पेट से जुड़ी दिक्कतें भी परेशान कर सकती हैं।
बाजार में केमिकलयुक्त रंग बिकते हैं
होली का पर्व प्राचीन समय से मनाया जाता रहा है। इसमें लोग रंगों का प्रयोग करते हैं। पहले रंग फूलों से निर्मित होते थे, जिससे इनको लगाने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता था। अब स्वरूप बदल चुका है। बाजार में केमिकल युक्त रंग आने लगे हैं। यह रंग सस्ते होने के चलते लोग इनको खरीदते हैं, लेकिन यह रंग में भंग भी कर सकते हैं। केमिकल से बने रंग त्वचा में एलर्जी कर सकते हैं।
इसके अलावा आंखों में चला जाए तो आंख की रोशनी तक जाने का खतरा हो सकता है। होली के जोश में लोग ध्यान नहीं देते हैं और रंग मुंह में भी चला जाता है जिससे पेट संबंधी बीमारी भी हो सकती है। सस्ते रंग बनाने में कई तरह के रसायन का उपयोग किया जाता है।
हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है
हरा रंग बनाने में कॉपर सल्फेट का प्रयोग होता है, जिससे आंखों में एलर्जी के साथ अंधा भी कर सकता है। गुलाबी रंग बनाने में सिंथेटिक दाना, फिटकरी, नमक, यूरिया का प्रयोग होता है। यह भी त्वचा के लिए बेहद हानिकारक है। इसी तरह से लाल रंग बनाने में भी कई तरह के रसायन प्रयोग में लाए जाते हैं। रंगों का प्रयोग करें लेकिन सावधानी जरूर बरतें नहीं तो आंखों या त्वचा को नुकसान हो सकता है।
चिकित्सक की सलाह
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि केमिकल से बने रंग त्वचा के लिए बेहद हानिकारक हैं। चेहरे पर दाने, धब्बे, चेहरा लाल होना, चकत्ते पड़ना, आंखों का लाल होना, त्वचा में खुजली होना की शिकायत हो सकती है। धोखे से पेट में रंग चले जाएं तो कई दिनों तक बीमार भी होना पड़ सकता है।
लोगों को चाहिए कि आर्गेनिक रंगों का प्रयोग करें। बिना केमिकल का गुलाल लगाएं। इससे भी अच्छा है कि अब डिब्बी में चंदन भी आने लगा है। लोग चंदन का प्रयोग भी होली के पर्व पर कर सकते हैं। एक दूसरे को चंदन लगाकर होली की बधाई दे सकते हैं। इससे किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं है।
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