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    बरबरी व जमुनापरी बकरी का करें पालन

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 07 Mar 2022 11:35 PM (IST)

    जागरण संवाददाता उरई कृषि विज्ञान केंद्र जालौन एवं कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्था

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    बरबरी व जमुनापरी बकरी का करें पालन

    जागरण संवाददाता, उरई : कृषि विज्ञान केंद्र जालौन एवं कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान कानपुर द्वारा प्रायोजित कृषकों के क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 40 प्रशिक्षणार्थियों को भेड़ एवं बकरी पालन प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के बाद प्रमाण पत्र वितरित किए गए।

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    तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्राम लौना में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में समन्वयक पशुपालन विज्ञानी डा. अनुज कुमार गौतम ने प्रशिक्षणार्थियों को भेड़ एवं बकरी पालन प्रबंधन द्वारा पशुओं से अधिकतम उत्पादन कैसे लें इसकी नवीनतम एवं वैज्ञानिक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बकरी छोटा जानवर होने के कारण इसके रखरखाव का खर्च भी न्यूनतम होता है। बकरी पालन में मुख्यत: तीन बातों का ध्यान देना चाहिए। पहली नस्ल का दूसरी आहार या चारा और तीसरी प्रबंधन का। नस्ल के बारे में बताया कि उसी नस्ल का चुनाव करना चाहिए जो उस वातावरण में अच्छे से रह ले। इसके लिए बरबरी, जमुनापरी या झकराना नस्ल काफी अच्छा है। कुछ पशुपालक सिरोही एवं बीटल नस्ल भी रखते हैं। अगर बरबरी नस्ल से अपना ब्यवसाय शुरु कर रहे हैं तो इनका पालन-पोषण घर पर ही बांधकर आसानी से कर सकते हैं। यह नस्ल एक साल में प्राय: दो बार बच्चे देती है और एक साथ 2 या 3 बच्चे, कभी कभी तो 4 बच्चे तक भी देती है। यदि बकरियों को चरागाह में चरने को नहीं भेजा जाता है तो उन्हें दिन में 3 बार आहार अवश्य दें। एक औसत बकरी को दिन भर में 3.5 से 5 किग्रा चारा मिलना चाहिए।बकरियों को आपस में लड़ाई करने से बचाना चाहिए ऐसे किसी अन्य बकरी जिनका तुरंत गर्भपात हुआ हो अथवा बीमार हो, उनके साथ इन गर्भवती बकरियों को नहीं रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि पीपीआर, खुरपका-मुखपका, गलघोंटू, एंटीरोटोक्सीमिया एवं अफरा इत्यादि कुछ खतरनाक बीमारियां हैं इसके प्रति पशुपालकों को सजग रहना चाहिए। अध्यक्ष डा. राजीव कुमार सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो कम जमा पूंजी में अधिक मुनाफा देती है। इसके बाद सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस दौरान कृषि प्रसार वैज्ञानिक डा. विस्टर जोशी, डा. रजनीश चंद्र मिश्र, डा. राजकुमारी, गिरेंद्र सिंह, विनोद कुशवाहा, रामप्रताप, शिखा कुशवाहा, तेज प्रताप मौजूद रहे।